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shabe meraj ki Haqeeqat - शबे मेराज का सफर

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم

शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है

 

शबे मेराज के बारे में –

अल्लाह तआला ने नबी करीम (स०अ०)  को एक ख़ास सफर कराया के मक्का से मस्जिद ए अक्सा और फिर सात आसमानों से गुजर कर सिद्रातुल मूनताहा से होते हुए अपने पास बुलाया । यह आप (स०अ०)  के लिए खास एजाज व सआदत की बात है।

इसके मुतल्लिक कुरान में जिक्र –

سُبْحَـٰنَ ٱلَّذِىٓ أَسْرَىٰ بِعَبْدِهِۦ لَيْلًۭا مِّنَ ٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ إِلَى ٱلْمَسْجِدِ ٱلْأَقْصَا ٱلَّذِى بَـٰرَكْنَا حَوْلَهُۥ لِنُرِيَهُۥ مِنْ ءَايَـٰتِنَآ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْبَصِيرُ ١

तर्जुमा –

पाक है वहज़ात जो अपने बन्दे को रातों रात मस्जिदे हराम से मस्जिदे अक्सा तक ले गई जिसके माहौल पर हमने बरकतें नाज़िल की हैं | ताके हम उन्हें अपनी कुछ निशानियाँ देखाएं | बेशक वह हर बात सुनने वाली, हर चीज़ देखने वाली ज़ात है |

मेराज के सफर का आगाज़ –

नबी करीम (स०अ०)  हजरत उम्मे हानी के घर तसरीफ फरमा थे । अचानक आप ने देखा के ऊपर छत फटी और दो आदमी आए, आप को उठाया और आपका सीना चाक किया और सोने की तश्त पर कल्ब को रखा  फिर ज़म-ज़म के पानी से धोया और कल्ब में इल्म व हिक्मत डाला गाया। और फिर कल्ब को वापस रखकर सीने को बराबर कर दिया गया।

मस्जिद ए अक्सा का रुख –

नबी करीम (स०अ०)  फरमाते हैं के एक सवारी लाई गई जिस को बुर्राक कहा जाता है,एक खच्चर के मानिंद जानवर था लेकिन वो इतना तेज़ रफ़्तार था के ताहद नजर उसकी ताप पड़ती थी गोया बिजली की तरह चलता था।
आप इसपर सवार होकर कुछ ही देर में मस्जिद ए अक्सा तशरीफ लाए जहां तमाम अंबिया अ०स० मौजूद थे।आप (स०अ०) को दो प्याले पेश किए गए,जिसमे से एक प्याले में दूध था और एक में शराब ।आपने दूध वाला प्याला नोश फ़रमाया। फिर आपने तमाम अंबियाओं की इमामत फरमाई।

आसमानों के सफ़र का आगाज़ –

मस्ज़िद ए अक्सा से आसमानों का सफर होना था । हजरत जिबरील (अ०स०) ने एक सीढ़ी लाई (सीढ़ी को अरबी में मेराज कहते हैं),नबी करीम (स०अ०) इस सीढ़ी पर चढ़कर आसमान पर तशरीफ़ ले गए।
जब पहले आसमान पर पहुंचे तो वहां एक दरवाजा देखा जो बंद था । हजरत जिबरील (अ०स०) ने उस दरवाज़े को खटखटाया, पहरेदार फरिश्ते ने पूछा कौन है,हजरत जिबरील (अ०स०) ने अपना ताररूफ कराया,फिर फरिश्तों ने कहां तुम्हारे साथ कौन हैं, हज़रत जिबरील (अ०स०) ने कहा ये हज़रत मुहम्मद (स०अ०) हैं । गोया आप (स०अ०) आसमानों में भी मशहूर हैं तो पहरेदार फरिश्तों ने फ़ौरन दरवाजा खोला और आप का इस्तकबाल किया ।

सात आसमानों से गुजर और मुलाक़ात –

पहला आसमान –
पहले असमान पर आप (स०अ०) की मुलाकात हजरत आदम अलैहिस्सलाम से हुई, आदम अलैहिस्सलाम ने आपका इस्तकबाल किया।
दूसरा असमान –
दूसरे आसमान पर हजरत ईसा, याहया और जकारिया (अ०स०) से मिले उन्होंने भी आप (स०अ०) का इस्तकबाल किया
तीसरा आसमान –
तीसरे आसमान पर यूसुफ (स०अ०)  से मुलाकात हुई।
चौथा आसमान–
हजरत इदरीस (अ०स०) से मुलाकात हुई।
पांचवा आसमान –
हजरत हारून (अ०स०) से मुलाक़ात हुई |
छटा आसमान –
मूसा (अ०स०) से मिले|
सातवां आसमान –
हजरत इब्राहिम (अ०स०) से मुलाक़ात फरमाई |
रिवायतों में है के नबी करीम (स०अ०) ने जन्नत और जहन्नुम को देखा जहां बाज को अज़ाब हो रहे थे।

सिद्रतुल मुनताहा –

नबियों से मुलाकात के बाद एक मकाम आया जहां हज़रत जिबरील (अ०स०) रुक गए और नबी करीम (स०अ०) से फरमाया यहां मेरी हद है इसके आगे आपको अकेले ही जाना होगा क्योंकि यहां से एक बाल के बराबर भी आगे बड़ा तो जल कर खाक हो जाऊंगा।

अल्लाह तआला से मुलाक़ात –

सत्तर नूर के परदे पार करके आप (स०अ०) अल्लाह के नज़दीक पहुंचे। नबी पाक (स०अ०) ने अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त को देखा या नहीं देखा इसमें एकतलाफ है, बाज के मुताबिक आप ने अल्लाह तआला को देखा और बाज कहते हैं नही देखा,वाल्लाहो आलम
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त और आप (स०अ०) के बीच नाज़ व नियाज़ की बातें हुई ये अल्लाह और उसके नबी (स०अ०) ही बेहतर जानतें हैं, के क्या बात हई ।

पचास नमाजों का तोहफा –

जब वापस होने लगे तो अल्लाह तआला ने पचास नमाजों का तोहफा दिया आप (स०अ०) ने लब्बैक कहा यानी ख़ुशी के साथ कबूल किया।

नमाजों का काम होना –

छटे असमान पर हज़रत मूसा (अ०स०) मिले तो मालूम हुआ के पचास नमाजें आप (स०अ०) को मिली हैं। हज़रत मूसा (अ०स०) ने फरमाया के आपकी उम्मत इतनी नमाजें नहीं पढ़ेंगी इसलिए आप जाए और काम कराएं।
नबी करीम (स०अ०) वापस गए तो अल्लाह तआला ने पांच नमाजे काम कर दी । पैतालीस नमाज लेकर वापस हुए तो मूसा (अ०स०) ने फिर इरशाद फ़रमाया के आप की उम्मत इतना भी पढ़ने से आज़ीज़ है लिहाजा आप जाए और काम कराएं।
ये सिलसिला चलता रहा यहां तक कि जब पांच नमाजें रह गई तो आप (स०अ०) ने मूसा (अ०स०) से फरमाया के अब मुझे शर्म आती है । लिहाजा पांच वक्त की नमाज़ लेकर आप (स०अ०) वापस तशरीफ़ लाए ।

दुनिया वापस आने पर –

सुबह जब हुजूर पाक (स०अ०) मेराज के सफर का जिक्र किया तो सारे मक्के वाले आपका मजाक उड़ाने लगे और मजनून कहने लगे ।
नबी पाक (स०अ०) ने मक्के वालों से फरमाया –सुनो मैने रास्ते में फलां काफिले को देखा है,जो फलां दिन यहां पहुंचेगा और आप (स०अ०) ने उस काफिले के ऊंट का हुलिया वगैरह बताया,जब वह काफिला वहां पहुंचा तो आपने जो बताया था बिल्कुल वैसा ही था । मक्के वाले फिर भी आपकी बात माननेको तैयार नही हुए | जब हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ (रज़ी०) को मालूम हुआ तो बहुत ख़ुश हुए और आपकी बात का यकीन कर लिया |

अल्लाह की कुदरत –

जिस रात आप आसमान पर तशरीफ़ ले गए थे उसी रात ही वापस आ गए । इतना लंबा सफर , मुलाकातें और जन्नत और जहन्नुम को देखना गोया वक़्त का रुक जाना  यकीनन अल्लाह तआला की कुदरत का   एक अहम नमूना है। हर चीज अल्लाह तआला की मोहताज है चाहे वो वक्त हो या और कुछ ।

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

दुआ की गुज़ारिश

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