بِسمِ اللّٰہِ الرَّحمٰنِ رحیم
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
तलाक क्या है –
तलाक़ एक ऐसी जाएज़ हुक्म है जो अल्लाह रब्बुल इज्ज़त को नापसंद है।जब कोई शख्स तलाक देता है
तो अल्लाह का अर्श काँप उठता है,क़ुरान करीम में बहुत से जगहों पर तलाक़ का ज़िक्र आया है।
बहुत मज़बूरी में अगर बीवी के साथ रहना मुश्किल है तब इजाज़त है के एक तलाक़ दे और बाद में मामला ठीक हो जाए तो रुजुह कर ले,छोटी छोटी बातों पर या मज़ाक में तलाक़ देना दुरुस्त नहीं।
तलाक़ देने का अख़्तियार सिर्फ मर्द को है।जब मर्द ने तलाक़ दे दी तो तलाक़ वकय हो गई, औरत इसमें कुछ भी नहीं कर सकती,चाहे उसे अच्छा लगे या ना लगे,हर हालत में तलाक़ हो जाएगी।औरत को अख्तियार नहीं के वो मर्द को तलाक़ दे।
कुछ मसला तलाक़ के हवाले से –
मसला –
जब शौहर ने जुबान से कह दिया की मैंने अपने बीवी को तलाक़ दे दी और इतने ज़ोर से कहा कि खुद इन लफ़्ज़ों को सुन लिया,बस इतना कहते ही तलाक़ हो गई चाहे किसी के सामने कहे या तनहाई में कहे,चाहे बीवी सुने या ना सुने।
तलाक़ की 3 किस्में –
(1) बाईन तलाक़ –
एक तो ये के जिसने निकाह बिल्कुल टूट जाए और निकाह किए बग़ैर आदमी के पास रहना जायज नहीं,अगर शौहर रखना चाहे तो उसे निकाह करनी होगी।
(2) मुगल्लजा तलाक़ –
एसी तलाक़ की आदमी को दुबारा निकाह करने के लिए पहले उस औरत को दूसरे मर्द से निकाह करनी पड़ेगी और जब वो मर्द उसको तलाक़ दे देता है, तब पहले वाला आदमी निकाह करेगा।
(3) रजई तलाक़ –
जिसमे निकाह अभी नहीं टूटा,साफ लफ़्ज़ों में मसलन तलाक़ का लफ्ज़ इस्तमाल किया और फिर शर्मिंदा हुआ तो फिर से निकाह करना ज़रूरी नहीं,सिर्फ एक बार अपने ज़बान से रूझुह के अल्फ़ाज़ बोल दे या बीवी से सोहबत या सोहबत के नीयत से बोसा ले ले।
लेकिन बीवी के हौज़ आने के से पहले तक रूझूह करना होगा नहीं तो एक तलाक़ हो जाएगी।
अगर तीन तलाक़ दे दे और तीन हौज तक रूझूह नहीं की तो उसकी बीवी निकाह से निकाल जाएगी।
तलाक़ दो तरह से दिया जा सकता है –
एक तो ये के साफ साफ़ लफ़्ज़ों में कह दे कि मैंने तुझको तलाक़ दी,या यूं कहे कि में अपनी बीवी को तलाक़ दी मतलब साफ साफ़ कह दे जिसमे तलाक़ देने के सिवा और कोई मतलब ना निकाल सकता हो।इस किस्म को सरीह तलाक़ कहते हैं।
दूसरी तरह ये है कि साफ साफ़ लफ्ज़ नहीं बल्के गोल मोल लफ्ज़ कहे जिससे तलाक़ के माने भी निकाल सकता है और दूसरा मतलब भी हो सकता है।जैसे कोई कहे के मैंने तुझको दूर कर दिया या ये कहे के में तुम्हे नहीं रखूंगा।हमेशा अपने मायके में पड़ी रहती है ,वगैरह।
मसला –
किसी को एक तलाक़ दी तो जब तक औरत इद्दत में रहे तब तक दूसरी तलाक़ और तीसरी तलाक़ और देने का अख़्तियार रहता है,अगर देगा तो हो जाएगी।
मसला –
किसी ने कहा के तलाक़ दे दूंगा यानी माज़ी में दूंगा तो तलाक़ नहीं होगी।
और अगर कहे की फला काम करेगी तो तलाक़ दे दूंगा तब भी तलाक़ नहीं हुए। चाहे वो काम करे या ना करे। हां अगर उसने उस काम को कर लिया तो हो जाएगी।
मसला –
किसी के कहा के अगर तू फला शहर जाएगी तो तुझको तलाक़ है तो जब तक बीवी उस शहर ना जाएगी तब तक तलाक़ नहीं होगी।
मसला –
अगर किसी ने तलाक़! तलाक़ !तलाक़ ! कहा तो तीनों तलाक़ पड़ गई।
अगर गोल मोल लफ़्ज़ों में कहा तो नीयत देखी जाएगी अगर नीयत होगी तो पर जाएगी वरना नहीं।
मसला –
अगर निकाह हो गई और रुक्सती नहीं हुई ,की उसने तलाक़ दे दी या रुखसती हो गई और मिया बीवी तनहाई में नहीं मिले,तनहाई से पहले तलाक़ दे दी तो तलाक़ बाइन पड़ेगी,चाहे साफ साफ़ लफ्जों में दे या गोल।मोल लफ़्ज़ों में।
3 तलाक़ का मसला –
किसी ने अपनी औरत को तीन तालाके दे दी तो अब वो औरत उस मर्द के लिए बिल्कुल हराम हो जाएगी।
अगर वो औरत फिर से निकाह करना चाहे तो पहले उसको किसी और आदमी से निकाह करनी पड़ेगी और उस आदमी ने अगर तलाक़ दे दिया तब ही पहले वाले शौहर से निकाह हो सकता है।
किसी शर्त पर तलाक़ देने का बयान –
अगर कोई मर्द निकाह करने से पहले किसी औरत से बोलता है के, अगर में तुझसे निकाह करूं तो तुझको तलाक़ है तो जब उस औरत से निकाह करेगा तो निकाह करते ही तलाक़ बाइन पड़ गई।निकाह किए बग़ैर उसको नहीं रख सकता।
तलाक़ ए रजई में रोके रखने का मसला –
जब किसी ने रजई एक तलाक़ या दो तलाके दी तो इद्दात खतम करने से पहले पहले मर्द को अख्तियार है के उसको रोक रखे।फिर से निकाह करने की जरूरत नहीं।
रोक रखने का तरीका ये है कि या तो साफ साफ़ जुबान से कह दे की में तुझे फिर रख लेता हूं,या कहे कि में निकाह में रूजुह करता हूं,या किसी और से कहा कि में अपनी बीवी को रख लेता हूं तो ये सब कहने से उसकी बीवी हो जाएगी।और अगर चार गवाह बना ले तो बेहतर है।
खुलह का बयान –
अगर मिया बीवी में किसी तरह का निबाह ना हो सके और मर्द तलाक़ भी नहीं देता हो तो औरत को जायज है कि कुछ माल देकर या अपना मेहर देकर मर्द से कहे कि इतना रुपया लेकर मेरी जान छोर दे या ये कहे कि जो मेरा मेहर तेरे जिम्मे है उसके बदले में मेरी जान छोर दे।उसके जवाब में मर्द बोले के मैंने छोड़ दिया तो उसके बाइन् पड़ गई।रोक रखने का इख्तेयार उस मर्द को नहीं।
अगर मर्द ने कहा के, मैंने तुझसे खूलह किया और औरत ने कहा मैंने क़ुबूल किया तो खूलह हो गया।हां अगर औरत ने जवाब नहीं दिया या उठ खड़ी हो गई तो कुछ नहीं हुआ।लेकिन अगर औरत अपनी जगह बैठी रही और मर्द यह कह कर उठ खड़ा हुआ और औरत ने उसके उठने के बाद क़ुबूल किया तब भी खुलह हो गया।
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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