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Showing posts from March, 2021

Surah Bakrah ki Akhri Aayat ki Fazilat कुरआन मजीद

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   सुरह बकरह की आखरी आयतें और फ़ज़ीलत – सुरह बकरह की आखरी दोनों आयात की अहादीस में बड़ी फ़ज़ीलत आई है – नबी करीम (स०अ०) ने फ़रमाया – जो शख्स सुरह बकरह की आखरी दो आयतें रात को पढ़ लेता है तो ये उसके लिए काफ़ी हो जाती है | यानी अल्लाह तआला उसकी हिफाज़त फरमाता है |  (सहीह बुख़ारी ) नबी करीम (स०अ०) को मेराज की रात जो तीन चीजें मिलीं, उनमे से एक सुरह बकरह की आखरी दो आयात भी हैं | (सहीह मुस्लिम ) कई रवायत में यह भी वारिद है के – इस सूरत की आखरी आयात आप (स०अ०) को एक खजाने से अता की गई हैं जो अर्श ए इलाही के नीचे है |   आयत का खुलासा – अहादीस में आता है के जब ये आयत नाजिल हुई तो सहाबा (रज़ी०) बड़े परेशान हुए | उन्होंने दरबारे रिसालत में हाज़िर होकर अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह ! नमाज़, रोज़ा, व जिहाद वगैरह ये सारे अमाल, जिनका हमें हुक्म दिया गया है, हम बजा लाते हैं | क्युकि ये हमारी ताक़त से बाला नहीं है | लेकिन दिल में पैदा होने वाले ख़यालात और वस्वसों  पर तो हमारा अख्तियार ही नहीं है ...

Bismillah ki Fazilat aur Ahmiyat – बिस्मिल्लाह पढ़ने की बरकतें

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   बिस्मिल्लाह की अहमियत – “ बिस्मिल्लाह “ एक एसा कालिमा है जो हर काम से पहले पढने का हुक्म दिया गया है | सुबह को बिस्तर से उठने से ले कर रात को सोने तक कोई भी काम हो बिस्मिल्लाह ज़रूर कहना चाहिए, इसलिए के ये कालिमा के कहने से अल्लाह रब्बुल इज्ज़त की मदद साथ होती है, और हर काम में आसानी होती है | कुरआन मजीद में बिस्मिल्लाहिररहमाननिररहीम – कुरआन मजीद में हर सुरह (सिवाए सुरह तौबा) से पहले बिस्मिल्लाह का होना इसकी फ़ज़ीलत और अहमियत की दलालत करती है और बिस्मिल्लाह सुरह फ़ातिहा का हिस्सा भी है | बगैर बिस्मिलाह पढ़े सुरह का आगाज़ नहीं कर सकते क्युकि ये अल्लाह का हुक्म है | इसके मुतालीक हदीस – हुजुर (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – दुनिया या आखिरत का हर अहम् काम अगर बिस्मिलाह से शुरू न किया जाये तो वह अधुरा और नाक़िस है | अल्लाह तआला के यहाँ उसकी कोई कद्र व क़ीमत नहीं जो बिस्मिल्लाह पढने का अह्तामाम नहीं करता और जो इसका अह्तामाम करता है तो अल्लाह तआला उसको उस काम में बरकत अता फरमाते   बिस्मिल्...

Duniya ki Asal Haqeeqat - दुनिया की हकीक़त क्या है –

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  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   दुनिया की असल हकीक़त – दुनिया के बारे में मशहूर कौल है के ” दुनिया मोमिनों के लिए क़ैद खाना है “ यानी दुनिया मुसलमानों के लिए एक जेल की तरह है, अपने पास अखतियार होने के बावजूद अपनी मर्ज़ी से कोई अमल नहीं करना  बलके अल्लाह तआला का हुक्म और हुजुर अकरम (स०अ०) की सुन्नत पर मरते दम तक ज़िन्दगी गुज़ारनी है और इसी को तक्वा कहते है  और यही असल कामयाबी है |   कुरआन मजीद में अल्लाह तआला का इरशाद – وَمَا ٱلْحَيَوٰةُ ٱلدُّنْيَآ إِلَّا مَتَٰعُ ٱلْغُرُور ِ ” और ये दुनयावी ज़िन्दगी (जन्नत के मुकाबले में ) धोखा के सामान के सिवा कुछ भी नहीं “   इसके मुताल्लिक हदीस – हज़रत अबू सईद ख़ुदरी (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – बेशक दुनिया मीठी और सरसब्ज़ है | यानी एक इंसान को दुनिया की शान व शौकत, दुनिया की लाज्ज़तें, दुनिया की खवाइशें बड़ी खुशनुमा मालूम होती है | गोया कि यह दुनिया खुशनुमा भी है और बजाहिर मजेदार भी है | लेकिन अल्ला...