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Zikr e ilahi ki fazilat Hindi - फ़ज़ाइले ज़िक्र

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “

 

अल्लाह तआला के ज़िक्र के फज़ाईल – 

कुरआनी आयतें –

” अल्लाह तआला का इरशाद है – तुम मुझे याद रखो,मैं तुम्हे याद रखूंगा | यानी दुनिया व आखिरत में मेरी इनायात और अहसानात तुम्हारे साथ रहेंगे “(सुरह – बकरह )

” एक जगह इरशाद फ़रमाया – खूब समझ लो,अल्लाह तआला के ज़िक्र ही से दिलों को इत्मीनान हुआ करता है ” (सुरह -राद )

” अल्लाह तआला का इरशाद है – अक़लमंद वे लोग हैं जो खड़े और बैठे और लेटे,हर हाल में अल्लाह तआला को याद किया करते हैं ” ( सुरह – आले इमरान )

” अल्लाह तआला का इरशाद है – तो अल्लाह तआला की तस्बीह हर वक़्त किया करो, खुसूसन शाम के वक़्त और सुबह के वक़्त “ (सुरह रूम)

 

ज़िक्र के मुताल्लिक हदीसें –

हज़रत मुआज़ बिन जबल (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह  (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जन्नत वालों को जन्नत में जाने के बाद दुनिया की किसी चीज़ का अफ़सोस नही होगा सिवाए उस घडी के जो दुनिया में अल्लाह तआला के ज़िक्र के बगैर गुज़री होगी |

हज़रत अबू मूसा (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अगर एक शख्स के पास बहुत से रुपये हों और वह उनको तकसीम कर रहा हो और दूसरा शख्स अल्लाह तआला के ज़िक्र में मशगुल हो,तो अल्लाह तआला का ज़िक्र करने वाला अफ्ज्ल है |

हज़रत अनस बिन मालिक (रज़ी०) से रिवायत है कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जब जन्नत के बागों पर गुजरो तो खूब चरो |सहाबा ने अर्ज़ किया – या रसूल अल्लाह ! जन्नत के बाग़ क्या हैं ? इरशाद फ़रमाया – ज़िक्र के हल्क़े |

हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जो शख्स किसी मजलिस में बैठे,जिसमें अल्लाह तआला का ज़िक्र न करे तो वह मजलिस उसके लिए नुकसानदेह होगी और जो शख्स लेटने के वक़्त अल्लाह तआला का ज़िक्र न करे,तो यह लेटना भी उसके लिए नुकसानदेह होगा |

 

रोजाना के करने वाले 10 ज़िक्र –
(1) अस्ताग़फिरुल्लाह  –

हज़रत इब्ने अब्बास (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जो शख्स पाबंदी से इस्ताग्फार करता रहता है,अल्लाह तआला उसके लिए हर तंगी से निकलने का रास्ता बना देते हैं,हर गम से उसे नजात अता फरमाते हैं और उसे एसी जगह से रोज़ी अता फरमाते हैं जहाँ से उसको गुमान भी नही होता |

(2) सुब-हान-अल्लाहहि व बिहमदिही –

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जो शख्स ” सुब-हान-अल्लाहहि व बिहमदिही ” पढता है,उसके लिए जन्नत में एक खजूर का दरख़्त लगा दिया जाता है |

 

(3) सुब हान अल्लाह ,अल-हमदु लिल्लाह, ला  इला-ह इल्ल ल्लाह और अल्लाह हु अकबर –

हज़रत नोमान  बिन बशीर (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जिन चीजों से तुम अल्लाह तआला की बड़ाई ब्यान करते हो,उनमे से ”  सुब हान अल्लाह ,अल-हमदु लिल्लाह और अल्लाह हु अकबर ” हैं|ये कालीमात अर्श के चारों तरफ घुमतें हैं| उनकी आवाज शहद की मक्खियों की भिनभिनाहट की तरह होती है |इस तरह ये तालीमात अपने पढने वाले का अल्लाह तआला की बारगाह में तज़किरा करते हैं|क्या तुम नही चाहते कि अल्लाह तआला की बारगाह में कोई तुम्हारा तजकिया करता रहे |

मुस्लिम की  हदीस में है के – 100 बार सुबहानअल्लाह  पढने  से एक हज़ार नेकियाँ लिख दी जायेंगी और उसके एक हज़ार गुनाह माफ़ कर दिए जायेंगे  |

हज़रत मुआज़ बिन जबल (रज़ी०) फरमाते हैं कि मैंने रसूल अल्लाह (स०अ०) को इरशाद फरमाते हुए सुना – ” ला  इला-ह इल्ल ल्लाह  ” और ” अल्लाह हु अकबर ” दो कलिमे हैं,उनमे से एक (ला  इला-ह इल्ल ल्लाह ) तो अर्श से पहले कहीं रुकता नही और दूसरा (अल्लाह हु अकबर) ज़मीन व असमान के दरमियान खला को (नूर या अज्र ) से भर देता है |

 

(4) सुबहा-नल्लाहि व बिहुम्दिही सुबहानल्लाहि अज़ीम –

हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) फरमाते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इस्र्शाद फ़रमाया – दो कलिमे एसे हैं,जो अल्लाह तआला को बहुत महबूब,जबान पर बहुत हलके और तराजू में बहुत वजनी|वह कालीमात ” सुबहा-नल्लाहि व बिहुम्दिही सुबहानल्लाहि अज़ीम ” हैं|

 

(5) दरूद शरीफ  –

जो शख्स एक  बार नबी करीम (स०अ०) पे  दुरूद भेजता है अल्लाह तआला उस पर 10 नेकी लिखी जाती  हैं, 10 गुनाह माफ़ कर देते हैं और 10 दरजात बलंद फरमाते हैं |

वैसे कोई भी दरूद पढ़ सकते हैं, लेकिन दरुदे  इब्राहीम पढना अफज़ल है |

 

(6) ला हौ-ल व ला कुव्वत इल्ला बिल्लाह  – 

हज़रत अबू अय्यूब अंसारी (रज़ी०) से रिवायत है कि रसूल अल्लाह (स०अ०)  मेराज की रात हज़रत इब्राहीम (अ०स०) के पास से गुज़रे,तो उन्होंने पूछा – जिब्रील! यह तुम्हारे साथ कौन हैं ? जब्रील (अ०स०) ने अर्ज़ किया – मुहम्मद (स०अ०) हैं|इब्राहीम (अ०स०) ने फ़रमाया – आप की उम्मत से कहिये कि वह जन्नत के पौधे ज्यादा से ज्यादा लगाए,इसलिए कि जन्नत की मिट्ठी उम्दा है और उसकी ज़मीन कुशादा है |पूछा – जन्नत के पौधे क्या हैं ? इरशाद फ़रमाया – ला हौ-ल व ला कुव्वत इल्ला बिल्लाह |

 

(7) सुरह इखलास –

3 बार सुरह इखलास (कुल हु अल्लाह हु अहद ) का पढना पुरे एक कुरआन मजीद पढने का सवाब है |

 

(8) अयतुल कुर्सी – 

हज़रत अबू उमामा (रज़ी०) से रिवायत है कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जो शख्स हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद अयतुल कुर्सी पढ़ लिया करे,उसको जन्नत में जाने से सिर्फ उसकी मौत ही रोके हुए है | एक रिवायत में अयतुल कुर्सी के साथ सुरह कुल हु वल्लाहु अहद० पढने का भी जिक्र है |

रात को सोने से पहले अयतुल कुर्सी  पढने वालों के लिए अल्लाह तआला पूरी रात एक फ़रिश्ते तो उसकी हिफाज़त के लिए भेजते हैं | 

 

(9) सोने से पहले 100 आयातों का पढना – 

हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०)  ने इरशाद फ़रमाया – जो शख्स रात में 100 आयातों की तिलावत करे वह उस रात इबादात्गुज़रों में शुमार किया जयेगा |

 

(10) सुरह मुल्क रोजाना पढने की फ़ज़ीलत –

हज़रत इब्ने अब्बास (रज़ी०) से रिवायत है कि किसी सहाबी (रज़ी०) ने एक कब्र पर खेमा लगाया |उमको इल्म न था कि वहां कब्र है| अचानक उस जगह किसी को सुरह – ताबर्काल्लाज़ी पढ़ते हुए सुना,तो नबी करीम (स०अ०) से आकर अर्ज़ किया कि मैंने एक जगह खेमा लगाया था,मुझे मालूम न था कि वहां है | अचानक मैंने उस जगह किसी को ताबर्काल्लाज़ी आखिर तक पढ़ते हुए सुना|नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया -यह सुरह अल्लाह तआला के अज़ाब से रोकने वाली है और कब्र के अज़ाब से नजात दिलाने वाली है |

 

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

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दुआ की गुज़ारिश

 

 

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Aulad ki tarbiyat – औलाद की तरबियत कैसे करें

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     औलाद की तरबियत – औलाद की तरबियत करना माँ-बाप की अहम् ज़ोम्मेदारी है | ये बात भी काबिले एतेबार है के अगर घर की ख़वातीन या माँ दीनदार है तो इंशाअल्लाह बच्चे ज़रूर दीनदार होंगे क्यूंकि बच्चों की असल दर्सगाह माँ की गौद है | जैसा उसके घर का माहौल होगा तो बच्चे ज़रूर उसमे ढालेंगे अगर माँ-बाप ही नए माहौल के हों तो बच्चे का दीनदार होना मुश्किल है |   अल्लाह तआला का इरशाद – يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قُوٓا۟ أَنفُسَكُمْ وَأَهْلِيكُمْ نَارًۭا وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ عَلَيْهَا مَلَـٰٓئِكَةٌ غِلَاظٌۭ شِدَادٌۭ لَّا يَعْصُونَ ٱللَّهَ مَآ أَمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! अपने आप को और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका इंधन इंसान और पत्थर होंगे उसपर शख्त कड़े मिजाज़ के फरिश्तें मुक़र्रर हैं जो अल्लाह के किसी हुक्म में उसकी नाफ़रमानी नहीं करते, और वही करते हैं जिसका उन्हें हुक्म दिया जाता है | (सुरह तहरिम आयत 6) इसके मुताल्लिक हदीस – नबी करीम (स०अ०) ने इरश