بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
जनाज़े की नमाज़ –
जनाज़े की नमाज़ फ़र्ज़ ए किफ़ाया है यानी एक ने भी पढ़ ली तो सब बरी उल जिम्मा हो गए,वरना जिस जिस को खबर पहुंची और न पढी तो गुनाहगार होगा और इसकी फर्ज़ियत का जो इनकार करे वो काफिर है |
इसके मुताल्लिक हदीस –
हज़रत अली (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – मुसलमान के दुसरे मुसलमान पर 6 हुकुक हैं –
- जब मुलाक़ात हो तो उसको सलाम करे
- जब दावत दे तो उसकी दावत कुबूल करे
- जब छिक आए (और अल हम्दु लिल्लाह ) कहे तो उसके जवाब में (यरहमुकल्लाह) कहे
- जब बीमार हो तो उसकी ईयादत करे
- जब इंतकाल कर जाये तो उसके जनाज़े के साथ जाये
- और उसके लिए वही पसंद करे जो अपने लिए पसंद करता है |
जनाज़ा की नमाज़ का तरीका –
जनाज़े की नमाज़ में कुल 4 तकबीर हैं –
(1) पहली तकबीर – सना पढना
(2) दूसरी तकबीर – दरूद शरीफ़ पढना
(3) तीसरी तकबीर – मय्यत की दुआ
(4) चौथी तकबीर – दोनों कन्धों पर सलाम फेरना
नमाज़ ए जनाज़ा का तरीका यह है कि पहले नियत करना के जनाज़े की नमाज़ पढ़ रहा हु फिर अपने दोनों हाथ कंधे तक उठा कर अल्लाह हु अकबर कहे (अगर जमात से पढ़ रहे हों तो ईमाम के अल्लाह हु अकबर कहने के बाद कहे )
पहली तकबीर कहकर (हाथ बधे हुए) सना पढ़े –
سُبْحَانَكَ اَّللُهَّم َوِبحَمْدِكَ وَ تَبَاْرَكَ اسْمُكَ َوتَعَالَئ جَدُّكَ وَجَلَّ َثَناءٌكَ وَلَااِلَه غَيْرُكَ
( हिंदी )
” सुबह़ानका अल्लाह हुम्मा व बिहमदिका व तबारकस्मुका व तआला जद्दुका व जल्ला सनावूका वला इलाहा गैरुक “
फिर दूसरी तकबीर कहकर बिना हाथ उठाये दुरूद ए इब्राहीम (जो नमाज़ में पढ़ते हैं)
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ، وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
ये याद न हो तो दूसरी पढ़ सकते हैं |
तीसरी तकबीर कहने के बाद मय्यत के लिए मगफिरत की दुआ पढ़े –
बालिग़ मर्द या औरत हो –
” अल्लाहुम-मगफिर हय्यिना व मय्यतिना व शाहिदिना व गाएबिना
व सगिरिनाव कबिरिना व जकरिना व उन्साना
अल्लाह हुम्मा मन अहयैतहु मिन्ना फअहएही अलल इस्लामी
व मन तवाफ़फैतहु मिन्ना फतवफ्फहू अलल ईमान “
तर्जुमा –
इलाही! बख़्श दे हमारे हर जि़न्दा को और हमारे हर फ़ौत शुदा को और हमारे हर ह़ाजि़र को और हमारे हर ग़ाइब को और हमारे हर छोटे को और हमारे हर बड़े को और हमारे हर मर्द को और हमारी हर औरत को। इलाही! तू हम में से जिस को जि़न्दा रखे तो उस को इस्लाम पर जि़न्दा रख और हम में से जिस को मौत दे तो उस को ईमान पर मौत दे।
नाबालिग़ लड़का हो –
अल्लाह हुम्मज अल्हो लना फरतऊ वजअल्हु लना अजरउ व जुखरऊ वज अल्हु लना शफेऔ व मुशाफ्फान
तर्जुमा –
इलाही! इस (लड़के) को हमारे लिये आगे पहुंच कर सामान करने वाला बना दे और इस को हमारे लिये अज्र (का मूजिब) और वक़्त पर काम आने वाला बना दे और इस को हमारी सिफ़ारिश करने वाला बना दे और वो जिस की सिफ़ारिश मन्ज़ूर हो जाए।
नाबालिग़ लड़की हो –
अल्लाह हुम्मज अल्हो लना फरतऊ वजआल्हा लना अजरऊ वजुखरऊ वज अल्हा लना शाफेअतऊ मु शफ़ फअअ
तर्जुमा –
इलाही! इस (लड़की) को हमारे लिये आगे पहुंच कर सामान करने वाली बना दे और इस को हमारे लिये अज्र (का मूजिब) और वक़्त पर काम आने वाली बना दे और इस को हमारी सिफ़ारिश करने वाली बना दे और वो जिस की सिफ़ारिश मन्ज़ूर हो जाए।
चंद मसाइल –
- जिसको मय्यत की दुआ याद न हो तो वह अल्लाह हुम्मा मग्फिरली पढ़ ले
- नमाज़ ए जनाज़ा की चारों तक्बिरों में सिर्फ पहली तकबीर पर हाथ उठाएं,बाकी में नही और चौथे तकबीर में बिना कुछ पढ़े सलाम फेर दें |
- जिसकी बाज़ तक्बीरें छुट गयीं,वह अपनी छुटी हुई तक्बीरें इमाम के सलाम फेरने के बाद कहे
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआ की गुज़ारिश
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