Skip to main content

Khana Khane ki sunnat tarika - खाने के आदाब

 

بِسمِ اللّٰہِ الرَّحمٰنِ رحیم

“ शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है ”

 

खाने का सही तरीका –

हम सब जानते हैं कि खाना हमारे ज़िन्दगी में कितना ज़रूरी है । अल्लाह रब्बुल इज्ज़त की एक अहम नेमतों मे से एक है।

दुनिया में जितनी जद्दो जहद होती है  इसी खाने के लिए होती है ।

जैसे हर चीज को करने का एक तरीक़ा होता है उसी तरह खाने का भी एक तरीक़ा है अगर हम उस तरीक़ा पर अमल ना करें तो डॉक्टरों के चक्कर लगाना पड़ता है।यानी पेट खराब, बदहज़मी, कब्ज वगैरह की शिकायत रहती है।

पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही तरीक़ा सबसे बेहतीन और काबिले फख्र है और वो तरीक़ा है हमारे प्यारे नबी जनाबे मेहतरम फख्र दो आलम मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का है।

अगर हम अपने नबी के बताए हुए सुन्नतों पे अमल करेंगे तो इंशाअल्लाह दुनिया में भी कामयाबी मिलेगी और अखिरत में भी सुर्खरू होंगे।

 

तो चलिए खाना  खाने के मुतल्लिक़ नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतो को देखते हैं।

(1) खाना खाने से पहले दस्तरखान बिछाना –

खाना दस्तरखान पर ही खाना चाहिए क्योंकि एक तो हमारे नबी करीब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है और दूसरी अगर  लुकमा गिरे तो  दस्तरखान से उठा कर खा सके।

 

(2) खाने से पहले अपने दोनो हाथों को कलाई समेत धोना

बिना हाथ धोए खाना खाने से नुकसान है क्युकि हाथों पे ( Bacteria)  जरासीम  होते हैं,जो नज़र नही आते ।

डॉक्टरों का कहना है के, ज्यादा तो पेट दर्द की वजह खाने से पहले हाथ का ना धोना है।
माशाल्लाह,  ये सब हमारे नबी का तरीक़ा है अब बताइए अगर हम नबी की सुन्नतों पे चलते हैं तो कितनी बीमारियों से बच सकते हैं।

 

(3) नीचे फर्श पर बैठ कर खाना –

अफसोस फर्श पर बैठ कर खाने की सुन्नत खत्म होती जा रही है। शादियों और पार्टियों में एक नया फितना बरपा है जिससे बफ (buff system) कहा जाता है।आप सबसे से गुज़ारिश है बैठ कर खाने की सुन्नत को ज़िंदा करें।

 

(4) खाने से पहले बिस्मिल्लाह कहना –

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का मामुर था के खाने से पहले  बिस्मिल्लाह कहते। अल्लाह का नाम लेकर शुरू करें इंशाअल्लाह बहुत बरकत होगी।

 

खाने से पहले की दुआ

बिस्मिल्लाह

तर्जुमा – शुरू अल्लाह के नाम से

 

Dua in English

 

BISMILLAH – To start in the name of Allah

 

एक मसला – अगर शुरू में बिस्मिल्लाह कहना भूल जाएं, तो जब याद आए तो ये दुआ पढ़  लें।

 

बिस्मिल्लाही अल अव्वलहू वल आखिर

तर्जुमाशुरू अल्लाह के नाम से जो अव्वल भी है और आखिर भी।

 

(5) खाते वक्त बैठने का तरीक़ा –

खाते वक्त जो  बैठेने का सुन्नती तरीक़ा है वो यह है कि बाया पैर(left leg) बिछा दें,और दाहिना पैर (Right leg) खड़ा रखें।खाते वक्त ज्यादा बातें ना करें, कुछ अहम मसले पर बात कर सकते है।पर ज्यादा दुनियादारी कि बातें नहीं करनी चाहिए।

 

(6) हाथ से लुकमा गिर जाए तो उठाकर साफ़ करके खाएं –

हमारे नबी करीम  सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम  की प्यारी सुन्नत है के अगर खाना दस्तरखान पे गिर जाता तो आप उठा कर खा लेते। आजकल हम शर्म की वजह से नीचे गिरा हुआ खाना नहीं खाते ।अजिजों हमारे लिया नबी करीम  सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम  का तरीक़ा अहम है ना कि दूसरों के सामने शर्म के वजह से एक सुन्नत को तर्क करना।

  “ज्यादा  झुक कर ना  खाएं और हमेशा खाना दाहिने हाथ (Right Hand)से ही खाएं।चम्मच (spoon)और छुरी(knife) से खाने से परहेज़ करें।ये गरों का तरीक़ा है।”

 

(7) खाने में अयेब नहीं निकालना –

हमारे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कभी खाने में आयेब नहीं निकालते थे, अगर पसंद होता तो खा लेते नहीं तो खामोश रहते।

 

(8) खाने में फूक ना मारें

अक्सर खाना ठंडा करने के लिए हम खाने पर फूक मरते हैं जो सही नहीं है।इससे खाने में जरासीम शामिल हो जाते हैं।

“हमेशा अपने सामने रखी चीज को ही खाएं नहीं तो  दूसरे  खाने वाले लोगों को तकलीफ़ हो सकती है।”

 

(9) खाने के बाद बर्तन को अच्छी तरह साफ कर लें –

खाने के बरतन को साफ करना ज़रूरी है क्योंकि क्या पता अल्लाह ने किस दाने में बरकत रखी है।और एसा करने से बर्तन मगफिरत की दुआ करती है।

 

(10) खाना खाने के बाद ये दुआ पढ़े।

 

अल्हम्दुलिल लाहिल लज़ी अत अमना व सकाना व जा अलना मुस्लिमीन”

तर्जुमा : तमाम तारीफें अल्लाह के लिए हैं जिस ने हमें खिलाया पिलाया और मुसलमान बनाया।

 

IN  ENGLISH:

ALHAMDULIL LAHIL LAZI ATAMNA WA SAKAANA WA JA ALNA MUSLIMEEN

 

In  Arabic

 

 

खाने के मुतल्लिक़ चंद हदीसें
  • जिस खाने पर बिस्मिल्लाह ना पढ़ी जाए उस खाने में शैतान शामिल हो जाता है।(सही मुस्लिम)
  • एक साथ जमा हो कर खाना खाया करो और बिस्मिल्लाह पढ़ो।तुम्हारे उस खाने में बरकत होगी।(अबू दाऊद)
  • जो खाने के बाद बर्तन चाट ले वो बर्तन उस के लिए अस्तागफार करती है।(तिर्मिज़ी)
  • खाने को ठंडा कर लिया करो क्यों की गर्म खाने में बरकत नहीं होती।(अबू दाऊद)
  • नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया मै कभी टेक लगा कर नहीं खाता (तिर्मिज़ी)

 

Khana khane ki sunnatein in URDU –

کھانا کھانے کی سنتیں

کھانے سے پہلے دسترکان بچھانا

کھانے سے پہلے دونوں ہاتھوں کو کلائی سمیت دھونا

نیچے فرش پر بیٹھ کر کھانا

کھانا شروع کرنے سے پہلے بِسمِ اللّٰہِ پڑنا

کھانے کے وقت بایا پیر بچھا دینا اور داہنا پیر کھڑا رکھنا

اگر ہاتھ سے کوئی لوکما نیچے گر جائے تو اٹھا کر کھا لینا

داہنے ہاتھ سے کھانا اور زیادہ جُھک کر نہ کھانا

کھانے کے بعد برتن تو اچھی طرح صاف کر لینا چاہیے

کھانے کے بعد جو مسنون دعا ہے وہ پڑھنا

 

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

Pani peene ki sunnat tarika padne ke liye click karein

इस पोस्ट को अपने दोस्तों और अजीजों में Share करें
दुआ की गुज़ारिश

 

Comments

Popular posts from this blog

Islamic Quiz in Hindi Part -8 - इस्लामिक सवाल जवाब

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     इस्लामिक क्विज पार्ट – 8 इस्लामिक क्विज पार्ट -7  में कुछ और अहम  सवाल – जवाब हैं  , जो के  (Competitions Exam ) के लिए बहुत मददगार है और साथ ही इस्लामिक मालूमात में इजाफा भी होगा इंशा अल्लाह  |   इस पार्ट में  ” आसमानी किताबें “   के बारे में सवाब जवाब है |   सवाल – आसमानी किताबों की तादाद कितनी हैं ? जवाब – अल्लाह तआला ने अंबिया (अ०स०) पर कुल 104 किताबें (जिनमे 100 सहिफें और 4 किताबें हैं  ) नाज़िल फरमाई | सवाल – आसमानी किताबों का इनकार करने वाला कैसा है ? जवाब – आसमानी किताबों का इनकार करने वाला मुसलमान नहीं है | सवाल – 4 मशहूर आसमानी किताबों के नाम क्या हैं और किन नबियों पर नाजिल हुईं ? जवाब – (1) तौरात –हज़रत मूसा (अ०स०) पर  (2) ज़बूर – हज़रत दाऊद (अ०स०) पर (3) इंजील – हज़रत ईसा (अ०स०) पर  (4) कुरआन मजीद – हज़रत मुहम्मद (स०अ०) पर सवाल – 4 अंबियाओं के अलावा और कितने रसूलों पर किताबें (सईफें) नाजिल हुईं? जवाब – अल्लाह तआला ने 4 अन्बियों के आलावा और रसूलों पर भी किताबें (सईफे ) नाजिल फरम

Jawnar ke Huqooq in Hindi - जावरों के हुक़ुक़

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   जानवरों  के हुक़ूक़  – इस्लाम में  जानवरों के साथ कैसा  बरताव करना चाहिए,ये तफ्सील से बताया गया है | बेज़बान जानवर जो कुछ बोलते नहीं और  मुतालबा भी नहीं करते उसका ख्याल करना हमारे लिए ज़रूरी है | इसके मुताल्लिक चंद हदीसें – हजरत इब्ने उमर रज़ि और हज़रत अबू हुरैरह रजि दोनों ने हुजूर सल्ल का यह इर्शाद नकल किया कि एक औरत को इस पर अज़ाब किया गया कि उसने एक बिल्ली को बांध रखा था, जो भूख की वजह से मर गयी, न तो उसने उसको खाने को दिया न उसको छोड़ा कि वह जमीन के जानवरों (चूहे वगैरह) से अपना पेट भर लेती। हुजूरे अक्स सल्ल. से मुख्तलिफ अहादीस में मुख्तलिफ उन्वानात से यह मज़मून  नकल किया गया कि इन जानवारों के बारे में अल्लाह तआला से डरते रहा करो। गौर करने की  बात – जो लोग जानवरों को पालते हैं, उनकी जिम्मेदारी सख्त है कि वे बे-ज़बान जानवर अपनी जरूरियात को जाहिर भी नहीं कर सकते ऐसी हालत में उनके खाने पीने को खबरगीरी बहुत अहम और जरूरी है। इसमें बुख़्ल  से  काम लेना अपने आप को अज़ाब में मुब्तला करने के लिए तैय

Qissa Hazrat Yusuf a.s – हज़रत युसूफ अ०स० का क़िस्सा

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   हज़रत युसूफ (अ०स०) – मशहूर नबियों में हज़रत युसूफ (अ०स०) का नाम भी शामिल है, जिसका ज़िक्र कुरआन मजीद के (सुरह युसूफ) में तफ़सीर से आया है | हज़रत युसूफ (अ०स०) के किस्से को कुरआन मजीद में अहसानुल क़सस (सबसे अच्छा क़िस्सा ) कहा गया है | हज़रत युसूफ (अ०स०) एक एसे नबी हैं जिनके बाप,दादा,परदादा सब पैगम्बर थे | कुरआन मजीद में ज़िक्र – कुरआन मजीद की बारवी सूरत और पारह 12 और 13 में तफसील से हज़रत युसूफ (अ०स०) का ज़िक्र आया है | نَحْنُ نَقُصُّ عَلَيْكَ أَحْسَنَ ٱلْقَصَصِ بِمَآ أَوْحَيْنَآ إِلَيْكَ هَـٰذَا ٱلْقُرْءَانَ وَإِن كُنتَ مِن قَبْلِهِۦ لَمِنَ ٱلْغَـٰفِلِينَ तर्जुमा – (ए पैगम्बर ) हम ने तुम पर ये कुरआन जो वहीह के ज़रिये भेजा है इस के ज़रिये हम तुम्हे एक बेहतरीन वाकिया सुनाते हैं, जबकि तुम इस से पहले (वाक़िये) से बिलकुल बेखबर थे |   नबी पाक (स०अ०) का इरशाद – हमारे प्यारे नबी (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया “ करीम इब्ने करीम,इब्ने करीम “ यानी करीम का बेटा,करीम का बेटा |   हज़रत युसूफ (अ०स०) का बचपन और ख़वाब – हज़रत

Bina hisab ke Jannat mein jane wale - सीधा जन्नत या जहन्नुम

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   शीधा जन्नत या जहन्नुम – आखिरत के दिन कुछ लोग एसे भी होंगे जो बगैर हिसाब व किताब के जन्नत में और बिना हिसाब के दोज़ख में डाल दिए जायेंगे, उसे बाद हिसाब किताब का सिलसिला शुरू होगा |   बिना हिसाब के जन्नत में जाने वाले – हज़रत  अस्मा रज़ि० कहती हैं, मैंने हुज़ूर सल्ल० से सुना कि क़ियामत के दिन सारे आदमी एक जगह जमा होंगे और फ़रिश्ता जो भी आवाज़ देगा, सबको सुनायी देगी। उस वक़्त एलान होगा कहां हैं वे लोग जो राहत और तकलीफ में हर हाल में अल्लाह की हम्द करते थे। यह सुन कर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब-किताब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी दूसरी मर्तबा – फिर एलान होगा, कहां हैं वे लोग जो रातों में इबादत में मश्गूल रहते थे और उनके पहलू बिस्तरों से दूर रहते थे। फिर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब-किताब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी। तीसरी मर्तबा – फिर एलान होगा, कहाँ हैं वे लोग जिनको  तिजारत और खरीद व फ़रोख़्त अल्लाह के ज़िक्र से ग़ाफ़िल नहीं करती फिर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी। चौ

Islamic Quiz in Hindi - इस्लामिक सवाल जवाब

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     इस्लामिक क्विज पार्ट – 7 इस्लामिक क्विज पार्ट -7  में कुछ और अहम  सवाल – जवाब हैं  , जो के  (Competitions Exam ) के लिए बहुत मददगार है और साथ ही इस्लामिक मालूमात में इजाफा भी होगा इंशा अल्लाह  |   इस पार्ट में  ” इस्लामी जंग (लड़ाई)   ”  के बारे में सवाब जवाब है |   सवाल – इस्लाम के मशहूर जंगें कौन कौन सी हुईं ? जवाब – (1) जंग ए बदर (2) जंग ए उहद (3) गजवा ए खंदक (4) सुलह हुदैबिया (5) फतह ए मक्का (6) गजवा ए हुनैन (7) गजवा ए तबूक (8) जंग ए खैबर सवाल – इस्लाम की सबसे पहली जंग कौन सी है ? जवाब – जंग ए बदर सवाल – जंग ए बदर में मुसलमानों की कुल तादात कितनी थीं ? जवाब – 313 सवाल – जंग ए बदर में कुफ्फार कितने थे ? जवाब – 1000 सवाल – जंग ए बदर की लडाई कब हुई ? जवाब – 17 रमज़ानुल मुबारक सन 2 हिजरी सवाल – अल्लाह तआला ने जंग ए बदर में किस तरह मुसलमानों की मदद फरमाई ? जवाब – नबी करीम (स०अ०) की दुआ पर अल्लाह तआला ने फरिश्तों का एक लश्कर भेज कर मुसलमानों की मदद फरमाई सवाल – जंग ए बदर किस तारिख को फत

shabe meraj ki Haqeeqat - शबे मेराज का सफर

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   शबे मेराज के बारे में – अल्लाह तआला ने नबी करीम (स०अ०)  को एक ख़ास सफर कराया के मक्का से मस्जिद ए अक्सा और फिर सात आसमानों से गुजर कर सिद्रातुल मूनताहा से होते हुए अपने पास बुलाया । यह आप (स०अ०)  के लिए खास एजाज व सआदत की बात है। इसके मुतल्लिक कुरान में जिक्र – سُبْحَـٰنَ ٱلَّذِىٓ أَسْرَىٰ بِعَبْدِهِۦ لَيْلًۭا مِّنَ ٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ إِلَى ٱلْمَسْجِدِ ٱلْأَقْصَا ٱلَّذِى بَـٰرَكْنَا حَوْلَهُۥ لِنُرِيَهُۥ مِنْ ءَايَـٰتِنَآ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْبَصِيرُ ١ तर्जुमा – पाक है वहज़ात जो अपने बन्दे को रातों रात मस्जिदे हराम से मस्जिदे अक्सा तक ले गई जिसके माहौल पर हमने बरकतें नाज़िल की हैं | ताके हम उन्हें अपनी कुछ निशानियाँ देखाएं | बेशक वह हर बात सुनने वाली, हर चीज़ देखने वाली ज़ात है | मेराज के सफर का आगाज़ – नबी करीम (स०अ०)  हजरत उम्मे हानी के घर तसरीफ फरमा थे । अचानक आप ने देखा के ऊपर छत फटी और दो आदमी आए, आप को उठाया और आपका सीना चाक किया और सोने की तश्त पर कल्ब को रखा  फिर ज़म-ज़म

Kon log roza Tod sakte hain - रोजा तोड़ने की इजाज़त

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ” अल्लाह ताआला का बंदों पर अहसान – अल्लाह तआला अपने बंदों पर बड़ा शफीक वा मेहरबान है। उसने अपनी रहमत से इंसानों को ऐसी ही चीजों का मोकल्लफ बनाया है जि से बा-आसानी अंजाम दे सके। अल्लाह तआला ने अपनी मेहरबानी व रहमत से बाज ऐसे लोगों को रमजान में रोजा तोड़ने की इजाज़त दी है । जिनको कोई ऐसा शरई उज्र लाहिक हो जिसकी वजह से उनके लिए रोजा रखना दुश्वार हो | कुरान मजीद में इर्शदे बारी तआला  – अल्लाह तआला किसी जान को उसकी ताकत से ज्यादा तकलीफ नहीं देता (सुरह बकरह)   जिन लोगों को रोज़ा तोड़ने की इज़ाज़त है वो ये हैं – (1) बड़े बूढ़े और दाइमुल मरीज़ – बहुत बूढ़े मर्द, बूढ़ी औरतें और ऐसे दाइमूल मरीज लोग जिनके सेहतमंद होने की उम्मीद खत्म हो चुकी है। यह लोग अगर रोजा रखने में दुश्वारियां और परेशानी महसूस करें और यह अंदाजा हो कि आइंदा कभी भी उन्हें रोजा क़जा करने की ताकत हासिल ना हो सकेगी तो शरीयत ने ऐसे लोगों को रुखसत दी है कि वह रोजा ना रखें और हर रोजा के बदले एक मिस्कीन को खाना खिलाएं । उन्हें क़जा करने  की जरू

hazrat Musa a.s ka qissa - क़िस्सा हज़रत मूसा अ०स०

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     हज़रत मूसा (अ०स०) – हज़रत मूसा (अ०स०) अल्लाह के मुखलिस पैगंबर हैं | उनका लक़ब कलीमुल्लाह है, क्युकि वह अल्लाह तआला से हम-कलाम करते थे | आप (अ०स०) के वालिद का नाम इमरान (अ०स०) और भाई का नाम हारुन (अ०स०) था | आप में ताक़त और कुव्वत 10 आदमियों के बराबर थी |   हज़रत मूसा (अ०स०) के पैदाइश से पहले – मूसा (अ०स०) के पैदाइश से पहले एक मगरूर और ज़ालिम बादशाह था जिसका नाम वलीद बिन मुश्अब (फिरौन) था, बनी इस्राईल के कौम पर ज़ुल्म व सितम करता था और उनकों गुलामों की तरह काम लेता था | फिरोन को मानने वाले खिब्ती कहलाते थे और वो एश व आराम की ज़िन्दगी गुज़ारा करते थे | एक रोज़ फिरौन ने खवाब देखा के बैतूल मुक़द्दस से मिस्र के जानिब एक आग बढ़ता चला आ रहा है, वो आग तमाम मिस्र वालों को जला डालता है मगर इस आग से बनी इस्राईल के घर मज्फुज़ रहते हैं | फिरौन ने इस खवाब की ताबीर अपने पास मौजुद कहिनों से पूछी तो उन्होंने बताया के बनी इस्राईल में एक एसा बच्चा पैदा होने वाला है जिसकी वजह से मिस्रियों (खिब्तियों) की हलाकत होगी |  

Khajur(Dates) ke Fayde – खजूर के फ़ायदे

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   खजूर (Dates) – अल्लाह तआला ने हमें बेशुमार नेमतें से नवाज़ा है, उन नेमतों में से खजूर एक अहम्  नेमत है जिसका ज़िक्र हदीसों में कसरत से आया है | नबी करीम (स०अ०) के ज़माने में कसरत से खजूर के बागात हुआ करतीं थीं | ये नबी करीम (स०अ०) की दुआओ का सिला है के उस ज़माने से आज भी अरब में कसरत से पुरे साल खजूरों की खेती होती है और कभी कमी ना आई |   इसके मुताल्लिक हदीस – हज़रत साद बिन अबी वक्कास (रज़ी०) से मय्सर है के वह अपने वालिद गरामी से रिवायत करते हैं के नबी (स०अ०) ने फ़रमाया – जिस शख्स ने निहार मुह अज्वा खजूर के सात दाने खाए उसको उस दिन में ना तो किसी ज़हर से और ना किसी जादू से नुक्सान पहुंचेगा | (मुस्लिम ,अबू दाऊद) उपर के हदीस में मसनदे अहमद ने इजाफा किया है के – और अगर उसने ये खजूरें शाम को खाई तो किसी चीज़ से सुबह तक कोई नुक्सान नहीं होगा |   खजूर के फायदे – (1) खजूर में ज्यादा मिकदार में पोटाशियम होता है जो के बदन की कमज़ोरी में बहुत फायदेमंद है | रोज़ाना एक खजूर का दूध के साथ खाना बदन की कमज़ोरी को

Aulad ki tarbiyat – औलाद की तरबियत कैसे करें

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     औलाद की तरबियत – औलाद की तरबियत करना माँ-बाप की अहम् ज़ोम्मेदारी है | ये बात भी काबिले एतेबार है के अगर घर की ख़वातीन या माँ दीनदार है तो इंशाअल्लाह बच्चे ज़रूर दीनदार होंगे क्यूंकि बच्चों की असल दर्सगाह माँ की गौद है | जैसा उसके घर का माहौल होगा तो बच्चे ज़रूर उसमे ढालेंगे अगर माँ-बाप ही नए माहौल के हों तो बच्चे का दीनदार होना मुश्किल है |   अल्लाह तआला का इरशाद – يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قُوٓا۟ أَنفُسَكُمْ وَأَهْلِيكُمْ نَارًۭا وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ عَلَيْهَا مَلَـٰٓئِكَةٌ غِلَاظٌۭ شِدَادٌۭ لَّا يَعْصُونَ ٱللَّهَ مَآ أَمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! अपने आप को और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका इंधन इंसान और पत्थर होंगे उसपर शख्त कड़े मिजाज़ के फरिश्तें मुक़र्रर हैं जो अल्लाह के किसी हुक्म में उसकी नाफ़रमानी नहीं करते, और वही करते हैं जिसका उन्हें हुक्म दिया जाता है | (सुरह तहरिम आयत 6) इसके मुताल्लिक हदीस – नबी करीम (स०अ०) ने इरश