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5 Namazon ki Fazilat - पांच नमाज़ पढने के फ़ायदे

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “

5 नमाजों की  फ़ज़ीलत –

 

 अल्लाह तआला का इरशाद है –

” बेशक नमाज़ बेहयाई और बुरे कामों से रोकती रहती है ” (सुरह अनकबूत)

 

इरशाद ए नबी (स०अ०) – 

” अगर किसी शख्स के दरवाज़े पर एक नहर जारी हो और वो रोज़ उसमें पांच बार नहाये तो क्या उसके बदन पर कोई मैल बाक़ी रहेगा तो सहाबा (रज़ी०)  ने फ़रमाया नहीं कोई मैल बाकी नहीं रहेगा , तो आप  सललल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया यही मिसाल पांचों वक़्त की नमाज़ों की है अल्लाह सुबहानहु उनके जरिये से गुनाहों को मिटा देता है। ” (बुख़ारी)

 

5 नमाजें  5 फ़ज़ीलत –

 

(1) रिज्क की तंगी दूर कर दी जाएगी 

(2) अज़ाब ए कब्र से महफूज़ होगा 

(3) नाम ए आमाल दाहिने हाथ में दिया जयेगा

(4) पुल सिरात से तेज़ी से गुज़र जायेगा 

(5) बगैर हिसाब किताब के जन्नत में दखिर कर दिया जयेगा

 

(1) फजर की नमाज़ पढने की फ़ज़ीलत – 

 

(1)  एक रिवायत है के  रसूल अल्लाह (स०अ०) में इरशाद फ़रमाया – जिस आदमी ने दो ठंडी नमाजें पढ़ी यानी फज़र  और असर की नामज़ भी  पढ़ी फ़रमाया के वह आदमी जन्नत में दाखिल होगा (बुख़ारी )

 

(2) अल्लाह के नबी  (स०अ०) ने फ़रमाया – जिस आदमी ने सुबह की नमाज़ पढ़ ली वो अल्लाह तआला की जिमेदारी में आ गया |दिन भर के कामों में अल्लाह की रहमत होती है 

 

(3) आप (स०अ०) ने फ़रमाया – जिस आदमी ने ईशा की नमाज़ की बा – जमात पढ़ ली तो वो आदमी एसा है जसे उसने आधी रात नमाज़ पढ़ी और फ़रमाया की जिसने फज़र की नमाज़ भी  बा- जमात पढ़ ली वो बंदा एसे  है के जैसे उसने  सारी  रात नमाज़ पढ़ी

 

(4) हज़रत आयशा (रज़ी०) से रिवायत है के रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – फज़र की दो सुन्नातें दुनिया और जो कुछ दुनिया  में है उससे बेहतर है (मुस्लिम )

 

(5) अल्लाह के नबी (स०अ०) ने फ़रमाया – अगर कोई शख्स फज़र की नमाज़ पढ़ लेता है, और फज़र और मगरिब का एसा वक़्त है जब अल्लाह के फ़रिश्ते जमीन से आसमान  और आसमान  से ज़मीन पर आते हैं,बेशक अल्लाह तआला हर गैब के बातों को जानने वाला है फिर भी अल्लाह तआला फरिश्तों से पूछते हैं के मेरे बन्दे क्या कर रहे थें, अगर हम फज़र की नमाज़ पढ़ रहे होंगे तो फ़रिश्ते अल्लाह से तारीफ़ करेंगे की या अल्लाह तेरा बंदा नमाज़ पढ़ रहा था 

 

(6) जिस शख्स फज़र की नमाज़ बा – जमात पढ़ ली,अल्लाह रब्बुल इज्ज़त उसके घर में बरकत और हर बीमारी और हर परेशानी और रिजक की तंगी से दूर कर देंगे और उसका चेहरा नूरानी होगा 

 

(2) नमाज़ ए ज़ोहर की फ़ज़ीलत –

 

(1) ज़ोहर की नमाज़ पढने से रिज्क में बरकत होती है |

 

(2) नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया के –  रोजाना नमाज़ ए ज़ोहर के वक़्त जहन्नुम को भड़काया जाता है ,तो जो भी अहले ईमान ये नमाज़ अदा करता है,अल्लाह करीम उस बन्दे से  क़यामत के दिन जहन्नुम की आग को हराम कर देता है |

 

(3) नमाज़ ए ज़ोहर की चार रकात सुन्नत की फ़ज़ीलत तहज्जुद नमाज़ के बराबर है|

 

(3) अस्र की नमाज़ की फ़ज़ीलत –

 

(1) जो अस्र की नमाज़ पढता है उसको अल्लाह तआला अच्छी सेहत अता फरमाते हैं और जिसने अस्र की नामाज छोड़ दी उसका सब कुछ लुट गया और बर्बाद हो गया |

 

(2) जैसा के उपर बयान किया गया – एक रिवायत है के  रसूल अल्लाह (स०अ०) में इरशाद फ़रमाया – जिस आदमी ने दो ठंडी नमाजें पढ़ी यानी फज़र  और असर की नामज़ भी  पढ़ी फ़रमाया के वह आदमी जन्नत में दाखिल होगा (बुख़ारी )

 

(3) एक रिवायत में है के अस्र की नमाज़ के वक़्त फरिश्तों की ड्यूटी बदलती है दिन के फ़रिश्ते आसमान के तरह जाते हैं और रात के  फ़रिश्ते वापस आते है,जब दिन के फ़रिश्ते वापस आसमान के तरफ जातें हैं तो अल्लाह तआला सब कुछ जानने के बावजूद  फरिश्तों से मालूम करते हैं के मेरे बंदा क्या कर रहा था,तब फ़रिश्ते तारीफ़ करते हैं के ए अल्लाह ! आपके बंदा नमाज़ में मशगुल था |

 

(4) मगरिब की नमाज़ की फ़ज़ीलत – 

 

(1) नमाज़ ए मगरिब पढने वाला,अपनी औलाद से नफा हासिल करने वाला होगा यानी उसके औलाद से उसको नुक्सान नही होगा |एक और जगह बयान है के मगरिब की नमाज़ पढने वाले को अल्लाह तआला नेक  औलाद से नवाज़ते हैं |

 

 

ईशा की नमाज़ की फ़ज़ीलत – 

 

(1) ईशा की नमाज़ पढने की फ़ज़ीलत ये है की उसको सुकून भरी नींद मुअस्सर होती है |

 

(2) आप (स०अ०) ने फ़रमाया – जिस आदमी ने ईशा की नमाज़ की बा – जमात पढ़ ली तो वो आदमी एसा है जसे उसने आधी रात नमाज़ पढ़ी और फ़रमाया की जिसने फज़र की नमाज़ भी  बा- जमात पढ़ ली वो बंदा एसे  है के जैसे उसने  सारी  रात नमाज़ पढ़ी |

 

 

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हम सबको पांच वक्तों की नमाज़ बा – जमाअत पढने की तौफ्फीक अता फरमाए – अमीन 

 

 

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

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दुआ की गुज़ारिश 

 

 

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     औलाद की तरबियत – औलाद की तरबियत करना माँ-बाप की अहम् ज़ोम्मेदारी है | ये बात भी काबिले एतेबार है के अगर घर की ख़वातीन या माँ दीनदार है तो इंशाअल्लाह बच्चे ज़रूर दीनदार होंगे क्यूंकि बच्चों की असल दर्सगाह माँ की गौद है | जैसा उसके घर का माहौल होगा तो बच्चे ज़रूर उसमे ढालेंगे अगर माँ-बाप ही नए माहौल के हों तो बच्चे का दीनदार होना मुश्किल है |   अल्लाह तआला का इरशाद – يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قُوٓا۟ أَنفُسَكُمْ وَأَهْلِيكُمْ نَارًۭا وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ عَلَيْهَا مَلَـٰٓئِكَةٌ غِلَاظٌۭ شِدَادٌۭ لَّا يَعْصُونَ ٱللَّهَ مَآ أَمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! अपने आप को और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका इंधन इंसान और पत्थर होंगे उसपर शख्त कड़े मिजाज़ के फरिश्तें मुक़र्रर हैं जो अल्लाह के किसी हुक्म में उसकी नाफ़रमानी नहीं करते, और वही करते हैं जिसका उन्हें हुक्म दिया जाता है | (सुरह तहरिम आयत 6) इसके मुताल्लिक हदीस – नबी करीम (स०अ०) ने इरश