بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم
” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है”
शबे कद्र के बारे में –
शब् के मानी रात के हैं और कद्र के मानी इज्ज़त व अज़मत के हैं, यानी शबे कद्र इज्ज़त व अज़मत की रात है और शबे कद्र का मिलना हज़ार महीनो की इबादत से बेहतर है | रमज़ान के आखरी अशरे यानी 21,23,25,27 और 29 की ताक़ रातों में इसकी तलाश करनी चाहिए |
कुरआन मजीद में अल्लाह तआला का इरशाद –
إِنَّا أَنزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةِ الْقَدْرِ
तर्जुमा – बेशक हमने इस (कुरआन ) को शबे कद्र में नाजिल किया है |
وَمَا أَدْرَاكَ مَا لَيْلَةُ الْقَدْرِ
तर्जुमा – और तुम्हे क्या मालूम के शबे कद्र क्या चीज़ है ?
لَيْلَةُ الْقَدْرِ خَيْرٌ مِّنْ أَلْفِ شَهْرٍ
तर्जुमा – शबे कद्र हज़ार महीनो से बेहतर है |
खुलासा –
पूरा कुरआन लोहे महफूज़ से इस रात में उतरा गया, फिर हज़रत जिब्रील (अ०स०) इसे थोडा थोडा कर के 23 साल तक नबी करीम (स०अ०) पर नाजिल करते रहे और दूसरा मतलब ये है के नबी करीम (स०अ०) पर कुरआन करीम का नुज़ूल सबसे पहले शबे कद्र में शुरू हुआ |
इस रात में इबादत करने का सवाब एक हज़ार महीने (83 साल 4 महीने ) इबादत करने से ज्यादा है |
इसके मुताल्लिक हदीस –
हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से हुजुर (स०अ०) का ये इरशाद मन्कूल है के – जो शख्श ईमान के साथ और सवाब की नियत से रमज़ान के रोज़े रखे नीज शबे कद्र में ईमान के साथ और सवाब की नियत से इबादत करे तो उसके पछले तमाम गुनाह माफ़ कर दिए जाते है |
हज़रत अनस (रज़ी०) फरमाते हैं के एक मर्तबा रमज़ान का महीना आया तो हुजुर (स०अ०) ने फ़रमाया के – तुम्हारे उपर एक महीना आया है जिस में एक रात है जो हज़ार महीनो से अफज़ल है जो शख्श इस रात से महरूम रह गया, गोया सारी खैर से महरूम रह गया | (इब्ने माजा )
शबे कद्र की फ़ज़ीलत –
(1) इस रात में बन्दों की दुआ कुबूल होती है |
(2) इस रात की इबादत का सवाब हज़ार महीनो से अफज़ल है |
(3) इसी रात में कुरआन मजीद नाजिल होना शरू हुआ |
(4) इस रात में आसमान के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं |
(5) इस रात असमान से बकसरत फ़रिश्ते उतरते हैं जो मोमिनो को सलाम करते है, मुसाफा करते हैं, उनके लिए दुआ ए खैर करते हैं और उनकी दुआओं पर अमीन कहते हैं |
शबे कद्र में क्या अमल करें –
(1) हुजुर पाक (स०अ०) से मन्कूल है के इस रात को ज्यादा से ज्यादा कुरआन की तिलावत, दुआओं और नमाज़ में गुजारें |
(2) सुरह बकरह और अले इमरान की आखरी आयातों की तिलावत करें, जिसका पढना एक रात की इबादत का सवाब है |
(3) अयतुल कुर्सी की कसरत से पढना |
(4) सुरह इखलास की तिलावत करना एक तिहाई कुरआन पढने के बराबर है |
(5) सुरह काफिरुन का पढना चोथाई कुरआन के पढना के बराबर है |
(6) सुरह नसर की तिलावत चौथाई कुरआन पढने के बराबर है |
(7) सुरह यासीन की तिलावत करने वाला बख्शा जाता है |
(8) पहला कालिमा का कसरत से पढना |
(9) कसरत से अस्ताग्फार करना |
(10) नबी पाक (स०अ०) पर दरूद भेजना |
शबे कद्र की रात क्या दुआ करें –
(1) अपने लिए और अपने दोस्तों रिश्तदारों के लिए पसंदीदा दुआ मांगे
(2) तमाम मर्हुमीन के लिए बख्शीश व मगफिरत की दुआ करनी चाहिए
(3) अपने हाथ,पांव आँख यानी तमाम आज़ा से जो भी गुनाह हो गए हो उसकी गुनाहों की माफ़ी और आइंदा ना करने का अज्म |
(4) अपने वालेदैन के लिए सेहत की दुआ और और दुनिया से जा चुके तो मगफिरत की दुआ |
(5) दुआओं में सबसे बेहतर दुआ वह है जो हज़रत आयशा (रज़ी०) से मन्कूल है – ” ए अल्लाह ! तू माफ़ करने वाला है और माफ़ करने को पसंद करता है तू मुझे माफ़ फरमा दे ”
4 शख्स जिनकी मगफिरत नहीं होती –
वो बदनसीब शख्स हैं जिनकी शबे कद्र में बक्शीश नहीं होती (हां ! अगर अपनी गुनाहों से तौबा कर लें तो अल्लाह माफ़ फरमाने वाले हैं )
(1) शराब पीने का आदी
(2) माँ – बाप का नाफरमान
(3) रिश्तेदारों से लड़ने वाला या रिश्ते तोड़ने वाला
(4) कीना रखने वाला (अपने भाईयों से नफरत करने वाला )
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआ की गुज़ारिश
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