क़यामत की निशानियाँ –
नबी करीम (स०अ०) ने हमें आखिरत के अहवाल (हाल) मसलन हशर,हिसाब,जन्नत,दोजख वगैरह से आगाह फ़रमाया|
आप (स०अ०) ने हमें वहां बदबख्ती से बचने और नेक बख्ती हासिल करने के असबाब से भी मतलह फ़रमाया है और साथ ही हमें छोटी और बड़ी क़यामत से आगाह फ़रमाया है |
क़यामत की निशानियों की दो किस्में –
क़यामत की छोटी निशानियाँ –
जो आप (स०अ०) की वफात से, जुहूर इमाम मेहदी तक वजूद में आई हैं वह ये हैं –
(1) हज़रत अली (रज़ी०) का बयान है हज़रत मुहम्मद (स०अ०) ने फ़रमाया –
- जब हक्कमे मालिक की ज़मीन के महसूल को अपनी जाती दौलत बना लेंगे (यानी उसे अहकामे शरियत के मुताबिक न करेंगे)
- लोग अमानत को , माले गनीमत की तरह अपने उपर हलाल समझेंगे
- शौहर अपनी बीवी की हर नाजाएज बात मानेंगे
- माँ बाप की ना -फ़रमानी करेंगे
- बुरे लोगों से दोस्ती करेंगे
- इल्मे दीन सिर्फ दुनिया की गरज से सीखेंगे
- हर कौम में एसे लोग सरदार बन जायेंगे जो उनमे से सबसे ज्यादा कमीने,बद-अखलाक और लालची होंगे |
(2) इन्तेजामात ना-लायक लोगों के सुपुर्द कर दिए जायेंगे
(3) अल्लाह के नाफरमानो की इज्ज़त सिर्फ उनके खौफ की वजह से की जाएगी
(4) शराब पीना आम हो जायेगा
(5) नाच गाने और लहो व लहब आम हो जायेंगे
(6) ज़ीनाकारी की कसरत होगी
(7) उम्मत के पछले लोग पहलों पर लानत करेंगे
(8) मस्जिद में खेल खुद होगा
(9) मिलते वक़्त सलाम के सुन्नत अमल की जगह गाली गलौज होगी
(10) झूठ को एक फन की हैसियत हासिल होगी
(11) शर्म व हया जाती रहेगी
(12) चरों तरफ कुफ्फार,मुसलमानों पर टूट पड़ेंगे
हज़रत मुहम्मद (स०अ०) ने फ़रमाया -ए अली ! जब ये सब काम शुरू हो जाएं तो उस वक़्त सुर्ख आंधी और अज़ाब की दूसरी निशानियों का इंतज़ार करो,अज़ाबे इलाही जैसे -ज़मीन का धसना,असमान से पत्थरों की बारिश,शक्लों की तब्दीली |
क़यामत की बड़ी निशानियाँ –
जो इमाम मेहदी के ज़ाहिर होने से,”सूर” फुकने तक ज़ाहिर होंगी और क़यामत का आगाज उन ही वाक्यात के बाद होगा |
(1) अलामाते इमाम मेहदी –
बड़ी निशानियों में से सबसे पहले इमाम मेहदी का तशरीफ़ लाना होगा,ये नबी करीम (स०अ०) के चहिते नवासे, हसनैन (रज़ी०) के खानदान से होंगे
(2) दज्जाल का ज़हूर –
दज्जाल का निकलना,मुसलमानों के लिए बड़ी अजमाइश होगी ,दज्जाल खुद ख़ुदा होने का दवा करेगा और अल्लाह के हुक्म से नामुमकिन काम को मुमकिन बना देगा,पुरी दुनिया में फसाद मचाएगा |
(3) हज़रत इसा (अ०स०) का असमान से नाजिल होना –
हज़रत इसा (अ०स०),क़यामत के नजदीक दो फरिश्तों के काँधे पर हाथ रखे हुए दमिस्क के जामा मस्जिद के मीनार पर उतरेंगे,दज्जाल के फितने व फरेब को खत्म करेंगे और उसका सफाया करेंगे |
(4) याजूज माजूज का निकलना –
दज्जाल के फितने के बाद एक और फितना बरपा होगा यानि याजूज और माजूज का निकलना होगा,वो इतनी तादाद में होंगे के समंदर का सारा पानी पी कर खुश्क कर देंगे,फिर हज़रत इसा (अ०स०) उनके लिए बद्दुआ करेंगे जिससे अल्लाह रब्बुल इज्ज़त तमाम याजूज माजूज की कौम को एक कीड़े से हलाक कर देगा |
(5) धुंवा का अज़ाब –
सहीह मुस्लिम की हदीस में है के क़यामत के करीब एक धुंवा नमूदार होगा जो ज़मीन पर छा जायेगा और इससे लोग तंग हो जायेंगे ,धुंवे की वजह से मुसलमान तो सिर्फ नजला वगैरह में मुब्तला होंगे मगर मुनाफिकीन व कुफ्फर एसे बेहोश होंगे के बाज़ एक दिन बाज़ दो दिन और बाज़ तीन दिनों होश में आएंगे |
ये धुंवा 40 दिन तक मुसलसल रहेगा फिर साफ़ हो जायेगा
(6) सूरज का पश्चिम से निकलना –
एक रिवायत में है के जब सूरज अपने मामूर में मुताबिक मशरिक (पूरब) से निकलकर मगरिब (पश्चिम ) में गुरुब होने की अल्लाह से इज़ाज़त तलब करेगा तो अल्लाह तआला के तरफ से इज़ाज़त नही दी जाएगी और सुरज को हुक्म होगा के वापस लौट जा चुनांचे सूरज वापस मगरिब से निकलेगा,लोग सुबह देखेंगे तो ये कहेंगे अभी रात बाकी है तो वह फिर सो जायेगा,एसा दो दिनों तक चलेगा|
सूरज के मगरिब से निकलने के बाद तौबा का दरवाज़ा बंद हो जायेगा और तौबा कबूल नही होगी |
(7) बात करने वाला जानवर का निकलना –
दुसरे दिन इसी (सूरज के ) ताजकिरह में होंगे के कोहे सफा जो काबा के मशरिकी जानिब है,वह ज़लज़ला से फट जायेगा और एक जानवर बरामद होगा
शक्ल के लिहाज से वो जानवर इस तरह होगा के –
- चेहरा आदमी जैसा
- पांव ऊंट जैसा
- गर्दन घोड़े की तरह
- दुम बैल की तरह
- सर हिरन की तरह
- सिंघों में बारा सिंघा जैसा
- हाथ बन्दर की तरह
वह जानवर लोगों से बातें करेगा,एक हाथ में हज़रत मूसा (अ०स०) का असा और दुसरे में हज़रत सुलेमान (अ०स०) अंगूठी होगी,तमाम शहरों का दौरा करेगा,अगर कोई ईमान वाला मिलेगा तो हरत मूसा (अ०स०) के असा से उस के पेशानी पर एक नुरानी लकीर बना देगा,जिससे उसका चेहरा रोशन हो जायेगा और अगर कोई काफ़िर मिला तो उसको हज़रत सुलेमान (अ०स०) के अंगूठी से उसके नाक और गर्दन पे सियाह मुहर लगा देगा |
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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