بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
जिन्न कौन हैं –
अल्लाह तआल़ा की तमाम मख्लुकों में से एक मखलूक जिन्न भी हैं, जो आग से पैदा की गई है | अल्लाह तआला ने जिन्न को ये अख्तियार दीया है के वे कोई भी शक्ल बदल ले और रफ़्तार इतनी तेज़ है के एक मिनट में हज़ारों मिल का सफ़र तये कर लें | जिन्नात एक गाएब मखलूक है जो आम इसानों को दिखाई नही देती |जिन्नात को जुमेरात के दिन पैदा किया गया |इसके वजूद का इन्कार करना कुफ्र है |
कुरआन मजीद में अल्लाह तआला का इरशाद –
” और जिन्नात को आग के शोले से पैदा किया “
इसके मुताल्लिक हदीस –
हज़रत आयेशा (रज़ि०) से रवायत है के, हुज़ूर (स० आ०) ने फ़रमाया – फरिश्तों को नूर से और जिन्नों को आग से पैदा किया गया और आदम को उस चीज से पैदा किया गया जो तुम्हारे लिए बयान कर दी गई यानी मिट्टी से। (मुस्लिम)
जिन्नात की किस्में (types) –
(1) जो जिन्न अपनी असली शक्ल में होते हैं उसे जिन्नी कहा जाता है |
(2) जो जिन्न इंसानों के साथ रहते है उन्हें आमिर कहा जाता है |
(3) जो बच्चों को तकलीफ़ देने वाले जिन्न हैं उन्हें अरवह कहते हैं |
(4) वो जिन्न जो बुरे और बद -अमल होते हैं उसे शैतान कहते हैं |
(5) वो जिन्न जो बैतूल खला (toilet) में रहते हैं उन्हें खब्बिस कहते है |
जिन्नों के शरकशी का अंजाम –
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र और हजरह अब्दुल्लाह बिन अब्बास(रज़ि०) फरमाते हैं आदम (आ ० स ०) से दो हज़ार साल पहले जिन्नात इस जमीन पर रिहाईश वज़ीर थे। आहिस्ता आहिस्ता फिस्को फुजुर में मुब्तिला हो गए वो फित्ना फसाद में पड़ गए नाहक खून बहाने लगे फिर अल्लाह ने फरिश्तों का लशगर भेजा, उनसे जिन्नात की जबरदस्त मरका अराई हुई । और फरिश्तों ने जिन्नात को तहस नहस कर दिया और वो समंदर के जाजिरों पे पनाह लेने को मजबुर हो गए।
उनका मज़हब –
इसानों की तरह जिन्नों में भी मुसलमान और काफ़िर होते हैं, यानी नेक जिन्न नमाज़ पढ़ते हैं और अल्लाह की इबादत में मश्गुल रहते हैं और जो बदमज़हब होते हैं वो सरकश और फ़ितनों फसाद करते फिरतें हैं |बदमज़हब जिन्न की तादाद नेक के बनिस्बत ज्यादा है |
खाना –
एक हदीस में रसूल अल्लाह (स०अ०) फरमाते हैं – कोई शख्स तुम में में से हड्डी से इस्तिन्ज़ा न करे इसलिए के मेरे पास कुछ जिन्न आये और कहा या रसूल अल्लाह (स०अ०) अपनी उम्मतियों से कहो की हड्डी से तहारत न करे क्युकि जो जानवर जिस पर अल्लाह का नाम लेकर ज़िबा किया जाता है, उसकी हड्डी हमारे लिए गोस्त बना दी गई है |
हदीस से मालूम हुआ के जिन्नातों का खाना हड्डी है और इससे इस्तिन्ज़ा या तहारत करने से आप (स०अ०) ने मना फ़रमाया |
रहना (ठिकाना ) –
एक हदीस में है के आप (स०अ०) क़ज़ा ए हाजत के लिए कुछ दूर तशरीफ़ ले गए के वहीँ से कुछ आवाजें आने लगी, जब आप (स०अ०) वापस आये तो सहाबा (रज़ी०) ने पूछा के वो आवाजें कैसी थी तो आप (स०अ०) ने फरमाया – दो जिन्नों की जमाअत रहने के लिए आपस में झगड़ रही थी और वो सब मेरे पास फैसला करने के लिए आये तो मैंने नेक जिन्नों को पहाड़ पे रहने का हुक्म दिया और जो बुरे और सरकश थे उन्हें निचली जगह में रहने को कहा |
जिन्नों का ठिकाना ज़जीरे या एसी जगह जहाँ आबादी न हो जैसे खंडर और पुराने टीले वगैरह |
जिन्नी मखलूक को (गैब का जानने वाला) मानना कुफ्र –
जिन्नों के बारे में ये अकीदा रखना के वो गैब की बातें जानते हैं,कुफ्र और शिर्क है और इससे मदद मांगना भी जाएज़ नही|
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने कुरआन में फरमाता है –
” फिर जब हम ने उन पर मौत का हुक्म भेज दिया तो उन की खबर जिन्नात को किसी ने ना दी सिवाए घुन के कीड़े के जो उन की असा को खा रहा था | पस जब (सुलैमान) गिर पड़े उस वक़्त जिन्नों ने जान लिया के अगर वह गैब दान होते तो उस ज़िल्लत के अज़ाब में मुब्तला ना रहते ” (सुरह – सबा, आयत – 14)
अल्लाह के यहाँ हिसाब होगा –
अल्लाह का इरशाद है –
” मैंने जिन्नात और इंसान को मेहज इसी लिए पैदा किया है के वह सिर्फ मेरी इबादत करें “
इन्सान और जिन्न एसे दो मखलूक हैं जिनसे क़यामत के दिन अल्लाह तआला हिसाब लेगा के दुनिया में क्या कर के आए | अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने इंसान और जिन्न को ये अख्तियार दे रखा है के दुनिया में नेकी या बुराई करे फिर नेकी करता है तो उसका बदला अच्छा होगा और अगर नाफ़रमानी की होगी तो उसकी शख्त सज़ा मिलेगी |
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआ की गुज़ारिश
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