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Showing posts from June, 2021

Islamic Quiz in Hindi - इस्लामिक सवाल जवाब

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   इस्लामिक क्विज पार्ट – 6 इस्लामिक क्विज पार्ट -6  में कुछ और अहम  सवाल – जवाब हैं  , जो के  (Competitions Exam ) के लिए बहुत मददगार है और साथ ही इस्लामिक मालूमात में इजाफा भी होगा इंशा अल्लाह  |   इस पार्ट में  ” अंबिया (अ०स०)   “   के बारे में सवाब जवाब है |   सवाल – अंबिया के क्या मतलब हैं ? जवाब – अल्लाह का पैग़ाम (वहीह) लोगो को बताने वाला और जन्नत की बशारत और जहन्नुम से डराने वाला सवाल – दुनिया में कुल कितने अंबिया तशरीफ़ लाए ? जवाब – कमोबेश एक लाख़ चौबीस हज़ार सवाल – दुनिया में कितने रसूल तशरीफ़ लाए ? जवाब – तकरीबन 313 रसूल तशरीफ़ लाए सवाल – कुरआन मजीद में कुल कितने नबियों का ज़िक्र है ? जवाब – अल्लाह तआला ने कुरआन मजीद में कुल 25 नबियों का ज़िक्र फ़रमाया है | सवाल – दो रसूलों के दरमियान कितने साल का फासला है ? जवाब – दो रसूलों के दरमियान (कमोबेश ) एक हज़ार साल का फासला है | सवाल – उलुल अज्म अंबिया किराम कितने हैं ? जवाब – उलुल अज्म अंबिया 5 हैं – (1) हज़रत नुह (अ०स०)  (2) हज़रत इब्राहीम (अ

Miya Biwi ke Huqooq in islam – मियाँ बीवी के हुकूक

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   मियाँ बीवी का रिश्ता  – शौहर और बीवी का रिश्ता बहुत नाज़ुक होता है | अगर भाई – भाई में दुश्मनी है और मरते दम तक आपस में बात न करें तब भी भाई ही रहेंगे लेकिन मियाँ और बीवी का रिश्ता एक वाहिद रिश्ता है जो टूट जाये तो हमेशा के लिए एक दुसरे के लिए हराम हो जाते हैं यानी बिलकुल अजनबी हो जाते हैं | यही वजह है के अल्लाह तआला को जाएज़ अमल  जो नापसंदीदा है वो है मियाँ बीवी का अलग होना |   अल्लाह तआला का इरशाद – هُنَّ لِبَاسٌ لَكُمْ وَأَنْتُمْ لِبَاسٌ لَهُنَّ वो (बीवियां) तुम्हारे लिए लिबास हैं और तुम उनके लिए लिबास हो (सुरह बकरह)   इसके मुताल्लिक हदीस – नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अगर शिरियत में किसी और को सजदा करने की इज़ाज़त होती तो मैं औरत को हुक्म देता की वह अपने शौहर को सजदा करे (तिरमिज़ी) हज़रत आयशा (रज़ी०) की रिवायत है कि नबी करीम (स०अ०) जब भी घर में दाख़िल होते तो मुस्कुराते चेहरे के साथ दाखिल होते थे |   बेहतरीन शौहर की निशानी (हुकूक) – (1) निकाह के बाद बीवी की पूरी ज़िम्मेदारी शौहर पर होती

Bad – Zabaan Aurat – बद-ज़बान औरत का नुकसान

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   बद –ज़बानी – मशहूर कॉल हैं के जिस रिश्तों को तलवार नहीं काट सकती उसे ज़बान काट देती है | ज़बान की हिफाज़त करनी चाहिए क्यूंकि इज्ज़त और ज़िल्लत की यही ज़िम्मेदार है | बद – ज़बानी का मामला ज्यादातर औरतों के साथ है |   इसके मुताल्लिक हदीसें – हज़रत सहल बिन साद (रज़ी०) से रिवायत है के रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया – जो शख्स अपने दोनों जबड़ो और दोनों टांगों के दरमियान वाले आज़ा की ज़िम्मेदारी दे दे (के वह ज़बान और शर्मगाह को ग़लत इस्लामाल नहीं करेगा ) तो मैं उसके लिए जन्नत की ज़िम्मेदारी लेता हूँ | (बुख़ारी) हज़रत उक़बा बिन आमिर (रज़ी०) फरमाते हैं के मैंने अर्ज़ किया – या रसूल अल्लाह ! नजात हासिल करने का तरीका क्या है ? आप (स०अ०)  ने इरशाद फ़रमाया – अपनी ज़बान को काबू में रखो, अपने घर में रहो ( फ़ज़ूल बहिर न फिरो ) और अपने गुनाहों पर रोया करो | (तिरमिज़ी )   बद-ज़बान औरत – जिसकी बीवी बद-ज़बान हो उसको सारी ज़िन्दगी सुकून हासिल नहीं हो सकता | औरतों को कहा गया है कि वह अपनी ज़बान के अंदर नरमी और मिठास पैदा करे और अच्छे अंदाज़

Huzur S.A.W ki Auladein – नबी (स०अ०) की औलादों का ज़िक्र

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     नबी करीम (स०अ०) की औलादें – आले रसूल (स०अ०) की मालूमात  हर मुस्लमान को हासिल करना ज़रूरी है | नबी करीम (स०अ०) की बीवियों (रज़ी०) का ज़िक्र पछले पोस्ट में बयान की गई थी और इस पोस्ट में इंशाल्लाह आप (स०अ०) की औलादे मोहतरम के बारे बयान की जाएगी | मुवार्रिखीन और मुहद्दीसीन  का इस पर इत्तेफाक है कि नबी करीम (स०अ०) की कुल तीन लड़के और चार लडकियां हुईं | और बाज़ के नजदीक आप (स०अ०) के पांच बेटे हुए (अल्लाहु आलिम )   आप (स०अ०) के लड़के – (1) हज़रत क़ासिम (रज़ी०) – लड़कों में हज़रत क़ासिम (रज़ी०) सबसे पहले पैदा हुए, लेकिन इसमें इख्तलाफ है कि हज़रत ज़ैनब (रज़ी०) उनसे बड़ी हैं या छोटी | हज़रत क़ासिम (रज़ी०) का बचपन में ही बाज़ रिवायतों के मुताबिक दो साल की उम्र में इंतकाल हो गया था |   (2) हज़रत अब्दुल्लाह (रज़ी०) – दुसरे साहबजादे हज़रत अब्दुल्लाह (रज़ी०) हैं जो नबूवत के बाद पैदा हुए | बाज़ रिवायत में उनका नाम तय्यब और ताहिर भी था | आप (रज़ी०) का भी इन्तिकाल बचपन में ही हुआ | बाज़ ने लिखा है कि हज़रत क़ासिम (रज़ी०) के इन्तिकाल

Gajwa e Khadak – खंदक की लड़ाई का क़िस्सा

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   गजवा ए खंदक – इस्लामी तारीख की एक एसी लडाई जिसमे कुफ्फार के बड़े लश्कर से बचने के लिए मदीने के चारों तरफ खंदक यानी गड्ढे खोदे गए और कुफ्फार ए मक्का की फौज़  उस खंदक को पार न कर सकी |   कुफ्फार के कबीलों का एक साथ होना – एक तरफ़ जहाँ मक्के के कुफ्फार, मुसलमानों के सख्त दुश्मन थे और हर वक़्त इस फ़िक्र में रहते थे के कैसे मुसलमानों की नुक्सान पहुचाया जाये | इसी कोशिश में वे बहुत से यहूदी क़बाइल और मुशरिकों को मुसलमानों के ख़िलाफ़ जंग के लिए आमादा करते रहते, चुनांचे बहुत से छोटे छोटे काबिले कुफ्फार के साथ हो गए | तकरीबन दस या चौबीस हज़ार का लश्कर तैयार हुआ जिसमे साढ़े चार हज़ार ऊंट और तीन सौ घोड़े शामिल थे | मदीने के तरफ रवाना हुए और उस फौज़ की कमान अबू सुफियान के हाथों में था |   नबी करीम (स०अ०) का मशवरा करना – जब कुफ्फार के बड़े लश्कर के आने की इत्तला हुजुर (स०अ०) को हुई तो आप ने सहाबा के साथ मशवरा किया | ये राय क़रार पाई के मदीने में रहकर ही लडाई की जाये | हज़रत सलमान फारसी (रज़ी०) ने मशवरा दिआ के हमले और