بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
गुस्ल क्या है –
गुस्ल मतलब बदन का पाक होना, अगर कोई मुस्लिम मर्द या औरत किसी वजह से नापाक हो जाये,
तो पुरे बदन पे इस्लामी तरीके से पानी बहा कर पाक करने वो गुस्ल कहते है |
जिन चीजों से गुस्ल फ़र्ज़ होता है –
(1) जागते में शहवत से मनी(sperm) निकलना
(2) सोते में अहतलाम (Night Fall) होना
(3) बीवी से हमबिस्तरी करना चाहे, मनी निकले या न निकले
(4) गलत तरीक़े से अपनी खवाइश पूरी करना (जो की बड़ा गुनाह है )
(5) हैज़ ख़तम होना
(6) निफास का खून बंद होना
गुस्ल के फ़राइज़ –
गुस्ल के 3 फ़र्ज़ हैं –
(1) ख़ूब हलक तक पानी से मुह भर कर कुल्ली करना
(2) नर्म हड्डी तक नाक में पानी चढ़ाना
(3) पूरी बदन पर एसे पानी बहाना के एक बाल के बराबर भी सुखी ना रहे
गुस्ल की सुन्नातें –
(1) पाक होने की नियत करना
(2) पहले ज़ाहिरी ना-पाकी को दूर करना और इन्स्तिज़ा करना
(3) वजू करना
(4) सारे आज़ा पर तीन तीन बार पानी बहाना
(5) बदन को अच्छी तरह मलना
गुस्ल करना का मस्नून तरीका –
(1) जब गुस्ल करने का इरादा हो तो पहले दोनों हाथ गट्ठों तक धोए,फिर इस्तिन्ज़ा करेऔर अगर ज़ाहिरी ना-पाकी लगी हो तो उसे धोए
(2) फिर वजू करें ,जैसे नमाज़ के लिए करते हैं
(3) खूब मुह भर के कुल्ली करें,अगर रोज़ा न हो तो गरारा करे और रोज़े से हैं तो खाली कुल्ली करें
(4) उसके बाद नाक में नर्म हड्डी तक पानी चढ़ाये,अगर रोज़े से हो तो पानी ज्यादा अन्दर तक न चढ़ाएं
(5) वजू के बाद थोडा पानी लेकर पुरे बदन पर मलें
(6) फिर तीन बार सर पर पानी डालें उसके बाद तीन तीन बार दाहिने कंधे पर फिर बायें कंधे पर भी पानी डालें (पूरी जगह पानी पहुचाये बाल बराबर भी सुखा ना रह जाये) नही तो गुस्ल नही होगी
गुस्ल के चंद मसाइल –
(1) अगर गुस्ल के बाद याद आये की फलां जगह पानी न पहुचाया था,तो फिर से पूरा गुस्ल करना ज़रूरी नही,बलके ख़ास उसी जगह को धो ले
(2) अगर कुल्ली करना या नाक में पानी डालना भूल गया हो तो ख़ास कमी को पूरा करने से गुस्ल पूरा हो जायेगा
(3) गुस्ल करते वक़्त जो वजू किया है,उससे नमाज़ पढ़ सकते हैं,दुबारा अलग से वजू करने की ज़रूरत नही
(4) बीमारी की वजह से या और किसी वजह से अपने आप ही मनी निकल आई ,अगर खवाइश बिलकुल नही थी,तो गुस्ल वाजिब नही,हाँ अलबत्ता वजू टूट जाएगी
(5) जिनको नहाने की जरुरत है,उनको क़ुरान मजीद का छुना और उसको पढना और मस्जिद में जाना जाएज़ नही है ,हाँ अल्लाह का नाम लेना और कालिमा पढना और दरूद शरीफ़ पढना जाएज़ है
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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