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Showing posts from February, 2021

Daawat Qubool karne ke aadaab – दावत कुबूल करने की शर्त

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   दावत कुबूल करने के हुकुक – दावत कुबूल करना हर मुसलमान का हक़ और सुन्नते रसूल अल्लाह (स०अ०) है | अगर कोई मुसलमान अपने मुसलमान भाई को खाने की दावत दे तो उसे चाहिए के उसकी दावत ख़ुश दिली से क़ुबूल करे |   इसके मुताल्लिक हदीसें – हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) फरमाते हैं कि हुजुर अक़दस (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया कि – जब तुम में से किसी की दावत की जाये तो उसे चाहिए की उस दावत को कुबूल कर ले, अब अगर वह शख्स रोज़े से है तो उसके हक़ में दुआ कर दे, यानी उसके घर जाकर उसके हक़ में दुआ कर दे और अगर रोज़े से नहीं है तो उसके साथ खाना खा ले | (तिरमिज़ी) हज़रत अली (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – मुसलमान के दुसरे मुसलमान पर 6 हुकुक हैं | जब मुलाक़ात हो तो उसको सलाम करे, जब दावत दे तो उसकी दावत कुबूल करे, जब उसे छींक आए (और अल्हुम्दुलिललाह ) कहे तो उसके जवाब में यारहमुकल्लाह कहे, जब बीमार हो तो उसकी इयादत करे, जब इंतकाल कर जाये तो उसके ज़नाज़े के साथ जाए और उसके लिए वही पसंद करे जो अपने लिए पसंद क

Umme habiba Naat Lyrics – उम्मे हबीबा मशहूर नात लिरिक्स

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   उम्मे हबीबा (नात खावं) – उम्मे हबीबा पाकिस्तान की पहली खातून नातखाव हैं | उनके पढ़े हुए नात पूरी दुनिया में मशहूर है और काफी लोग पसंद करते हैं | उन्ही के पढ़े हुए मशहूर नातों में से चंद नात (lyrics) इस पोस्ट में  पेश की जा रही है |   (1) पहली नात – ( नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा)   गुल अजरो खता मुखता नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा बुलबुल जातोअ मुखता शिरीन सुखनिरा सुखनिरा सुखनिरा सुखनिरा (दो बार ) हर कसके लबे लाल तुरा दीदा बादिल गुफ्त हक़के जेखुश कंदा अकिके यमानिरा यमानिरा यमानिरा यमानिरा (दो बार ) गुल अजरो खता मुखता नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा गुल अजरो खता मुखता नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा खियाते अज़ल दोखता पर कमाते ज़ेबा (दो बार ) दर कादेतो एजमैय सर्वे चमनिरह चमनिरह चमनिरह चमनिरह (दो बार) गुल अजरो खता मुखता नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा दर इश्के तोतन दाने शाकस्त तास्त बा (दो बार) तू जामा रासनीद हुईसय कारानिरा कारानिरा कारानिरा कारानिरा (दो बार ) गुल अजरो खता मुखता नाज़ुक बदानिरा

Huzur s.a.w ki biwiyan – नबी (स०अ०) की बीवियों का बयान

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   नबी करीम (स०अ०) की बीवियां – नबी करीम (स०अ०) की बीवियों के बारे में जानना हमारे लिए ज़रूरी है के आप (स०अ०) का अपनी बीवियों के साथ कैसा मामला था | मुहद्दीसीन और मुवर्रिखींन का इत्तिफाक़ है के आप (स०अ०) का निकाह ग्यारह औरतों से हुआ | इंशाअल्लाह बरी बरी उनका ज़िक्र निचे बयान होगा |   आप (स०अ०) की ग्यारह बीवियां – (1) उम्मुल मुमिनीन हज़रत ख़दीजा (रज़ी०) – नबी करीम (स०अ०) का सबसे पहला निकाह हज़रत ख़दीजा (रज़ी०) से हुआ, जो बेवा थीं | उस वक़्त हुजुर (स०अ०) की उम्र शरीफ़ 25 साल की थी और हज़रत ख़दीजा (रज़ी०) की उम्र 40 साल थी | बाज़ कौल के मुताबिक हज़रत ख़दीजा (रज़ी०) का पहले दो शख्ससों से निकाह हुई थी और उनसे औलादें भी थीं | हुजुर (स०अ०) को हज़रत ख़दीजा (रज़ी०) से बेहद मुहब्बत थी, उनकी ज़िन्दगी में कोई दूसरा निकाह नहीं किया | 25 साल तक आप (स०अ०) के निकाह में रहीं और 65 साल के उम्र में आप ने इंतकाल फ़रमाया | उनके इंतकाल पर हुजुर (स०अ०) बेहद ग़मज़दा हुए, आप (स०अ०) ने खुद कब्र में उतरकर उनको दफ़न फ़रमाया |   (2) उम्मुल मोम

Masnoon dua in hindi – रोज़ाना के मस्नून दुआएं

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “ Masnoon Duaein Part -3   मस्नून दुआएं – कोई भी हाजत या कोई परेशानी हो तो उसका हल सिर्फ यही है के हमारे प्यारे नबी (स०अ०) जो तरीका और दुआएं बताई हैं, जो हमारे लिए काफी है और इंशाअल्लाह अल्लाह ज़रूर हाजात और परेशानी दूर करेंगे  | मस्नून दुआएं पार्ट -3  में चंद और दुआएं पेशे खिदमत है –   (1) हिदायत के लिए दुआ – अल्लाह तआला से हिदायत तलब करने के लिए इन अलफ़ाज़ में दुआ करनी चाहिए | اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ ए अल्लाह ! हमहें सीधे रास्ता की हिदायत फरमा   (2) जहालत से पनाह मांगने की दुआ – जहालत से बचने के लिए इस दुआ का अह्तामाम करनी चाहिए | أَعُوذُ بِٱللَّهِ أَنْ أَكُونَ مِنَ ٱلْجَٰهِلِينَ अल्लाह की पनाह मांगता हूँ इस बात पर के मैं जाहिलों में से हो जाऊं   (3) कब्रस्तान में दाखिल होने की दुआ – रसूल अल्लाह (स०अ०) जब कब्रस्तान जाते तो इस दुआ को पढ़ते थें | اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ اَھْلَ الدِّیَارِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَ الْمُسْلِمِیْنَ وَ اِنَّا اِنْ شَاءَ اللّٰهُ بِکُمْ لَلَاحِقُوْنَ َ ए कब्

Islamic Quiz in Hindi - इस्लामिक सवाल जवाब

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   इस्लामिक क्विज पार्ट – 5 इस्लामिक क्विज पार्ट -5  में कुछ और अहम  सवाल – जवाब हैं  , जो के  (Competitions Exam ) के लिए बहुत मददगार है और साथ ही इस्लामिक मालूमात में इजाफा भी होगा इंशा अल्लाह  |   इस पार्ट में  ” फिकह के चार इमाम (र०)   “   के बारे में सवाब जवाब है |   सवाल – फिकह किसे कहते हैं ? जवाब – कुरआन व हदीस की बुन्याद पर शरियत का ढांचा तैयार करने वाले को कहते हैं | सवाल – फिकह के मशहूर कितने इमाम हैं ? जवाब – फिकह के मशहूर 4 इमाम हैं | सवाल – 4 इमाम कौन – कौन हैं ? जवाब – इमाम अबू हनीफा (र०), इमाम मालिक (र०), इमाम अहमद बिन हम्बल  (र०), इमाम शाफई (र०) सवाल – इमाम ए आज़म किन का लक़ब है ? जवाब – इमाम अबू हनीफा (र०) सवाल – इमाम अबू हनीफा (र०) कहाँ और कब  पैदा हुए ? जवाब – कुफा में (1रज्ज़ब) सन 80 हिजरी) सवाल – इमाम अबू हनीफा (र०) के कितने बेटे थे ? जवाब – 1 बेटे जिनका नाम हज़रत हम्माद बिन अबू हनीफा था | सवाल – किन इमाम ने चालीस साल तक इशा के वुज़ू से फज़र की नमाज़ पढ़ी ओर वह रात भर क

Shahi Muslim Hadeesein – इमाम मुस्लिम की लिखी हदीसें

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   इमाम मुस्लिम – इमाम मुस्लिम 202 हिज़री (बाज़ के मुताबिक 204 हिज़री) में पैदा हुए |आप का नाम मुस्लिम इब्न अल-हज्जाज था,  ईरान के ख़ुरासान में नेशापुर शहर के रहने वाले थे | आप एक बड़े मुहद्दिस में से थे और आप की सबसे मशहूर किताब “ सहीह मुस्लिम “ है |   सहीह मुस्लिम किताब के बारे में – सहीह मुस्लिम क़िताब में तकरिबान 3 लाख़ हादसों से चुनकर जमा किया गया है | इमाम मुस्लिम (र०) ने अपनी किताब सहीह मुस्लिम में सिर्फ उन हदीसों को जगह दी है जिसके रावी इमाम मुस्लिम से लेकर नबी करीम (स०अ०) तक, हर वक़्त और हर तबके में कम से कम दो शख्स रहे हों यानी हदीस को कम से कम दो सहाबा (रज़ी०) ने और उनसे ताबईन ने और फिर उनसे तबे – ताबईन ने यहाँ तक की इमाम मुस्लिम (र०) से दो रिवायत करने वालों ने रिवायत की हो | सहीह मुस्लिम की रिवायतों की तादात, दुहराई गई हदीसों को कम करने के बाद 4 हज़ार है |   सहीह मुस्लिम हदीसें – कालिमा तय्यब – हजरत उमर (रज़ी०) से रिवायत है कि नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फरमाया खत्ता ब के बेटे जाओ, लोगों म

Badnazri ki Haqeeqat - आंखों की हिफाजत कैसे करें

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   बद नज़री एक बुरी बीमारी है – कुरआन मजीद में अल्लाह तआला ने हमारी एक बीमारी का बयान फरमाया है। वह है “बद-निगाही” यह बद-निगाही ऐसी बीमारी है। जिसमें लोग बेहद मुब्तला हैं, अच्छे खासे पढ़े लिखे लोग, उलमा, अल्लाह वालों की सोहबत में उठने बैठने वाले, दीनदार, नमाज़ रोजे के पाबन्द भी इस बीमारी के अन्दर मुन्तला हो जाते हैं, और आज कल तो हालत यह है कि अगर आदमी घर से बाहर निकले तो आंखों का बचाना मुश्किल नज़र आता है, हर तरफ ऐसे मनाज़िर हैं। कि उन से आंखों को पनाह मिलनी मुश्किल है।   कुरआन मजीद में अल्लाह का इरशाद – قُل لِّلْمُؤْمِنِينَ يَغُضُّوا۟ مِنْ أَبْصَـٰرِهِمْ وَيَحْفَظُوا۟ فُرُوجَهُمْ ۚ ذَ‌ٰلِكَ أَزْكَىٰ لَهُمْ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ خَبِيرٌۢ بِمَا يَصْنَعُونَ मोमिन मर्दों से कह दो के वह अपनी निगाहें नीची  रखें, और अपनी शर्मगाह की हिफाज़त करें | यहीं उनके लिए पज़किज़ा तरीन तरीका है | वह जो कारवाइयां करते हैं | अल्लाह उन सबसे पूरी तरह बाखबर है |   इसके मुतल्लिक़ हदीस हदीस शरीफ में हुजूरे अक्दस सल्लल्लाह

Ek Chugalkhor ka Qissa – झूठा और चुगलखोर का वाकिया

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   एक इबरतनाक वाकिया – एक शख्स ने बाज़ार में देखा के एक आदमी अपना गुलाम बेच रहा है और ये आवाज़ भी लगा रहा है के ये बहुत अच्छा गुलाम है, इसके अन्दर कोई एब नहीं सिवाए ये के ये कभी – कभी चुगली खता है | किसी शख्स ने ये आवाज़ सुनी तो सोचा के उसमे तो कोई एब नहीं है और चुगली खाना तो आम बात है | इसमें क्या खराबी है, लिहाज़ा इस गुलाम को खरीद लेना चाहिए |   गुलाम को खरीद कर घर लाना – उस शख्स ने उस गुलाम को खरीद लिया और अपने घर ले आया | कुछ अरसे तक तो वह गुलाम ठीक – ठीक काम करता रहा, उसके बाद उस गुलाम ने अपना रंग दिखाना शुरू किया | चुगल खोरी में तो पहले से ही माहिर था और अब वो इसका तर्जुबा करना चाहा |   उस गुलाम का अपने आक़ा की बीवी से चुगली करना – पहले वो गुलाम अपने आका की बीवी के पास गया और जाकर कहा के – आपके शौहर जो मेरे आका हैं, वो किसी दूसरी औरत से नाजाएज़ ताल्लुक रखते हैं और उसके पास आते जाते रहते हैं | अनक़रीब वो तुझे छोड़ कर उससे शादी कर लेंगे और मैं आपका बहुत खैरखा हूँ इसलिए आपको ये सब बता रहा हु लिह

Islamic Quotes in hindi - क़ीमती बातें -5

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “ इस्लामिक क़ीमती बातें – (Islamic Quotes )  चंद क़ीमती हदीसें  –   (Part – 5 )  इन क़ीमती बातों को पढ़े और याद  करें,क्युकि इर्शदे नबवी (स०अ०) है के जो 40 हदीसें याद कर लेता है तो वह जन्नत में दाखिल होगा |   Islamic Quotes  (Part – 5 )   नबी करीम ( स०अ० ) का इरशाद – (1) हज़रत मुहम्मद (स०अ०) ने सोने चांदी के बर्तन में खाने पीने से मना फ़रमाया | (2) जो शख्स अपने भाई से एक साल तक ताअल्लुक तोड़े राखे, तो उस का यह अमल उस (भाई ) का खून बहाने के बराबर है | (3) औरतें रास्तों के दरमियान न चले बलके किनारों पर चलें (4) जिस ने दिखावे के लिए सदका किया, उस ने शिर्क किया (5) इस्लाम कबूल करना पिछले (पहले किये हुए ) गुनाहों को ख़त्म कर देता है | (6) सब से अफज़ल (बेहतर) सदक़ा यह है के आदमी अपने उस रिश्तेदार पर सदक़ा करे जो उस से दुश्मनी रखता है | (7) अपने किसी भाई से न झगड़ा करो और न उससे (एसा ) मज़ाक करो (जिससे से उस को तकलीक हो ) और न उससे एसा वादा करो जिसको तुम पूरी न कर सके | (8) जब तुम परेशान हो तो यह दुआ पढ़ लिया क

Surah An-Naas Tafseer Hindi – सुरह अन – नास तफ़सीर

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   सुरह अन-नास के बारे में – सुरह अन – नास कुरआन मजीद की आखरी सूरत  है | ये मक्की सुरह है और इसमें 6 आयतें हैं | कुरआन करीम ने सुरह अनआम में बताया गया है के शैतान, जिन्नात में से भी होते हैं और इंसानों में से भी होते हैं | अलबत्ता शैतान जो जिन्नात में से है वह नज़र नहीं आता  और दिलो में वस्वसे डालता है लेकिन इंसानों में जो शैतान होते हैं वह नज़र आते हैं और उनकी बातें एसी होती हैं के उन्हें सुनकर इंसान के दिल में तरह तरह के बुरे ख़यालात और वस्वसे आ जाते हैं | इसलिए आयते करीमा में दोनों क़िस्म के वस्वसा डालने वालों से पनाह मांगी गई है |   सुरह अन – नास पढने की फ़ज़ीलत – बुख़ारी और मुस्लिम की हदीस में है के सुरह नास पढने से जिन्नात और शयातीन से बचने में बहुत मुफीद है, जो शख्स रात को सोते वक़्त सुरह फ़ातिहा, अयतुल कुर्सी, सुरह इखलास, सुरह फ़लक और सुरह नास एक एक  मर्तबा पढ कर अपने हाथों पर दम करके दोनों हाथों को चेहरे और सर से लेकर टांगों तक फेरे तो इंशाअल्लाह वो रात भर जिन्नात और शयातीन के शर से और दीग

Najasat ka bayan hindi - नजासत के अहम् मसाइल

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   नजासत क्या है ? नजासत के माअनी गंदगी के हैं, इंसानी के जिस्म से निकलने वाली गंदगी जैसे पेशाब पाखाना वगैरह सब निजासत कहलाती हैं |   नजासत की किस्में – नजासत की दो किस्में हैं – (1) नजासत ए गलिज़ा  – एसी नजासत जो सख्त हो यानी अगर थोड़ी सी भी लग जाये, तब भी धोने का हुक्म है | आदमी का खून या पाखाना – पेशाब और मनी का कतरा और शराब, खिंजीर का मांस और हड्डी, कुत्ते – बिल्ली का पखाना – पेशाब, घोड़े – गधे या खच्चर की लीद, गाए – बैल – भैस का गोबर, मुर्गी – बत्तख की बीट और सब हराम जानवरों  का पेशाब – पखाना वगैरह, ये सब नजसते गलिज़ा है | (2) नजासत ए खाफ़िफा – एसी नजासत जो कम और हलकी हो, जैसे के छोटे बच्चे या दूध पीते बच्चे का पेशाब – पखाना, हराम परिंदों की बीट और हलाल जानवरों का पेशाब, जैसे बकरी वगैरह सब नजस्ते खाफ़िफा है |   नजासत के मुताल्लिक चंद मसाइल – (1) नजासते गलीजा में से अगर पतली और बहने वाली चीज कपड़े या बदन में लग जाये, तो अगर फैलाव में रुपए के बराबर या उससे कम हो, तो माफ़ है, उसको धोये बर्गर

Maal(Daulat) se Muhabbat - माल व दौलत एक फितना है

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   माल की मुहब्बत – अगर आदमी के लिए एक वादी माल की हो तो दूसरी को तलाश करता है, और दो हों तो तीसरी को तलाश करता है। आदमी का पेट मिट्टी के सिवा कोई चीज नहीं भरती। आदमी के लिए एक जंगल खजूरों का हो तो दूसरे की तमन्ना करता है और दो हों तो तीसरे की और इसी तरह तमन्नाएं करता रहता है। उसका पेट मिट्टी के सिवा कोई चीज़ नहीं भरती।   इसके मुतल्लिक़ हदीसें – हज़रत कअब रजि० फरमाते हैं कि मैं ने हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह इर्शाद फ़रमाते हुए सुना है कि हर उम्मत के लिए एक फ़ितना होता है (जिसमें मुब्तला होकर वह फ़ितने में पड़ जाती है) मेरी उम्मत का फ़ितना माल है। बुख़ारी शरीफ़ की हदीस में है हुजूरे अवदस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इर्शाद है कि खुदा की कसम! मुझे तुम्हारे ऊपर फ़ख्र व फाका का ख़ौफ़ नहीं है, बल्कि इसका ख़ौफ़ है कि तुम पर दुनिया की वुस्अत हो जाए जैसा कि तुमसे पहली उम्मतों पर हो चुकी है, फिर तुम्हारा उसमें दिल लगने लगे जैसा कि उनका लगने लगा था, पस यह चीज़ तुम्हें भा हलाक न कर दे

Zabaan ki hifazat – ज़बान की हिफाज़त कैसे करें

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   ज़बान की हिफाज़त – ज़बान अल्लाह तआला की बड़ी अज़ीम नेमत है और ये इंसानी जिस्म का भले ही छोटा हिस्सा हो मगर इस छोटा हिस्सा बड़े – बड़े कारनामे कर सकता है | यानी इसमें खूबियाँ भी है और खराबियां भी, मतलब ज़बान से आखिरत के लिए नेकियाँ भी जमा की जा  सकता है और अपनी आखिरत बर्बाद भी कर सकता है |   कुरआन मजीद में अल्लाह तआला का इरशाद  –  अल्लाह पाक का इरशाद  – ” इंसान मुह से कोई लफ्ज़ निकाल नहीं पाता मगर के उसके पास निगेबान तैयार है ”    इसके मुताल्लिक हदीसें – हुजूर सल्ल० का इर्शाद है कि जो शख्स चुप रहा, वह निजात पा गया। एक सहाबी रज़ि- ने अर्ज़ किया, या रसूलल्लाह! मुझे इस्लाम के बारे में ऐसी चीज़ बता दीजिए कि आप के बाद मुझे किसी से पूछना न पड़े। हुजूर सल्ल ने फरमाया, अल्लाह जल्ल शानुहू पर ईमान लाओ और उस पर इस्तिकामत रखो, उन्होंने अर्ज़ किया, हुजूर सल्ल. मैं किस चीज़ से बचूँ ? हुज़ूर सल्ल ने फरमाया, अपनी ज़बान से। एक और सहाबी रजि. ने अर्ज़ किया, या रसूलल्लाह । निजात की क्या सूरत है? हुजूर सल्ल ने फरमाय

Padosi ke huqooq hindi – पड़ोसी के क्या हुकूक हैं

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   पड़ोसी के हुकुक – वो शख्स कामिल ईमान वाला नहीं हो सकता, जो पेट भर कर खाए और उसका पड़ोसी भूखा रहे | पड़ोसी के मुताल्लिक बहुत सारी हदीसें, नबी करीम (स०अ०) से वारिद हैं |   कुरआन मजीद में अल्लाह तआला का इरशाद – अल्लाह तआला फ़रमाते हैं – तर्जुमा – ‘तुम अल्लाह तआला की इबादत इख्तियार करो और उसके साथ किसी चीज़ को शरीक मत करो और अपने वालिदैन के साथ अच्छा मामला करो और दूसरे अहले कराबत के साथ भी और यतीमों के साथ और गुरबा के साथ और पास वाले पड़ोसी के साथ भी और दूर वाले पड़ोसी के साथ भी और हम मज्लिस के साथ भी और मुसाफ़िर के साथ भी। (सुरह – निसा )   पड़ोसी के हुकूक के मुताल्लिक हदीसें – एक हदीस में हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इरशाद वारिद हुआ है, जानते हो कि पड़ोसी का क्या हक है? अगर वह तुझसे मदद चाहे, उसकी मदद कर, अगर कर्ज मांगे तो उसको कर्ज दे, अगर मुहताज हो तो उसकी इआनत कर, अगर बीमार हो तो इयादत कर, अगर वह मर जाये तो उसके जनाज़े के साथ जा, अगर उसको खुशी हासिल हो तो मुबारकबाद दे, अगर मुसीब

Kufr aur shirk ka bayan – कुफ्र और शिर्क क्या है

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   कुफ्र – जिन चीज़ों पर ईमान लाना ज़रुरी है उनमे से किसी एक बात को भी न मानना कुफ्र है | हर चीज़ का गुनाह अल्लाह तआला माफ़ कर देंगे लेकिन शिर्क करते मर गया तो कभी माफी नहीं मिलेगी | एक मिसाल से समझें के कोई सख्स अल्लाह तआला को न माने या अल्लाह तआला की सिफ़ात का इनकार करे या कोई दो– तीन को ख़ुदा माने या फ़रिश्ते के वजूद का इनकार करे या अल्लाह तआला की किताबों का इनकार करे या पैगम्बर का इनकार करे,क़यामत का इनकार करे रसूलअल्लाह (स०अ०) की दी हुई खबर को झूठा कहे गोया इन तमाम सूरतों में काफ़िर हो जायेगा | शिर्क – शिर्क कहते हैं के अल्लाह तआला की ज़ात या सिफात में किसी दुसरे को शरीक करना | ज़ात में शिर्क करने का मतलब ये है के दो खुदाओ को मानने लगे जैसा के इसा (अ०स०) को खुदा मानने वाले और बुत परस्त या आग की पूजा करने वाले वगैरह सिफात में शिर्क करने से मुराद अल्लाह की सिफात की तरह किसी दुसरे के लिए कोई सिफत साबित करना क्यों के किसी मखलूक में चाहे वो कोई फ़रिश्ता हो, नबी हों, वाली हो पीर हो वगैरह, अल्लाह की सिफ़त

Ek baandi ka waqiya - एक बांदी का दिसचस्प वाकिया

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   एक समक अमोज़ वाकिया  – हज़रत मालिक बिन दीनार रह. एक मर्तबा बसरा की गलियों में जा रहे थे, रास्ते में एक बांदी ऐसे जाह व जलाल, हशम व ख़दम के साथ जा रही थी जैसा कि बादशाहों की बांदिया होती हैं। हज़रत मालिक रह० ने उसको देखा तो आवाज़ देकर फ़रमाया कि ऐ बांदी तुझे तेरा मालिक फुरोख़्त करता है या नहीं, वह बांदी इस फिक्र को सुनकर (हैरान रह गयी ) कहने लगी, क्या कहा, फिर कहो। उन्हों ने फिर इर्शाद फरमाया, उसने कहा, अगर वह फरोख़्त भी करे तो क्या तुझ सा फकीर खरीद सकता है? फरमाने लगे हां, और तुझ से बेहतर को खरीद सकता है। वह बांदी यह सुनकर हंस पड़ी और अपने खुद्दाम को हुक्म दिया कि इस फ़कीर को पकड़ कर हमारे साथ ले चलो (ज़रा मज़ाक ही रहेगा) खुद्दाम ने पकड़ कर साथ ले लिया, वह जब घर वापस पहुँची तो उसने अपने आका से यह किस्सा सुनाया, वह भी सुनकर हंसा और उनको अपने सामने लाने का हुक्म दिया।   हज़रत मालिक बिन दीनार (र०) और बांदी के आक़ा की गुफ्तगू – जब यह सामने पेश किये गये तो आका के दिल पर एक हैबत सी उनकी छा गयी,

Kalaunji (Black seed) ke fayde - कलौंजी के फायदे

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   कलौंजी – कलौंजी को इंग्लिश में (Black seed) कहते हैं | यह एक क़दीम ज़माने से इस्तमाल होती आ रही है | पहले ज़माने से ही ज्यदा  तर अचार में और पेट के इलाज में इस्तमाल की जातीं थीं | कलौंजी का पौधा तकरीबन आधे मीटर का होता है | इसके बेशुमार फायदे नबी करीम (स०अ०) ने बयान फरमाए हैं | आप (स०अ०) ने कलौंजी को सिफ़ा का मज़हर क़रार दिया है | इसके मुताल्लिक हदीसें – हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) बयान करते हैं के मैंने रसूल अल्लाह (स०अ०) को फरमाते हुए सुना – वह फरमाते थे के काले दाने में हर बिमारी से मौत के सिवा शिफा है और काले दाने शौनेज़ है | सालिम बिन अब्दुल्लाह अपने वालिद मुह्तरम हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ी०) से रवायत करते हैं के रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया – के तुम अपने उपर उन काले दाने को लाजिम पकड़ लो के उन में मौत के अलावा हर बीमारी से शिफा है | (इब्ने माज़ा) हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) रवायत फरमाते हैं के नबी (स०अ०) ने फ़रमाया – बिमारियों में मौत के सिवा, एसी कोई बीमारी नहीं जिस के लिए कलौंजी में शिफा न हो |