ख़वातीन का हज –
हज इस्लाम का 5वा रुक्न (pillers of Islam) है |
हज इस्लाम में एक अहम् तरीन फर्जों में से एक है,हज इस्लामिक महीना जिलहिज्जा में हर ममालिक से लोग मक्का पहुचते हैं और हज के अरकान अदा करते हैं, हज सारी ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार फ़र्ज़ है|
हज की शर्तें –
(1) मालदार होना
(2) मुसलमान होना
(3) आकिल(अक़लमंद) होना
(4) बालिग़ होना
(5) आज़ाद होना
(6) सेहतमंद होना
(7) रस्ते का पुर अमन होना
(8) हुकूमत के तरफ से कोई रुकावट न होना
(9) मेहरम का होना
(10) हालते इद्दत में न होना
ख़वातीन के हज के मसाइल –
औरतों का हज, मर्दों के हज से चंद सूरतों में मुक्ताल्लिफ है,वो मसाइल ये हैं –
(1) औरत अग्गर खुद मालदार हो तो उस पर हज फ़र्ज़ है वरना नही |
(2) ख़वातीन पर हज फ़र्ज़ होने के लिए मालदार के अलावा कोई एक महरम का होना शर्त है|
(3) किसी औरत का शौहर फौत हो जाये,उसे इद्दत के दौरान हज का सफ़र करना मना है|
(4) किसी औरत का महरम के बगैर ग्रुप में शरीक हो कर हज का सफ़र करना सुन्नत से साबित नही है |
(5) ख़वातीन को हज का सवाब जिहाद के बराबर मिलता है |
(6) हज या उम्रे में आने वाली ख़वातीन को अहराम बांधने के लिए हालते हैज़ या नफ़ास में भी गुसल करना चाहिए,बशर्ते के बीमारी का खौफ ना हो|
(7) औरत हालते हैज़ में तवाफ़ के अलावा बाकी तमाम अरकाने हज कर सकती है|
(8) औरत का हालते अहराम में सर के बालों को बंधना या अहराम के लिए खुसूसी लिबास सिलवाना सुन्नत से साबित नही |
(9) हालते अहराम में औरत को मुमकिन हद तक परदे का अह्तेमाम करना चाहिए |
(10) औरत के लिए सारे बाल का कतरवाना या मुड्वाना मना है,उसे सिर्फ दो उँगलियों के बराबर बाल कतरवाना चाहिए |
(11) औरत को शोहर के इज़ाज़त के बगैर नफ्ली हज अदा करन मना है|
औरतों के हज के मुत्स्ल्लिक चंद हदीसें –
(1) ” हज़रत आईशा (रज़ी०) फ्फर्नती हैं के शजरह के मक़ाम पर हज़रत मुहम्मद बिन अबू बकर शिद्दीक (रज़ी०) के पैदाइश के बायस हज़रत अस्मा बीनते अमीश (रज़ी०) हालते नफ़ास में थीं|रसूल अल्लाह (स०अ०) ने हज़रत अबू बकर सद्दीक (रज़ी०) को हुक्म दिया के अस्मा (अपनी बीवी) से कहें की गुसल करके अहराम बांध लें “ (मुस्लिम)
(2) ” हज़रत अब्दुलाह बिन अब्बास (रज़ी०) से रिवायत है के रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया औरतें सर ना मुडवायें बलके सिर्फ बाल कटवाएं ”
(अबू दाऊद)
(3) ” हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ी०) रसूल अल्लाह (स०अ०) से उस औरत के बारे में रिवायत करते हैं जिसका शौहर है और वो खुद मालदार है |शौहर उसे नफ्ली हज की इज़ाज़त नही देता,उस औरत के बारे में रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – एसी औरत को शौहर के इजाजत के बगैर हज पर नही जाना चाहिए ” (दार कतनी)
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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