بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم
” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है”
शीधा जन्नत या जहन्नुम –
आखिरत के दिन कुछ लोग एसे भी होंगे जो बगैर हिसाब व किताब के जन्नत में और बिना हिसाब के दोज़ख में डाल दिए जायेंगे, उसे बाद हिसाब किताब का सिलसिला शुरू होगा |
बिना हिसाब के जन्नत में जाने वाले –
हज़रत अस्मा रज़ि० कहती हैं, मैंने हुज़ूर सल्ल० से सुना कि क़ियामत के दिन सारे आदमी एक जगह जमा होंगे और फ़रिश्ता जो भी आवाज़ देगा, सबको सुनायी देगी। उस वक़्त एलान होगा कहां हैं वे लोग जो राहत और तकलीफ में हर हाल में अल्लाह की हम्द करते थे। यह सुन कर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब-किताब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी
दूसरी मर्तबा –
फिर एलान होगा, कहां हैं वे लोग जो रातों में इबादत में मश्गूल रहते थे और उनके पहलू बिस्तरों से दूर रहते थे। फिर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब-किताब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी।
तीसरी मर्तबा –
फिर एलान होगा, कहाँ हैं वे लोग जिनको तिजारत और खरीद व फ़रोख़्त अल्लाह के ज़िक्र से ग़ाफ़िल नहीं करती फिर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी।
चौथी मर्तबा –
एक और हदीस में भी यही क़िस्सा आया है। उसमें यह भी है कि ऐलान होगा, आज महशर वाले देखेंगे कि करीम लोग कौन हैं और एलान होगा कहाँ हैं वे लोग जिनको तिजारती मशागिल अल्लाह के जिक्र और नमाज़ से नहीं रोकते थे।
बिना हिसाब किताब के जहन्नुम में जाने वाले –
इसके बाद लिखा है कि जब ये हज़रात बगैर हिसाब-किताब के छूट चुकेंगे तो जहन्नम से एक लम्बी गरदन (ऊँक्ल) ज़ाहिर होगी, जो लोगों को फांदती चली आएगी। इसमें दो चमकदार आँखें होंगी और निहायत फ़सीह ज़बान होगी। वह कहेगी कि मैं हर उस खख़्स पर मुसल्लत हूँ जो मुतकब्बिर, बद-मिज़ाज हो और मज्मे में से ऐसे लोगों को इस तरह चुन लेगा जैसा कि जानवर दाना चुगता है। इन सबको चुन कर जहन्नम में फेंक देगी।
दूसरी मर्तबा –
इसके बाद फिर इसी तरह दोबारा निकलेगी और कहेगी कि अब मैं हर उस शख्स पर मुसल्लत हूँ जिस ने अल्लाह को और उसके रसूल को ईज़ा (तक़लीफ़) दी। उन लोगों को भी जमाअत से चुन कर ले जाएगी |
तीसरी मर्तबा –
इसके बाद तीसरी बार फिर निकलेगी और इस मर्तबा तस्वीर वालों को चुन कर ले जाएगी।
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
दुआ की गुज़ारिश
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