بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
आदम (आ० स०) के तख़लीक़ से पहले क्या था –
क़ुरआन में अल्लाह फरमाते हैं –
अल्लाह हर चीज का पैदा करने वाला है और वो हर चीज़ पर कुदरत रखने वाला है।
वही है जिसने आसमान और ज़मीन को 6 दिन में पैदा किया,फिर अर्श पर जलवा फरमा हुआ,वह खूब जानता है उस चीज़ को जो ज़मीन में जाये और जो उससे निकले और जो आसमान से नीचे आए और जो कुछ उसमे चढ कर जाए और जहां कहीं तुम वो तुम्हारे साथ है और अल्लाह तुम्हारे आमाल को देख रहा है।
“और अल्लाह ही वो जात है जिसने 6 दिनों में आसमानों को और ज़मीन को पैदा फ़रमाया और उसका अर्श पानी पर था” (सुरह – हूद)
हदीस –
इमाम अहमद बिन हम्बल (र०) ने अबू रज़ीन रूकैल से बयान किया है उन्होंने कहा – ए अल्लाह के रसूल (स० आ०)आसमान और ज़मीन के पैदा करने से पहले हमारा परवरदिगार कहां था,आप ने फ़रमाया (अमा) में था यानी अल्लाह के सिवा कुछ भी ना था,ना उसके उपर हवा थी और ना उसके नीचे हवा थी मतलब ये कि कुछ ना था,फिर उसने पानी पर अपना अर्श पैदा किया।
हज़रत अबू हुरैरा (र०) से रवायत है के हुज़ूर (स० आ०) ने मेरा हाथ पकड़ा और फ़रमाया
अल्लाह तआला ने –
- हफ्ते के दिन मिट्टी को पैदा किया।
- इतवार के दिन ज़मीन में पहाड़ पैदा किया।
- पीर के दीन दरख़्त
- मंगल के दिन तकलीफ,जरासीम और बिमारियां
- बुध के दिन नूर को
- जुमेरात के दिन ज़मीन में चौपए को फैला दीं
- और जुमह के दिन असर से रात के बीच आदम (आ ०स०) को पैदा किया। (मुस्लिम)
फ़रिश्ते और जिन्न की तख़लीक़ –
हज़रत आयेशा (रज़ि०) से रवायत है के, हुज़ूर (स० आ०) ने फ़रमाया – फरिश्तों को नूर से और जिन्नों को आग से पैदा किया गया और आदम को उस चीज से पैदा किया गया जो तुम्हारे लिए बयान कर दी गई यानि मिट्टी से।(मुस्लिम)
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र और हजरह अब्दुल्लाह बिन अब्बास(रज़ि०) फरमाते हैं आदम (आ ० स ०) से दो हज़ार साल पहले जिन्नात इस जमीन पर रिहाईश वज़ीर थे। आहिस्ता आहिस्ता फिस्को फुजुर में मुब्तिला हो गए।वो फित्ना फसाद में पड़ गए नाहक खून बहाने लगे।फिर अल्लाह ने फरिश्तों का लशगर भेजा उनसे जिन्नात की जबरदस्त मरका अराई हुई।फरिश्तों ने जिन्नात को तहस नहस कर दिया और वो समंदर के जाजिरों पे पनाह लेने को मजबुर हो गए।
आदम (आ ० स०) की पैदाईश –
क़ुरान ए करीम में अल्लाह का इरशाद है –
“इन्नी जाईलुन फिल अर्जी खलीफा”
मै ज़मीन में एक खलीफा बनाने वाला हूं।
जब अल्लाह तआला ने आदम (आ० स०) पैदा किया तो ज़मीन कि मिट्टी लाने का हुक्म फ़रमाया चुनांचे अल्लाह तआला के पास मिट्टी लाई गई,इंसान की तख़लीक़ मिट्ठी से शुरू हुई,इस मिट्टी को पानी से तर किया गया और ये तुराब बन गईं।
अल्लाह क़ुरआन में फरमाते हैं – हमने इन्सान को लेसदार यानी चिपकने वाली मिट्टी से पैदा किया।
फिर अल्लाह ने अपने मुबारक हाथों से इंसान का ढाचा तय्यार किया।
आदम (आ० स०) के पुतले को बना कर एक मुद्दत तक छोर रखा, यहां तक के गीली मिट्टी खुस्क हो गई और सियाह हो गई,बदबू आने लगी फिर वो खनखनाती मिट्टी बन गई।आदम (आ० स०) का पुतला 60 हाथ का था।
आदम (आ० स०) की रूह –
जब उनमें रूह फूकी गई,और इब्तेदा में सर में दाखिल हुई तो आदम (आ० स०) को छीक आ गई,फरिश्तों ने आदम (आ० स०) से कहा अल्हमदूलिलाह कहिये,उन्होंने कह दिया,अल्लाह की इस तारीफ़ के जवाब में अल्लाह ने फ़रमाया, “रेहमका रब्बूक” यानी तुझको तेरा रब रहम फरमाए।
जब रूह उनके आंखों में दाखिल हुए तो उन्होंने ने जन्नत के फलों को देखा और उसमे गौर व फ़िक्र करने लगे।और जब रूह पेट में दाखिल हुइ तो खाने कि तलब महसूस हुई।फिर रूह टांगो तक पहुंची।
सजदे का हुक्म –
जब अल्लाह ने आदम (आ० स०) को पैदा कर दिया और उसमे अपनी रूह फूक दी,तो फरिश्तों को हुक्म दिया के आदम को सजदा करे,
सजदे का हुक्म सिर्फ फरिश्तों के लिए नहीं था बल्कि इसमें इबलीस भी शामिल था।
सारे फरिश्तों ने सजदा किया सिवाए इब्लिस के,उसने सजदे से इनकार कर दिया,अल्लाह तआला ने फ़रमाया तुझे किस चीज ने सजदे से रोक दिया,मेरा हुक्म तेरे लिए भी था।
इब्ली्स ने सजदा ना करना का ये वजह बताया – मैं सजदा क्यों करूं, मै इससे बेहतर हूं, इसलिए के तूने मुझे आग से पैदा किया और इसे मिट्टी से।
अल्लाह तआला ने कहा – तू इस जन्नत से उतर जा तुझे कोई हक हासिल नहीं के तू जन्नत में रहकर तक़ब्बुर करे,
इब्लीस ने जवाब में कहा,मुझे कयामत के दीन तक मुहलत दे दीजिए,यानी इतनी लंबी उम्र दे दीजिए के मै क्वयमत तक ज़िंदा रहूं,मौत ना आए,
अल्लाह ने फ़रमाया,तुझे मुहलत दे दी गई,लेकिन एक वक़्त मुकर्रार तक।
अम्मा हव्वा (आ०स ०) की पैदाइश –
इसके बाद अल्लाह तआला ने अम्मा हव्वा को पैदा फ़रमाया,उन्हें आदम (आ० स०) के फौरन बाद पैदा नहीं फ़रमाया बल्के आदम (आ० स०) ने जन्नत में काफी अर्सा तन्हा बसर किया और आदम (आ० स०) जन्नत में अकेला(तन्हा) और वहशत महसूस करते थे।आखिरकार जब एक रोज़ सो रहे थे तो अल्लाह तआला ने उनकी बाईं पसली से अम्मा हव्वा को पैदा फ़रमाया।
जब आदम (आ० स०) बेदार हुए तो उन्होंने एक औरत को अपने पास बैठा देखा,पूछने लगे तुम कौन हो, हव्वा (आ० स०) ने जवाब दिया औरत,आदम (आ० स०) ने फिर पूछा तुझे किस लिए पैदा किया गया,वो बोली – आपके लिए ताके आप मुझसे सुकून हासिल करें।
इब्लीस का वस्वसा डालना –
आदम और हव्वा (आ० स०) दोनो जन्नत में रहने लगे।और शैतान वास्वसा डालने की कोशिश करने लगा।
अल्लाह का इरशाद हुआ – और हम ने कह दिया ऐ आदम ! तुम और तुम्हारी बीवी जन्नत में रहो और जहां से चाहो बा फरागत खाओ,सिवा एक दरख़्त (tree) के पास मत जाओ वरना जालिमों में हो जाओगे।
फिर शैतान ने उनके दिलों में वस्वसा डाला,कहने लगा ऐ आदम, क्या मै तुझे दहिमी ज़िन्दगी का दरख़्त और वो बादशाहत ना बता दू जो कभी पुरानी ना हो।जब तुम इस दरख़्त से खाओगे तो हमेशा ज़िंदा रहने वाले बन जाओगे,और ज़बरदस्त बादशाहत हासिल कर लोगे।
और फिर कहा – तुम्हारे रब ने तुम दोनों को इस दरख़्त से इसलिए मना किया है, के तुम दोनों फरिश्ते ना बन जाओ।या हमेशा ज़िंदा रहने वाले ना बन जाओ और हमेशा कायम दायम ना हो जाओ।फिर वो वास्वासा डालते हुए झूठी कास्में खाने लगा।यानी अल्लाह की कसम खाने लगा,और धोके से उनको फुसला लिया
उन दोनों ने जब दरख़्त को चखा तो दोनों का पर्दा ए बदन एक दूसरे के रूबरू खुल गया,दोनो दरखतों के पत्ते जोड़ जोड़ कर अपने उपर रखने लगे।कपड़े उतरने पर दोनो को हया आई।
एक हदीस में है के जब सतर खुल गया तो आदम (आ ० स०) भागने लगे तो अल्लाह तआला ने फ़रमाया मुझसे भागते हो। आदम (आ ० स०) बोले अल्लाह, मै शर्म के बिना पर भाग रहा हूं।और इस वजह से के तेरे सामने बरहना कैसे रहूं।
आदम (अ ० स ० ) की तौबा –
फिर अल्लाह ने पुकारा – क्या मैंने तुम दोनों को इस दरख़्त से नहीं रोका था,
और क्या ये नहीं कहा था कि शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है।फिर दोनो ने कहा – ऐ हमारे रब, हमने अपना बड़ा नुकसान किया,
और अगर तू हमारी मगफिरत ना करेगा और तू हम पर रहम ना करेगा तो वाक़ई हम खसारा पाने वालों में हो जाएंगे।
आदम और हव्वा (आ ० स ०) का जन्नत से निकलना –
अल्लाह तआला का हुक्म हुआ – जन्नत से उतर जाओ,और फ़रमाया तुम आपस में एक दूसरे के दुश्मन होगे,और तुम्हारे वास्ते ज़मीन में रहने की जगह है।और एक वक़्त तक नफा हासिल करना है।
अल्लाह ने मजीद फ़रमाया – तुम वही बसर करोगे और वही मरोगे, और वही से दुबारा निकाले जाओगे।
आदम (आ ० स०) ज़मीन पर उतरे और अपने रब से तौबा के कलिमात सीख लिए।
उनके साथ हव्वा (आ ० स०)भी उतरी,उन दोनों के साथ ही इब्लीस को भी उतारा गया।
आदम (आ ० स०)को हिन्द में और हव्वा (आ ० स०) को जद्दाह में उतारा गया।
हज़रत आदम (आ ० स०)ने हव्वा (आ ० स०) को ढूढ़ते रहे,फिर उनकी मुलाक़ात अरफात के मैदान में हुई।
फिर अल्लाह ने ज़मीन पे इंसानों को फैलाना शुरू किया।
आदम (आ ० स ०) की वफ़ात –
आदम (आ ० स ०) की कुल 960 साल के उम्र में वफ़ात पायी और 40 साल की ज़िन्दगी
आप ने अपने बेटे हज़रात दाऊद (आ ० स ० ) को दे दी थी,आप के वफ़ात के 1 साल के बाद
अम्मा हव्वा (आ ० स ० ) की वफ़ात हुई
आदम (आ ० स ०) के दो बेटे मशहूर हैं – हाबील और काबील,जिनका जिक्र आया है
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआ की गुज़ारिश
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