हज़रत हूद (अ०स०)
अल्लाह तआला ने हज़रत हूद (अ०स०) को कौमे आद के तरह भेजा |आद का ज़माना लगभग दो हज़ार साल कब्ल मसीह माना जाता है |कौमे आद पहाड़ों को काट -काट कर खुबसूरत मकान बनाने में माहिर थे,लम्बे कद और चौड़े जिस्म वाले थे |हज़रत नुह (अ०स०) की बेटे ” साम ” की नस्ल से थे |
जिस्मानी सूरत व गुरुर में उन्होंने अल्लाह तआला को बिलकुल भुला दिया और उन्होंने बुतों की पूजा शुरू कर दी |तब अल्लाह तआला ने हज़रत हूद (अ०स०) को उस कौम में पैगम्बर बना कर भेजा |हज़रत हूद (अ०स०) सुर्ख व सफ़ेद रंगत वाले खुबसूरत और इज्ज़तदार शख्स थे, उनकी दाड़ी बड़ी थी |
हज़रत हूद (अ०स०) की तबलीग –
हज़रत हूद (अ०स०) ने अपनी कौम को अल्लाह तआला की तौहीद और इबादत के लिए दावत दी और लोगों को जुल्म व जब्र से म किया लेकिन कौम ए आद ने एक न मानी और सख्ती के साथ झुटलाया और गुरुर और घमंड के साथ कहने लगे -जो के कुरान मजीद में अल्लाह रब्बुल इज्ज़त फरमाते हैं –
” मन अशद्दु मिन्ना कुव्वत ”
” हम में से ज्यादा कौन है कुव्वत में आगे “
इस सब के बावजूद हज़रत हूद (अ०स०) लगातार इस्लाम की तबलीग में लगे रहे |और अपने कौम को अल्लाह के अज़ाब से डराते रहे |उनकी कौम ये कहते थे के – हम तेरे कहने से बुतों को न छोड़ेंगे और अपने बाप – दादाओं के दीन से मुह ना मुर्ड़ेंगे|
हज़रत हूद (अ०स०) की कौम ए आद को नसीहत –
ए कौम ! अब भी समझ और अकल व होश से काम ले, नुह (अ०स०) के कौम के हालत से इबरत हासिल कर और अल्लाह के पैग़ाम के सामने सरे नियाज झुका दे, वरना बहुत करीब है वो ज़माना के तेरा सारा घमंड व गुरुर ख़ाक में मिल जायेगा और उस वक़्त शर्मिंदगी से भी कोई फायदा न होगा |
कौम ए आद पर अल्लाह का अज़ाब –
अल्लाह तआला कुरान मजीद के “ सुरह – अल फज्र “ में फरमाते हैं –
اَلَمۡ تَرَ كَيۡفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِعَادٍ
اِرَمَ ذَاتِ الۡعِمَادِ
الَّتِىۡ لَمۡ يُخۡلَقۡ مِثۡلُهَا فِىۡ الۡبِلَادِ
तर्जुमा :
” क्या आप ने नही देखा के आप के रब ने आदियों के साथ क्या किया |सुतोनों वाले इरम के साथ |जिस की मानिंद (कोई कौम ) मुल्कों में पैदा नही की गई “
कौम ए आद ,हज़रत हूद (अ०स०) का मज़ाक उड़ाते और कहते – बड़ा सच्चा बनता है,तो ले आ अल्लाह का अज़ाब | हम तेरी बात नही मानते |
जब हज़रत हूद (अ०स०) को मौलुम हुआ के अल्लाह का अज़ाब आ पहुँचा है, तो अल्लाह के हुक्म से उन्होंने अपने साथ ईमान लाने वाले को साथ लिए बस्ती से बाहर निकल गए |
देखते ही देखते अल्लाह का अज़ाब ने उन्हें आ घेरा,आठ दिन और सात रातें मुसलसल आंधी -तूफ़ान और तेज़ व तुंद हवा उठे |तूफ़ान इतना ज़बरदस्त था के इंसानों को उड़ाकर काफी दूर पटकती ,हड्डियों का चुर -चुर कर डाला और पूरी बस्ती को चटियल मैदान कर दिया |पूरी कौम हालाक व बर्बाद हुई |
हज़रत हूद (अ०स०) की वफात –
एक रिवायत से मालूम होता है कि आद की बस्तियां हज़र मौत के क़रीब थी और उनकी (आद की ) तबाही के बाद,क़रीब ही की बस्ती में हज़रत हूद (अ०स०) क़याम फ़रमाया होगा और वही मौत हो गई होगी |
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
दूसरों को भी share करें
दुआ की गुज़ारिश
Comments
Post a Comment