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Islamic Quotes in hindi - क़ीमती बातें

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم

शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है

इस्लामिक क़ीमती बातें –

(Islamic Quotes )  चंद क़ीमती हदीसें  –  (Part – 4) 

इन क़ीमती बातों को पढ़े और याद  करें,क्युकि इर्शदे नबवी (स०अ०) है के जो 40 हदीसें याद कर लेता है तो वह जन्नत में दाखिल होगा |

 

Islamic Quotes  (Part – 4)

 

 

नबी करीम (स०अ०) का इरशाद –

1.
जो शख्स हर जुमा को माँ बाप की, या उन में से किसी एक की कब्र की ज़ियारत करता है, तो उसकी मगफिरत कर दी जाती है और उसे (माँ बाप का) फरमाबरदार लिख दिया जाता है।
2.
जिस ने जहर पी कर खुदकुशी की, उस के हाथ में ज़हर होगा और वह जहन्नम में उसे हमेशा पीता रहेगा।
3.
(सबसे अफ्जल (बेहतर) सदका यह है के) तू उस वक्त सदका करे, जब तू सेहतमन्द हो और तुझे माल की खवाहिश हो।
4.
दीने इस्लाम बहुत आसान मज़हब है।
5.
तुम में बेहतर शख्स वह है जिससे लोग भलाई की उम्मीद करें और उस के शर (तक्लीफ) से महफूज़ हों।
6.
जब तुम वज़न करो तो झुक्ता वज़न करो।
7.
तुम्हारी वह लड़की जो (तलाक या शौहर के मरने की वजह से) लौट कर तुम्हारे ही पास आ गई हो और उस के लिये तुम्हारे सिवा कोई कमाने वाला न हो (तो ऐसी लड़की पर जो भी खर्च किया जाएगा वह बेहतरीन सदका है)।
8.
अल्लाह तआला की नाराजगी माँ बाप की नाराज़गी में है।
9.
वह मुसलमान जिस की (लोगों को) माफ करने की आदत थी, वह जन्नत में जाने का हक्दार है।
10.
जो शख्स झूटी कसम खा कर किसी का माल ले लेगा, वह अल्लाह के सामने कोढी (जिसे कोढ़ हुआ हो) हो कर पेश होगा।
11.
तुम नमाज़ पढ़ो, क्यों के नमाज़ में शिफ़ा है।
12.
जो शख्स दुनिया में अपनी खवाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी खवाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।
13.
लोगों में अल्लाह तआला के सब से ज़ियादा करीब वह शख्स है, जो पहले सलाम करे।
14.
पानी चूस चूस कर पियो और गटागट न पियो, इस की वजह से जिगर की बीमारी होती है।
15.
अल्लाह तआला गाली गलोच और बेहयाई की बात करने वालों और बाज़ार में चीख व पुकार करने वालों को पसन्द नहीं फरमाता।
16.
जो शख्स हराम तरीके (सूद(वियाज),रिश्वत वगेरा) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का कोई सवा ब नहीं मिलेगा, बल्के उस हराम कमाई का ववाल उस पर है।
17.
जब लोग बुराई को देखें और उस को न रोकें, तो करीब है के अल्लाह तआला उन सब पर अज़ाब नाज़िल फ़रमा दें।
18.
इन्सान के कदम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक्त तक नहीं हटेंगे जब तक के उस से उस के माल के बारे में सवाल न कर लिया जाए के उस को कहाँ से कमाया और कहाँ खर्च किया।
19.
हज़रत मुहम्मद (स०अ०) और आप के घर वाले बहुत सी रात भूके रहते थे उनके पास रात का खाना तक नहीं होता था।
20.
हज़रत मुहम्मद (स०अ०) ने (एक मरतबा एक सहाबी को) अपनी ज़वाने मुबारक पकड़ कर फ़रमाया के सबसे ज़ियादा खतरा इस से है।
21.
वादा भी एक तरह का कर्ज है।
22.
ऐ ईमान वालो! अल्लाह से सच्ची पक्की तौबा कर लो, उम्मीद है के तुम्हारा रब तुम्हारे गुनाहों को माफ़ कर देगा और जन्नत में दाखिल कर देगा।
23.
जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहों के बा वजूद उसकी चाहत पर दुनिया की चीज़ें दे रहा है, तो यह अल्लाह तआला की तरफ़ से ढील है।
24.
तुम में सब से अच्छे वह लोग हैं, जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताओ करते हैं।
25.
हज़रत मुहम्मद (स०अ०) इस बात को पसन्द नहीं फरमाते थे के असहाय (साथियों)की मज्लिस में खुश्बू लगाए बगैर तशरीफ ले जाएं।
26.
आदमी जब हमेशा सच ही बोलता है और सच्चाई ही को इख्तियार कर लेता है तो अल्लाह के नज़दीक सिद्दीक ( सच्चा) लिख दिया जाता है।
27.
जब कोई बात कहो तो इन्साफ़ से काम लो, चाहे मुआमला अप ने करीबी रिश्तेदार ही का हो।
28.
सबसे बेहतरीन सदका यह है के कोई मुसलमान इल्म सीखे, फिर अपने मुसलमान भाई को सिखा दे।
29.
तुम लोगों को जो कुछ दिया गया है, वह सिर्फ दुन्यावी ज़िन्दगी का सामान है और जो कुछ (अज्र व सवाब) अल्लाह के पास है, वह इस (दुनिया)से कहीं जियादा बेहतर और वाकी रहने वाला है।
30.
हज़रत मुहम्मद (स०अ०)  घर के काम में हाथ बटा दिया करते और जब नमाज़ का वक्त हो जाता, तो नमाज़ के लिये चले जाते। 

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

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दुआ की गुज़ारिश

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     हज़रत मूसा (अ०स०) – हज़रत मूसा (अ०स०) अल्लाह के मुखलिस पैगंबर हैं | उनका लक़ब कलीमुल्लाह है, क्युकि वह अल्लाह तआला से हम-कलाम करते थे | आप (अ०स०) के वालिद का नाम इमरान (अ०स०) और भाई का नाम हारुन (अ०स०) था | आप में ताक़त और कुव्वत 10 आदमियों के बराबर थी |   हज़रत मूसा (अ०स०) के पैदाइश से पहले – मूसा (अ०स०) के पैदाइश से पहले एक मगरूर और ज़ालिम बादशाह था जिसका नाम वलीद बिन मुश्अब (फिरौन) था, बनी इस्राईल के कौम पर ज़ुल्म व सितम करता था और उनकों गुलामों की तरह काम लेता था | फिरोन को मानने वाले खिब्ती कहलाते थे और वो एश व आराम की ज़िन्दगी गुज़ारा करते थे | एक रोज़ फिरौन ने खवाब देखा के बैतूल मुक़द्दस से मिस्र के जानिब एक आग बढ़ता चला आ रहा है, वो आग तमाम मिस्र वालों को जला डालता है मगर इस आग से बनी इस्राईल के घर मज्फुज़ रहते हैं | फिरौन ने इस खवाब की ताबीर अपने पास मौजुद कहिनों से पूछी तो उन्होंने बताया के बनी इस्राईल में एक एसा बच्चा पैदा होने वाला है जिसकी वजह से मिस्रियों (खिब्तियों) की हलाकत होगी |  

Khajur(Dates) ke Fayde – खजूर के फ़ायदे

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   खजूर (Dates) – अल्लाह तआला ने हमें बेशुमार नेमतें से नवाज़ा है, उन नेमतों में से खजूर एक अहम्  नेमत है जिसका ज़िक्र हदीसों में कसरत से आया है | नबी करीम (स०अ०) के ज़माने में कसरत से खजूर के बागात हुआ करतीं थीं | ये नबी करीम (स०अ०) की दुआओ का सिला है के उस ज़माने से आज भी अरब में कसरत से पुरे साल खजूरों की खेती होती है और कभी कमी ना आई |   इसके मुताल्लिक हदीस – हज़रत साद बिन अबी वक्कास (रज़ी०) से मय्सर है के वह अपने वालिद गरामी से रिवायत करते हैं के नबी (स०अ०) ने फ़रमाया – जिस शख्स ने निहार मुह अज्वा खजूर के सात दाने खाए उसको उस दिन में ना तो किसी ज़हर से और ना किसी जादू से नुक्सान पहुंचेगा | (मुस्लिम ,अबू दाऊद) उपर के हदीस में मसनदे अहमद ने इजाफा किया है के – और अगर उसने ये खजूरें शाम को खाई तो किसी चीज़ से सुबह तक कोई नुक्सान नहीं होगा |   खजूर के फायदे – (1) खजूर में ज्यादा मिकदार में पोटाशियम होता है जो के बदन की कमज़ोरी में बहुत फायदेमंद है | रोज़ाना एक खजूर का दूध के साथ खाना बदन की कमज़ोरी को

Aulad ki tarbiyat – औलाद की तरबियत कैसे करें

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     औलाद की तरबियत – औलाद की तरबियत करना माँ-बाप की अहम् ज़ोम्मेदारी है | ये बात भी काबिले एतेबार है के अगर घर की ख़वातीन या माँ दीनदार है तो इंशाअल्लाह बच्चे ज़रूर दीनदार होंगे क्यूंकि बच्चों की असल दर्सगाह माँ की गौद है | जैसा उसके घर का माहौल होगा तो बच्चे ज़रूर उसमे ढालेंगे अगर माँ-बाप ही नए माहौल के हों तो बच्चे का दीनदार होना मुश्किल है |   अल्लाह तआला का इरशाद – يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قُوٓا۟ أَنفُسَكُمْ وَأَهْلِيكُمْ نَارًۭا وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ عَلَيْهَا مَلَـٰٓئِكَةٌ غِلَاظٌۭ شِدَادٌۭ لَّا يَعْصُونَ ٱللَّهَ مَآ أَمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! अपने आप को और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका इंधन इंसान और पत्थर होंगे उसपर शख्त कड़े मिजाज़ के फरिश्तें मुक़र्रर हैं जो अल्लाह के किसी हुक्म में उसकी नाफ़रमानी नहीं करते, और वही करते हैं जिसका उन्हें हुक्म दिया जाता है | (सुरह तहरिम आयत 6) इसके मुताल्लिक हदीस – नबी करीम (स०अ०) ने इरश