بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم
” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
औरतों की नई सोच –
आज हमारा मुआशरा मगरिबी तहजीब व तमद्दुन का शिकार होता दिखाई दे रहा है।
फैशन के माहौल में अपने वाकार को बे-वकार करके बुराइओं के दलदल में क़दम बढ़ता नजर आ रहा है।कल जहां मुसलमानों के रहन सहन की मिसाले दे जाती थी।लेकिन आज हर जगह उसको पस्त करने की शाजिश रची जा रही है।दुश्मनाने इस्लाम के ज़रिए मुसलमानों के वकार को खतम करनेका मंसूबा बनाया जा रहा है।
एसा सिर्फ इसलिए है के कौम अपने रहनुमाओं के कौल व अमल व अहकामे शरीयत से ला इलमी का शिकार होती जा रही है।हमारा समाज इस नापाक तहजीब का शिकार होता जा रहा है।
फ़ैशन के कपड़े पहनना, वेस्टर्न के तरह दिखना,उन्ही की तरह साजो सिंगार करना,उनकी तर्ज ज़िन्दगी तो अपनी ज़िन्दगी में ढालना,अफ़सोस की बात है इसे हम गुनाह नहीं समझते।
परदे का क़ुरान मजीद में ज़िक्र –
“और (ऐ रसूल) ईमानदार औरतों से भी कह दो कि वह भी अपनी नज़रें नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें और अपने बनाव सिंगार (के मक़ामात) को (किसी पर) ज़ाहिर न होने दें मगर जो खुद ब खुद ज़ाहिर हो जाता हो (छुप न सकता हो) (उसका गुनाह नही)और अपनी ओढ़नियों को (घूँघट मारके) अपने गरेबानों (सीनों) पर डाले रहें
और अपने शौहर या अपने बाप दादाओं या आपने शौहर के बाप दादाओं या अपने बेटों या अपने शौहर के बेटों या अपने भाइयों या अपने भतीजों या अपने भांजों या अपने (क़िस्म की) औरतों या अपनी या अपनी लौंडियोंया (घर के) नौकर चाकर जो मर्द सूरत हैं मगर (बहुत बूढे होने की वजह से) औरतों से कुछ मतलब नहीं रखते या वह कमसिन लड़के जो औरतों के पर्दे की बात से आगाह नहीं हैं उनके सिवा (किसी पर)अपना बनाव सिंगार ज़ाहिर न होने दिया करें
और चलने में अपने पाँव ज़मीन पर इस तरह न रखें कि लोगों को उनके पोशीदा बनाव सिंगार(झंकार वग़ैरह) की ख़बर हो जाए और ऐ ईमानदारों तुम सबके सब ख़ुदा की बारगाह में तौबा करो ताकि तुम फलाह पाओ”
(surah noor,Ayat 31)
एक मिसाल से पर्दे की अहमियत को समझें –
अगर एक मिठाई की दुकान पे मिठाइयां खुली रखी हैं, तो मक्खियां और चीटियांउस मिठाई पर टूट पड़ती हैं।और अगर वही मिठाई किसी चीज़ से ढकी हो या शीशे के अंदरहों तो बिल्कुल महफूज़ रहती है।तो इसी तरह अगर खवातीन अपने जिस्म को पर्दे में रखें तो बहुत महफूज़ रहेंगी और बदतमीजी, छेड़खानी से बची रहेंगी।
अफ़सोस –
आजकल तो देवर – भाभी और जीजा – सली में परदा बिल्कुल खत्म हो गया है,और देवर या जीजा यानी बहनोई को ना–मेहरम मानते ही नहीं । और इसके वजह से कितने खानदान तबाह हो गए कितने रिश्ते तार तार हो गए
एक हदीस में है के “देवर भाभी के लिए मौत है मौत”
ज़रा गौर करें –
औरत, शैतान का एक अहम हथियार है जिससे फीतना फैलाने में मदद करती है।
अगर औरत ज्यादा घर में ही रहे या मुकम्मल पर्दे में रहे तो बहुत से फितने से बचा जा सकता है,और आंखों के ज़ीना से भी महफूज़ रहा जा सकता है।अगर नकाब पोश,परदा नशी बनकर इस्लामी अहकाम पर अमल करेंगे तो इस्लामी मुआशरा बे – हयाई व शाहवत परस्ती से महफूज़ हो जाएंगे।
क़ुरआन करीम में अल्लाह तआला का इरशाद है –
“ए बनी आदम! हमने तुम पर लिबास नाजिल किया जो तुम्हारी शारमगाह को ढापता है और ज़ीनत भी है, और लिबास तो तक़वा ही का बेहतर है।ये अल्लाह की निशानियों में से एक निशानी है।शायद लोग नसीहत हासिल करें।ए बनी आदम! एसा ना हो कि शैतान कहीं फ़ितने में मुब्तिला कर दे,जैसा की उसने तुम्हारे वालिदैन को जन्नत से निकलवा दिया था।और उनसे उनके लिबास उतरवा दिए थे।ताकि उन्हें उनकी शार्मगा दिखाए वह और उसका कबीला तुम्हे एसी जगह से देखते हैं,जहां से तुम उन्हें नहीं देख सकते। हमने शैतान को उन का सरपरस्त बना दिया है जो ईमान नहीं लाते”(surah al araaf ,ayat 26,28)
पर्दे के मुतल्लिक़ कुछ हदीस –
“हज़रत अबू हुरैरा ( रज़ि०) से मारवी है,फरमाते हैं के नबी करीम (स०आ०)ने इरशाद फरमाया की मेरी उम्मात की दो गीरोह जहन्नमी है ।मैंने उन्हें देखा एक कौम जिन के हाथों में बैलों के दुम किं तरह कोड़े होंगे और वो लोगों को उनके साथ मारेंगे”और औरतें जिन्होंने लिबास जेबतन किया होगा लेकिन फिर भी वो नांगी होंगी,वह मर्दों कोअपनी तरह माएल करने वाली यां और खुद मर्दों कि तरफ मएल होने वालीयां होंगी।वह जन्नत में ना जाएंगी और ना ही उसकी बू यानी खुशबू पाएंगी।
“जो औरत खुशबु लगाकर बाहर निकली तो जिसको इसकी खुशबु मिली तो ऐसा है कि जैसे उसने ज़िना कराया”(तिर्मिज़ी)
सतर का छुपाना –
अगर औरत ने इतना बारीक दुपट्टा जिससे बाल की सियाही चमके ओढ़ कर नमाज़ पढे तो नमाज़ नहीं होगी। पूरे जिस्म को छुपाना यानी जितना छुपाने का हुक्म (मतलब दोनो कलाई और पैर के उंगलियों का कुछ हिस्सा), उसके अलवा सतर का खोलना या दिखना कतअन जायज़ नहीं।शौहर अपने बीवी को,बाप अपनी बेटी को, बेटे अपनी मा को,भाई अपनी बहन को (वगैरह)ये हिदायत दे यानी उन्हें पर्दे का हुक्म करे वरना वो कयामत के दिन गुनाहगार होगा।
कयामत के दिन अल्लाह का सवाल –
ज़रूर तुमसे उन नेमतों के बारे में सवाल किया जाएगा।
नबी करीम (स० आ ०) इरशाद फरमाते हैं के कयामत के दिन इंसान के पांव अपनी जगह से नहीं हिल पाएंगे जब तक कि वह उन चीज़ों का हिसाब नहीं दे देगा।
- उमर के बारे में कहां इस्तेमाल किया
- जवानी के बारे में कहां सर्फ किया
- माल कहां से कमाया
- माल कहां ख़र्च किया
- जो देखा उस पर कितना अमल किया
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआकीगुजरिश
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