بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم
” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
बूत परस्ती कैसे शुरू हुई –
हजरत आदम (अ० स०) के करीब 1000 साल तौहीद पे कायम रहने के बाद लोगों में बुत परस्ती शुरू हो गई।
उस जमाने में जब कोई नेक लोग फौत होते तो उनकी याद में बुत बना लिया करते थे,और आहिस्ता आहिस्ता शैतान के वस्वसे डालने की वजह से उस बुतों की पूजा शुरू हो जाती।
हज़रत नूह (अ० स०) –
जब बुत परस्ती आम हो गई तो अल्लाह ने हजरत नूह(अ० स०) को रसूल बना कर भेजा। हजरत आदम (अ० स०) के बाद यह पहले नबी है जिनको रिसालत अता की गई।
सही मुस्लिम की एक हदीस में हजरत आबू हुरैरा (रजि०) से एक रिवायत में यह है के –
” ऐ नूह। तू जमीन पर सबसे पहले रसूल बनाया गया “
हजरत नूह (अ० स०) की कौम और दावत –
नूह (अ० स०) दावत व तबलीग के सिलसिले में सख्त मेहनत करते थें, दिन रात उनके घरों और इस्तेमात में जाकर उनको दावत देते, आप उन्हें एलानिया और पोशीदा दावत देते।उनको दावत देते देते 950 साल गुजर गए लेकिन सिवाए चंद लोगों के कोई ईमान नहीं लाया।उसी जमाने में एक मगरूर बादशाह था जो अपने कौम से कहता था, नूह की बातों पर ध्यान मत देना और ना इस से बहस करना,यह जो करता है इसे करने दो तुम अपने बुतों की पूजा पर डटे रहो।
इस तरह हजरत नूह (अ० स०) ने 950 साल दावत दी लेकिन सिर्फ 80 लोगों ने ही दीन कबूल किया।उन में ज्यादा तर लोग मसाकीन और गरीब थे।
हजरत नूह (अ० स०) की अल्लाह से दुआ –
जब हजरत नूह (अ० स०) अपने कौम के इस बर्ताव से आजिज हो गए और अल्लाह से फरियाद की और यह दुआ की –
” ऐ परवरदिगार, ये मेरा कहना नहीं मानते,उन लोगों की सुनते हैं जिन की औलाद और माल ने फायदा ना दिया उल्टा नुकसान पहुंचाया और उन्होंने मुझे सताने में कोई कसर ना छोडा। आपस में कहने लगे अपने देवताओं को ना छोड़ना (ना वाध ना स्वाह और ना याउस और ना याऊफ़ और ना नसर) को छोड़ना। इन लोगों ने बहुत सारे लोगों को गुमराह कर डाला, परवरदिगार ! तू ऐसा कर कि यह जालिम और ज्यादा गुमराह हो जाए “
कश्ती (Ship) की बुनियाद –
जब हजरत नूह (अ० स०) के दावत व तबलीग का उनकी कौम पर कोई असर नहीं हुआ तो आप बहुत गमजादा और परेशान हुए तो अल्लाह ने उनको तसल्ली दी और इरशाद फ़रमाया –
” और नूह पर वहीय की गई की जो ईमान ले आए,वह ले आए,अब इनमें से कोई ईमान लाने वाला नहीं है,पस उनकी हरकतों पर गम न कर ” (सुरह हूद)
अल्लाह ने हज़रत नूह (अ० स०) को हिदायत फरमाई के एक कश्ती तय्यार करे। ताकि ज़ाहिरी असबाब के एतबार से वह और पक्के मोमिन उसअज़ाब से बचे रहें।
हजरत नूह अलैहिस्सलाम ने कश्ती बनाना शुरू की तो कूफ्फर ने हंसी उड़ाना और मजाक बनाना शुरू कर दिया।
आखिरकार नूह (अ० स०) की कश्ती बनकर तैयार हो गई,कश्ती बनाने में 100 साल का वक्त लगा और अब अल्लाह के वादे और अजाब का वक्त करीब आया।
अल्लाह का अजाब –
अल्लाह के आजाब की पहली निशानी ये हुई के पानी का चश्मा उबालना शुरू हुआ,तब अल्लाह ने अपने वहिय के जरिये हजरत नूह (अ० स०) को हुक्म दिया के कश्ती में अपने खानदान वालों कोऔर जितने भी ईमान ला चुके उनको सवार कर लें, और तमाम जानवरों के एक एक जोड़े को भी सवार कर लें,हुक्म के मुताबिक जब सारे सवार हो गए और ज़मीन पर सिर्फ नाफरमान ही बच गए तो अल्लाह ने आसमान कोहुक्म दिया के पानी बरसाए और ज़मीन को हुक्म दिया के वो पूरी तरह से उबल पड़े।
पानी में उफान –
धीरे धीरे पानी में तुग्यानी आई और पानी का बढ़ना शुरू हुआ तब कश्ती पानी में तैरने लगी।
हजरत नूह (अ० स०) का बेटा जिसका नाम किनआन था,पानी बढ़ने की वजह से वह पहाड़ों की तरफ जाने लगा तब हजरत नूह (अ० स०) ने पुकारा के बेटे तुम ईमान ले आओ और कश्ती में सवार हो जाओ,तब बेटे ने जवाब दिया के में इस पहाड़ पे चढ जाऊंगा और बच जाऊंगा,नूह (अ० स०) ने कहा आज अल्लाह के अजाब से कोई भी नहीं बच सकता,फिर एक पानी की मौज ने उसे डुबो दिया।
नूह (अ० स०) की कश्ती किनारे लगी –
मुसलसल दिन रात बारिश होती रही और चश्मे से पानी निकलती रही।आखिरकार पूरी नाफरमान कौम गरक हो गईं,कोई भी ना बच सका।
बाज रवायात में है के नूह (अ० स०) की कश्ती 6 महीने पानी पर रही और बाज रवायात से मालूम होता है के 10 मुहर्रम को नूह (अ० स०) कश्ती से नीचे उतरे।आखिर अल्लाह के हुक्म से तूफ़ान रुक गया और आसमान से पानी बरसना थम गया,अल्लाह ने पानी को हुक्म दिया के सारे पानी को निगल ले, चूनांचे ज़मीन ने सारा पानी निगल लिया।
कश्ती जुदी नमी पहाड़ी पर ठहर गई।हज़रत नूह (अ० स०) कश्ती से बाहर निकले ।उस वक़्त औलादे आदम में से कोई भी ज़िंदा नहीं बचा, सिवाए उन लोगों के जो कश्ती पर सवार थे।
तूफाने नूह (अ० स०) के बाद –
बाद में हजरत नूह (अ० स०) के तीन बेटे हुए –
1. साम – साम की औलाद सफेद रंगत वाले थे,अरब और बनी इसराईल साम की औलाद हुई
2. हाम – हाम की औलाद सियाह काले रंग के थे,तमाम हबश हाम की औलाद हैं ।
3. याफिस – याफिस की कौम सुर्ख़ी माइल थी,तुर्क और मगरिबी एशिया के लोग याफीस की औलाद हैं ।
नूह (अ० स०) की वफ़ात –
तूफ़ान के बाद नूह (अ० स०) मजीद 350 साल और ज़िंदा रहे, फिर नूह (अ० स०) फ़ौत हो गए।
राजे तरीन रीवायात के मुताबिक आप मक्का मे दफन हुए,एक दूसरी रिवायत के मुताबिक आप लेबनान में दफन हुए।
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआ की गुज़ारिश।
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