फ़रिश्ते कौन हैं ?
फ़रिश्ते यानी (मलईका) अल्लाह तआला की मख्लुख हैं |नूर से पैदा हुए हैं,हमारी नजरों से गायब हैं|ना मर्द हैं और ना ही औरत,ज़र्रा बराबर भी अल्लाह तआला की नाफ़रमानी नही करते|जिस कामों पर अल्लाह तआला ने उन्हें मुक़र्रर कर दिया है उन्हीं में लगे रहते हैं,कोई सजदे में है तो कोई रुकुह में, हर घड़ी अल्लाह की हमद व सना में होते हैं |
फरिश्तों की तादाद –
फरिश्तों की गिनती अल्लाह रब्बुल इज्ज़त के सिवा कोई नही जनता,हदीस शरीफ में है के असमान व ज़मीन में कोई एक बालिश की भी जगह खाली नही है जहाँ फ़रिश्ते अपने पेशानी सजदे में न रखी हो | अलबत्ता चार मशहूर फ़रिश्ते हैं जिनका ज़िक्र कुरान व हदीसों से मालूम होता है |
4 मशहूर अरिश्तें –
(1) हज़रत जिब्रील (अ०स०) – हज़रत जब्रील (अ०स०) का काम, अल्लाह रब्बुल इज्ज़त की किताबों और अह्काम व पैग़ाम, पैगम्बरों के पास लाने का था | फरिश्तों में सबसे अफज़ल हैं |
(2) हज़रत इसराफ़ील (अ०स०) – हज़रत इस्राफ़ील (अ०स०) का काम,क़यामत में सूर फुकने का है |हमेशा सूर को अपने मुह से लगाये रहते हैं के कब अल्लाह रब्बुल इज्ज़त का सूर फुकने का हुक्म आ जाये |
(3) हज़रत मीकाईल (अ०स०) – अल्लाह तआला के हुक्म से बारिश बरसाने और रोज़ी पहुचाने के काम पर मुक़र्रर हैं|
(4) इजराईल (अ०स०) – मखलूक का जान निकलने का ज़िम्मा,अल्लाह ने इजराईल (अ०स०) को सौपा है |
फरिश्तों के मुख्तलिफ काम –
चार मशहूर फ़रिश्तों के अलावा और भी कुछ फ़रिश्ते हैं जिसके काम ये है –
(1) हर इंसान के साथ दो फ़रिश्ते रहतें हैं |एक फ़रिश्ता उसके नेक काम को लिखता है तो दूसरा बुरे काम को लिखता है |उन दोनों फरिश्तों के नाम ” करामन – कातेबीन ” है |
(2) कुछ फ़रिश्ते आफतों और बलाओ से इन्सान की हिफाज़त करने पर मुक़र्रर हैं|बच्चों ,बूढों,कमजोरों की और जिन लोगों के बारे में अल्लाह तआला का हुक्म होता है उनकी हिफाज़त करते हैं|
(3) कुछ फ़रिश्ते इन्सान के मर जाने के बाद,कब्र में सवाल पूछने पर मुक़र्रर हैं |हर इंसान के कब्र में दो फ़रिश्ते आतें हैं,जिनके नाम ” मुनकर -नकीर है|
(4) कुछ फरिश्तों को इस काम पर मुक़र्रर हैं के दुनिया में फिरते रहें और जहाँ अल्लाह तआला का ज़िक्र होता है या क़ुरान मजीद पढ़ा जाता हो या दरूद शरीफ़ पढ़ा जाता हो या दीन के इल्म की तालीम होती हो और जितने लोग उस मज्लिम में शरीक हों उन सबकी शिरकत की अल्लाह तआला के सामने गवाही दें |
(5) कुछ फ़रिश्ते जन्नत के इंतजामों और उसके कारोबार पर मुक़र्रर हैं और कुछ दोजख के इंतज़ाम पर मुक़र्रर हैं |
(6) कुछ फ़रिश्ते अल्लाह तआला के अर्श के उठाने वाले हैं |
(7) कुछ फ़रिश्ते दिन रात अल्लाह रब्बुल इज्ज़त की इबादत और तस्बीह में मशगुल रहते हैं |
फरिश्तों की ड्यूटी का वक़्त –
दुनिया में जो फ़रिश्ते काम करतें हैं उनकी सुबह – शाम तबदीली भी होती है |सुबह की नमाज़ के वक़्त रात वाले फ़रिश्ते आसमानों पर चले जाते हैं और दिन के काम करने वाले आ जाते हैं | असर की नमाज़ के बाद दिन वाले फ़रिश्ते चले जाते हैं और रात के काम करने वाले आ जाते हैं|
मसला –
फ़रिश्ते के वजूद का इनकार करना कुफ्र है | फरिश्तों की बेअदबी यानी (बुरा भला कहना) या उनको खालिक मानना भी कुफ्र है |
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
पोस्ट को ज़रूर अपने दोस्तों में share करें
दुआ की गुज़ारिश
Comments
Post a Comment