بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
नमाज़ इस्लाम का दूसरा अहम रुक्न (pillers of islam) है।
“हर बालिग मर्द हो या औरत दिन रात में पांच नमाजों का अपने वक़्त पर पढ़ना फ़र्ज़ है”
इस्लाम में नमाज़ पढ़ने के कुछ शर्ते हैं – जिसके बिना नमाज़ नहीं होगी
बाहिरी एतेबार से नमाज़ के कुल 7 शर्तें हैं –
(1) बदन का पाक होना – नापाक हो तो गुस्ल करना चाहिए,नापाकी के हालत में रहना गुनाह है और नमाज़ भी नही होगी।
(2) कपड़े का पाक होना – कपडे पर किसी तरह की गंदगी या पेशाब के छीटे हो तो नमाज़ नही होती|
(3) जगह का पाक होना –जहां नमाज़ पढ़ी जाए वहां की जगह पाक होनी जरूरी है।गीली जगह या कोई गंदगी लगी हो वहां पढ़ना सही नहीं।
(4 ) वक़्त का होना – किसी भी नमाज़ को अपने मुकर्रर वक़्त पर ही पढ़ना चाहिए ,किसी और वक़्त की नमाज़ कज़ा करके
दुसरे वक़्त पढ़ना या नमाज़ में देरी करना गुनाह है|
(5) क़िब्ला का मालूम होना –यानी काबे के तरह (पश्चिम की तरफ)
(6) नमाज़ की नीयत करना – नमाज़ पढ़ने की नीयत करना के कौन सी नमाज़ पढ़ रहे हैं(मसलन फज्र, जुहर वगैरह)
(7) सतर का छुपाना – मर्दों के लिए सतर,नाभ से लेकर एडी के उपर तक छुपाना है
नमाज़ के अंदुरुनी 6 शर्तें हैं –
(1) तकबीरे तहरीमा कहना – (तकबीरे ताहरीमा यानी अल्लाह हू अकबर कहना)
(2) कयाम करना – (सीधे खड़े रहना)
(3) किरात करना – (क़ुरान करीम की तिलावत करना )
(4) रुकुह करना – (झुकना )
(5)सजदा करना – (दो सजदा करना)
(6) तशद्दुद के हालत में बैठना – (दोनों पैरों पे बैठना )
तो ये कुल 13 शर्ते है,जिस के एक भी छोड़ने से नमाज़ नही होगी
पांच नमाज़ें और रिकात –
फज़र (FAZR) (कुल 4 रिकात ) | जुहर (JOHAR) (कुल 12 रिकात ) | अस्र (ASR) (कुल 8 रिकात ) | मगरिब (MAGRIB) (कुल 7 रिकात ) | ईशा (ISHA) (कुल 17 रिकात ) |
---|---|---|---|---|
सुन्नत(मो०) - 2 रिकात | फ़र्ज़ - 4 रिकात | सुन्नत - 4 रिकात | सुन्नत (मो ० ) 2 रिकात | फ़र्ज़ - 4 रिकात |
फ़र्ज़ - 2 रिकात | सुन्नत(मो०) 4 रिकात | फ़र्ज़ - 4 रिकात | फ़र्ज़ - 3 रिकात | सुन्नत - 4 रिकात |
सुन्नत (मो ० ) 2 रिकात | नफ़्ल - 2 रिकात | सुन्नत (मो ० ) 2 रिकात | ||
नफ़्ल - 2 रिकात | नफ़्ल - 2 रिकात | |||
वित्र - 3 या 1 रिकात | ||||
नफ़्ल - 2 रिकात |
नमाज़ पढने का तरीका –
वजू के बाद पाक जगह पर, किबले की तरफ मुह कर के खड़े हों,नमाज़ की नियत करके दोनों हाथ कानों तक उठा कर अल्लाह हुअकबर कहकर अपने हाथ को नाफ के नीचे बांध लें,दाहिने हाथ को उपर और बाया हाथ को नीचे राखे,निगाह सिजदे की तरफ हो
और सना पढ़े –
तर्जुमा – ऐ अल्लाह तेरी ज़ात पाक है खूबियों वाली और तेरा नाम बरकत वाला है और तेरा नाम ऊँचा है और तेरे सिवा कोई मअबूद नहीं
इसके बाद ये पढ़े –
फिर –
بِسْمِ ٱللَّٰهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
शुरू अल्लाह जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
फिर क़ुरआन करीम की पहली सूरह फ़तिहा यानी (ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ) पढ़े और अमीन कहें,और इसके बाद क़ुरान करीम कोई सूरत पढ़े छोटी हो
या बड़ी लेकिन कम से कम 3 आयतें ज़रूर पढ़ें |
अल्लाह हु अकबर कहकर रुकुह में जाएं यानी झुके,रुकुह में दोनों हाथों से घुटने को पकड़ लें,
और 3 बार पढ़े
तर्जुमाः पाकी बयान करता हु मैं अज़ीम रब की
फिर सीधा खड़े हों और कहे –
तर्जुमाः सुन ली अल्लाह उसकी बात जिसने उसकी तारीफ की
उसके बाद रब्बना लकल हम्द पढ़े और सजदे में जाएं
और 3 बार ये पढ़े –
तर्जुमाः पाकी बयान करता हु अपने आला और ऊचे रब की
सजदे में जाते वक़्त पहले दोनों घुटने ज़मीन पर रखें,फिर दोनों हाथ को और दोनों हाथों के बीच में पहले नाक फिर पेशानी ज़मीन पर रखें|
फिर अल्लाह हु अकबर कहते हुए पहले पेशानी फिर नाक को उठाएं ,इसी तरह दूसरा सजदा भी पूरा करें |पहली रकात के होने पर दूसरी रिकात इसी तरह पूरा करें (लेकिन दूसरी रकअत में सना नहीं पढ़ना चाहिए)
दूसरी रकात के दो सजदों के बाद अल्लाह हु अकबर कह कर जो दोनों पैरों पर बैठते हैं उसे तशादुद कहते हैं,तशद्दुद यानि बैठे हुए निगाह गोद पर होना चाहिए,और पढ़े –
Note –
अशहदु अल लाइलाहा पढ़ते वक़्त अपनी शहादत की उंगली को हल्का सा ऊपर उठाये, फिर वाशहददु अन्ना पढ़ कर वापस निचे कर लें (अगर 4 रकात नमाज़ पढ़ रहे हो तो तशद्दुद में शहादत उंगली निचेकरने के बाद अल्लाह हु अकबर कहते हुए तीसरी रिकात के लिए खड़े हों और तीसरी और चौथी रकात पूरी करें )
उसके बाद दरूदे इब्राहिम पढ़े –
ٱللَّٰهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَعَلَىٰ آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ وَعَلَىٰ آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ ٱللَّٰهُمَّ بَارِكْ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَعَلَىٰ آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا بَارَكْتَ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ وَعَلَىٰ آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ |
दरूद इब्ररहीम पढ़ने के बाद कोई दुआ पढ़े जैसे (रब्बना अतिना) वाली याद हो तो पढ़ ले दुआ पढ़ने के बाद पहले दाहिने तरफ फिर बायीं तरफ मुँह फेर कर सलाम कहें
Note –
वीतर(witr) नमाज़ का तरीक़ा फ़र्ज़ और सुन्नतों व नवाफिल से अलग है,वीतर नमाज़ में तीसरी रकअत में सुरह फातिहा और एक कोई भी सुरह पढ़ने के बाद अल्लाह हु अकबर कहकर हाथ कन्धे तक उठा कर बांध ले और दुआ ए क़ुनूत पढ़े |
सजदा सहु –
अगर नमाज़ के दौरान कोई गलती हो जाये तो सजदा ए सहु करना चाहिए,इसका तरीक़ा ये है के तशद्दुद में बैठे हुए अत्तहिय्यत और दरूद ए इब्राहिम और दुआ के बाद सिर्फ दाहिने तरफ सलाम करें और दो सजदा करें फिर नमाज़ पूरी करें |
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
पोस्ट को अपने दोस्त अहबाब को share करें
दुआ की गुज़ारिश
Comments
Post a Comment