بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ” जंग ए उहद – बदर की लड़ाई के बाद दूसरी बड़ी जंग जो मुसलमानों और कुफ्फार के बीच हुई वो जंग ए उहद है | जंग ए उहद में मुसलमानों की एक गलती की वजह से शिकस्त हुई और बहुत से सहाबा (रज़ी०) शहीद हुए | जंग से पहले का हाल – जंग ए बदर में कुफ्फार को शिकस्त हुई, इस बात से उनके दिलों में बदला लेने की तड़प पैदा हुई और दूसरी जंग के लिए तय्यारी शुरू करने में मसरूफ हो गये | एक बड़ा लश्कर तैयार किया गया यहाँ तक के मक्के के हब्शी गुलाम को भी इस जंग में शरीक किया गया | कुफ्फार के लश्कर के सरदार अबू सुफियान थे | उधर मदीने में जब नबी करीम (स०अ०) को इस बात की खबर हुई तो आप (स०अ०) ने शहाबा (रज़ी०) से मशवरा किया, बहुत से सहाबा (रज़ी०) की राय थी के मदीने के बाहर जाकर लडाई हो और बाज़ की राय ये थी के मदीने में जंग लड़ी जाये | जंग में लश्कर की तादात – जंग ए बदर की तरह गजवा ए उहद में भी कुफ्फार की तादाद मुसलमानों से जाएद थी | कुफ्फार की तादात तकरीबन तीन हज़ार थी जंगी सामान से लयेश थे किसी चीज़ की कमी न थी | वहीँ दूसरी तरफ
तुम बेहतरीन उम्मत हो जो लोगों के लिए पैदा की गई हो, तुम नेकी का हुक्म देते हो और बुरी बातों से रोकते हो।(सुराह –अल ईमरान)