بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
मौत क्या है –
अल्लाह तआला का इरशाद है –
كُلُّ نَفْسٍ ذَآئِقَةُ الْمَوْت
हर नफस को मौत का मज़ा चखना है |
हर शख्स (मर्द या औरत ) की उमर मुकर्रार है,न उससे घट सकती है और ना बढ़ सकती है |
जब ज़िन्दगी का वक़्त पूरा होता है तो हज़रत इजराईल (अ०स०) रूह निकालने के लिए आते हैं |उस वक़्त मरने वाले को दायें – बायें जहान तक नज़र जाती है फ़रिश्ते ही फ़रिश्ते दिखाई देते हैं|
मोमिन के पास रहमत के फरिश्तें होते हैं और ब-आसानी रूह निकल जाती है जैसे आटे से बाल निकाला जाता है | और अगर मरने वाला नाफरमान या काफिर होता है तो अज़ाब के फ़रिश्ते नज़र आते हैं और रूह बहुत सख्ती से निकलती है |
फ़रिश्ते के दिखने के बाद तौबा कुबूल नही क्युकि उस वक़्त छुपी बातें वाजेह हो जातीं हैं |
मौत के मुताल्लिक हदीस –
जब इंसान मर जाता है तो उस आलम से मुन्ताकिल हो कर आलमे बरज़ख में पहुच जाता है खवाह अभी उसे कब्र में भी न रखा जाये या आग में भी न जलाया जाये|उस में समझ और शाउर होता है और अज़ाब के दुःख -दर्द और आराम व राहत को महसूस करता है |रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया के – जब लाश (चारपाई वगैरह) पर रख दी जाती है और उसके बाद क़बर्स्तान ले जाने के लिए लोग उसे उठाते हैं,अगर वो नेक था तो कहता है के मुझे जल्द ले चलो और अगर वह नेक न था तो घर वालों से कहता है,हाय!मेरी बर्बादी,मुझे कहाँ ले जाते हो (फिर फ़रमाया के ) इंसान के सिवा हर चीज़ उस की आवाज़ सुनती है |अगर इंसान उस की आवाज़ सुन ले तो बे-होश हो जाये | (बुखारी )
कब्र का मुर्दे को दबाना –
मुर्दे को कब्र में दफ़न के बाद, मुर्दे की रूह जिस्म में लौटाई जाती है,फिर कब्र मुर्दे को दबाती है|मोमिन को इस तरह जैसे माँ,बच्चे को और काफिर हो इस तरह के इधर की पसलियाँ उधर हो जाती हैं|
कब्र में 3 सवालात
दो फ़रिश्ते जिनका नाम मुन्किर – नकीर है,उनकी शक्ल डरावनी और बड़े बड़े दांतें जिनसे ज़मीन चीरते हुए आते हैं और मुर्दे को झंझोरते हुए उठाएंगे और ये 3 सवाल करते हैं –
(1) मन रब्बुका – तेरा रब कौन है |
(2) मा दीनुका – तेरा दीन क्या है |
(3) मा कुन्ता तकुलु फी हाज़र रजुल – इनके बारे में तू क्या कहता था |
मोमिन का जवाब –
पहले सवाल के जवाब में मोमिन कहता है – मेरा रब अल्लाह है|फिर दुसरे सवाल के जवाब में कहता के मेरा दीन इस्लाम है और तीसरे सवाल के जवाब में कहता है वह अल्लाह के रसूल (स०अ०) हैं|इसके बाद असमान से एक अल्लाह का मुनादी आवाज़ देता है के तूने सच कहा सो इसके लिए जन्नत के बिछौने बिछा दिए जातें हैं और जन्नती कपडे उसे पहना दिए जाते हैं और जन्नत का दरवाज़ा खोल दिया जाता है और हद्दे निगाह तक कब्र वसीह कर दी जाती है |
काफ़िर का जवाब –
पहले सवाल के जवाब में काफिर कहता है – हाए -हाए मुझे पता नही |फिर दुसरे सवाल के जवाब में कहता है हाए – हाए मुझे पता नही |और तीसरे जवाब में भी यही कहता है हाए – अफ़सोस मैं नही जानता |फिर असमान से एक मुनादी आवाज़ लगता है के तूने झूठ कहा सो इसके नीचे आग का बिछौना बिछा दिया जाता है और जहन्नुम का दरवाज़ा खोल दिया जाता है और कब्र उसपर तंग कर दी जाती है |
कब्र का अज़ाब –
हज़रत अबू सईद खुदरी (रज़ी०) फरमाते हैं के रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया के – कब्र में काफ़िर पर ज़रूर 99 अजदहे मुसल्लत कर दिए जाते हैं जो क़यामत तक उसको डसते रहते हैं |उनके ज़हर का ये आलम है के अगर उनमें से एक भी ज़मीन पर फूक़ मार दे तो ज़मीन बिलकुल सब्जी न उगाए |
हज़रत बरा बिन आजिब (रज़ी०) की एक रिवायत में है के रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया के – जब काफिर जवाब देता है के हाए – हाए मुझे पता नही!तो असमान से एक मुनादी आवाज़ देता है के उस ने झूठ कहा ,उसके नीचे आग बिछा दो और उसे आग का पहनावा पहना दो और उसके लिए दोज़ख का एक दरवाज़ा खोल दो चुनांचे दरवाज़ा खोल दिया जाता है जिसके जरिये दोजख की तपिश और शख्त गर्म लू आती रहती है और उसकी कब्र तंग कर दी जाती है |यहाँ तक के उसकी पसलियाँ इधर की उधर हो जातीं हैं |फिर उसकोअज़ाब देने ले लिए एक (अज़ाब देने वाला) मुक़र्रर कर दिया जाता है, जो अंधा और बहरा होता है उसके पास लोहे का गुर्ज होता है जिसकी हकीक़त ये है के अगर पहाड़ पर मार दिया जाये तो पहाड़ ज़रूर मिट्ठी हो जाये |(फिर इरशाद फ़रमाया के ) उस गुर्ज को एक मर्तबा मारता है तो उसकी आवाज़ इंसान और जिन्नात के अलावा पूरब – पश्चिम के दरमियान सारी मखलूक सुनती है |एक मर्तबा मारने से वह मिट्ठी हो जाता है और फिर रूह लौटा दी जाती है |(अबू – दाऊद )
मामूली बातों पर कब्र का अज़ाब होना –
हज़रत इबने अब्बास (रज़ी०) से मारवी है के रसूले खुदा (स०अ०) का दो क़ब्रों पर गुज़र हुआ तो आप ने इरशाद फ़रमाया – इनको अज़ाब हो रहा है और किसी बड़े गुनाह के सबब नही हो रहा है बलके एसी मामूली बातों पर जिनसे बच सकते थे |फिर आप ने उन दोनों के गुनाहों की तफसील बताई के – उन दोनों में से एक तो पेशाब करते में पर्दा नही करता था (एक रिवायत में है के पेशाब से न बचता था ) और ये दूसरा चुगली करता फिरता था |फिर आप ने एक टहनी मंगाकर बीच में से उसको चीर कर आधी उस कब्र में गाड़ दी और और आधी दुसरे कब्र में,सहाबा ने अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह (स०अ०) आप ने एसा क्यों किया,आप ने इरशाद फ़रमाया के – शायद उन दोनों का अज़ाब उनके सूखने तक हल्का कर दिया जाये | ( बुखारी,मुस्लिम )
अल्लाह कब्र के अज़ाब से हम सब की हिफाज़त फरमाए – अमीन
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआ की गुज़ारिश
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