بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
याजूज और माजूज कौन हैं –
याजूज और माजूज की कौम,हज़रत नुह (अ०स०) के तीसरे बेटे (याफिस) की औलाद में से है |
याजूज और माजूज बहुत फसादी कौम थी,लूट मार करना और लोगों को परेशान करना उनका पेशा था, इनकी तादाद बहुत ज्यादा है,बहार के मौसम में निकलते थे,हरी चीजें सब खा जाया करते थे,यहाँ तक के आदमियों,जंगली जानवर,सांप,बिच्छू को खा जाते थे|
याजूज माजूज,क़यामत के नजदीक वापस निकलेगें और पूरी दुनिया में फ़ैल जायेंगे |
कुराने करीम में याजूज माजूज का ज़िक्र –
सुरह कहफ़ में अल्लाह तआला का इरशाद है –
” यहाँ तक के जब दो दरयाओं के दरमियान पंहुचा उन दोनों के परे उसने एक एसी कौम पाई जो बात समझने के करीब भी ना थी “( आयत -93 )
” उन्होंने कहा -ए ज़ुल-करनैन ! याजूज माजूज इस मुल्क में (बड़े भारी) फसादी हैं,तो क्या हम आप के लिए कुछ खर्च का इंतज़ाम कर दें ? (इस शर्त पर) के आप हमारी और उनके दरमियान एक दिवार बना दें ” (आयत – 94)
” उस ने जवाब दिया के मेरे अख्तियार में मेरे परवरदिगार ने जो दे रखा है वो बेहतर है,तुम सिर्फ कुवत ताक़त से मेरी मदद करो ” (आयत -95)
” मै तुम में और उन में मज़बूत हिजाब बना देता हु|मुझे लोहे की चादरें ला दो|यहाँ तक के जब उन दोनों पहाड़ों के दरमियान दिवार बराबर कर दी तो हुक्म दिया के आग तेज़ जलाओ ता वक्ते के लोहे की उन चादरों को बिलकुल आग कर दिया,तो फ़रमाया मेरे पास लाओ इस पर पिघला हुआ ताम्बा डाल दूँ ” (आयत -96)
” पस तो उन में उस दिवार के उपर चड़ने की ताक़त थी और ना उसमे कोई सुराख कर सकते थे “ (आयत -97)
“कहा ये मेरे रब की मेहरबानी है हाँ जब मेरे रब का वादा आएगा तो इसे ज़मीन बोस कर देगा,बेशक मेरे रब का वादा सच्चा और हक़ है ” (आयत – 98)
याजूज माजूज के मुताल्लिक हदीसें –
” हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद (रज़ी०) से मर्वी है के अल्लाह के रसूल (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – फिर याजूज माजूज निकलेंगे और हर टीले से दोड़ते हुए आयेंगे वो इन लोगों के शहर को रोंद डालेंगे,हर चीज़ को तबाह ओ बर्बाद कर देंगे ,जिस पानी (समंदर या दरया) से गुजरेंगे उसे पी जायेंगे |फिर लोग, मेरे ईशा (अ०स०) के पास शिकायत लेकर तो मै, अल्लाह तआला से याजूज माजूज के लिए बद्दुआ करूँगा और अल्लाह तआला इन सब को हलाक कर डालेंगे ” (मसनदे अहमद )
” हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से मर्वी है के अल्लाह के रसूल (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – फिर वो दीवार तोड़ कर लोगों पर निकल आयेंगे,सारा पानी पी जायेंगे,लोग किला बंद हो जायेंगे,तो वो (याजूज माजूज ) अपने तीर आसमान की तरफ फेकेंगे जिन्हें अल्लाह तआला खून लगा कर नीचे फेकेंगा तो वो कहेंगे के हम ने आसमान वालों पर भी गलबा पा लिया है जिस तरह हम अहले जमीन पर ग़ालिब हैं ” (मसनदे अहमद )
याजूज माजूज का क़यामत से पहले निकलना –
जैसा के कुरान में ज़िक्र है के ज़ुल-करनैन ने याजूज माजूज की कौम से बचने के लिए एक मज़बूत दिवार बना दी थी,और साथ ये भी कहा था के जब अल्लाह तआला का हुक्म होगा तो ये दिवार गिरा दी जाएगी,चुनांचे क़यामत के नज़दीक जब उनके निकलने का वक़्त आएगा तो अल्लाह रब्बुल इज्ज़त के हुक्म से,उस दिवार से याजूज माजूज की कौम बहार निकल जाएगी |
जब दिवार के टूटने के बाद वो निकलेंगे तो इतनी तादात में होंगे की समुंदर का सारा पानी पी कर खुश्क कर देंगे और वो लोगों पर क़त्ल व गारत और ज़ुल्म व सितम करेंगे,यहाँ तक की सब कुछ तहस नहस करके मुल्के शाम के तरफं पहुंगे |
मुल्के शाम पहुच कर कहेंगे -अब तो ज़मीन वालों को ख़त्म कर दिया है, चलो अब असमान वालों का खात्मा कर डालें|ये कह कर असमान के तरफ तीर फेकेंगे,अल्लाह रब्बुल इज्ज़त उनके तीर को खून आलूद करके वापस फरमाएंगे,ये देख कर वे बहुत ख़ुश हो जायेंगे और कहेंगे,अब तो असमान वाले को भी ख़तम कर दिया अब हमारे सिवा कोई बाकी न रहा |
याजूज माजूज का खात्मा –
इस फितने में हज़रत इसा (अ०स०) और उनके साथी पर तंगी इस क़दर होगा के गाये का कल्ला सौ अशर्फियों का होगा,फिर हज़रत इसा (अ०स०) अल्लाह से उनके लिए बद्दुआ करेंगे,अल्लाह रब्बुल इज्ज़त आप (अ०स०) की बद्दुआ कुबूल करेंगे और एक एसा कीड़ा उनकी गर्दनो पर मुसल्लत करेंगे के कुछ ही देर में सब के सब हालाक हो जायेंगे |
पूरी ज़मीन लाशों से भर जाएगी,और एक बालिश भी जगह न बचेगा|उन लाशों से बहुत ही बुरी तरह से बदबू आने लगेगी जो बर्दास्त के काबिल न होगा,इसा (अ०स०) फिर से अल्लाह के बारगाह में दुआ गो होंगे, अल्लाह रब्बुल इज्ज़त,दुआ की क़बूलियत के बायस एक लम्बी गर्दनो वाले जानवर भेजेगा,वो जानवर उन लाशों को उठा ले जायेंगे |
और फिर अल्लाह रब्बुल इज्ज़त अपनी रहमत की बारिश बरसाएंगे,हत्ता के सारी ज़मीन याजूज माजूज खून और बदबू से पाक साफ़ हो जायेगा और चारों तरफ हरयाली फैल जाएगी |
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआ की गुज़ारिश
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