بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم
” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है”
जानवरों के हुक़ूक़ –
इस्लाम में जानवरों के साथ कैसा बरताव करना चाहिए,ये तफ्सील से बताया गया है | बेज़बान जानवर जो कुछ बोलते नहीं और मुतालबा भी नहीं करते उसका ख्याल करना हमारे लिए ज़रूरी है |
इसके मुताल्लिक चंद हदीसें –
हजरत इब्ने उमर रज़ि और हज़रत अबू हुरैरह रजि दोनों ने हुजूर सल्ल का यह इर्शाद नकल किया कि एक औरत को इस पर अज़ाब किया गया कि उसने एक बिल्ली को बांध रखा था, जो भूख की वजह से मर गयी, न तो उसने उसको खाने को दिया न उसको छोड़ा कि वह जमीन के जानवरों (चूहे वगैरह) से अपना पेट भर लेती।
हुजूरे अक्स सल्ल. से मुख्तलिफ अहादीस में मुख्तलिफ उन्वानात से यह मज़मून नकल किया गया कि इन जानवारों के बारे में अल्लाह तआला से डरते रहा करो।
गौर करने की बात –
जो लोग जानवरों को पालते हैं, उनकी जिम्मेदारी सख्त है कि वे बे-ज़बान जानवर अपनी जरूरियात को जाहिर भी नहीं कर सकते ऐसी हालत में उनके खाने पीने को खबरगीरी बहुत अहम और जरूरी है। इसमें बुख़्ल से काम लेना अपने आप को अज़ाब में मुब्तला करने के लिए तैयार करना है। बहुत से आदमी जानवरों के पालने का तो बड़ा शौक रखते हैं लेकिन उनके घास दाने पर खर्च करते हुए जान निकलती है।
एक ऊँट की शिकायत –
एक मर्तबा हुज़ूरे अवदस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तशरीफ ले जा रहे थे। रास्ते में एक ऊंट नज़रे अकदस से गुज़रा, जिसका पेट कमर से लग रहा था। (भूख की वजह से या दुबलेपन की वजह से।) हुज़ूर सल्ल. ने इर्शाद फ़रमाया कि इन बे-ज़बान जानवरों के बारे में अल्लाह से डरते रहा करो, उनकी अच्छी हालत में उन पर सवार हुआ करो और अच्छी हालत में उनको खाया करो।
हुज़ूर सल्ल० की आदते शरीफा यह थी कि इस्तिंजे के लिए जंगल में तरफ ले जाया करते थे, किसी बाग में या किसी टीले वगैरह की आड़ में | ज़रूरत से फरागत हासिल करते।
एक मर्तबा इस ज़रूरत से एक बाग़ में तशरीफ ले गये, तो वहां एक ऊँट था, जो हुज़ूर सल्ल० को देखकर बड़ने लगा और उसकी आँखों से आंसू जारी हो गये। (एक मारूफ चीज़ है कि हर मुसीबत-ज़दा का किसी गमख्वार को देखकर दिल भर आता है।) हुज़ूर सल्ल उसके पास तशरीफ़ ले गये, उसके कानों की जड़ पर शफ़क़्क़त का हाथ फेरा, जिससे वह चुपका हुआ।
हजुर सल्ल. ने फ़रमाया कि इस ऊंट का मालिक कौन है? एक अंसारी तशरीफ़ लाये और अर्ज़ किया कि मेरा है। हुजूर सल्ल. ने फ़रमाया कि तुम उस अल्लाह से जिसने तुम्हें इसका मालिक बनाया है, डरते नहीं हो? यह ऊँट तुम्हारी शिकायत करता है कि तुम इसको भूखा रखते हो और काम ज्यादा लेते हो।
जानवरों को दागना –
एक और हदीस में है कि एक मर्तबा हुजूर सल्ल. ने एक गधे को देखा कि उसके मुंह पर दाग़ दिया गया। हुज़ूर सल्ल. ने फ़रमाया कि तुमको अब तक यह मालूम नहीं कि मैंने उस शख़्स पर लानत की है, जो जानवर के मुंह को दाग दे या मुँह पर मारे। अबू-दाऊद शरीफ़ में ये रिवायात ज़िक्र की गयीं |
इनके अलावा और भी मुख्तलिफ रिवायात में इस पर तंबीह की गयी है कि जानवरों को खबरगीरी में कोताही न की जाए और जब जानवरों का यह हाल है और उनके बारे में ये तंबीहात हैं तो आदमी जो अशरफुल मख़्लूकात’ है उसका हाल खूब जाहिर है और ज़्यादा अहम है।
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
दुआ की गुज़ारिश
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