بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
तयम्मुम का बयान –
जिसको वजू या गुस्ल करने की ज़रूरत हो और पानी न मिले या पानी तो हो,
लेकिन उसके इस्तमाल से बीमारी बढ़ने या बीमारी हो जाने का खतरा हो या रस्सी डोल यानी कुंए से पानी निकलने का सामान मौजूद न हो या दुश्मन का डर हो या सफ़र में पानी एक मील के फासले पर हो,तो इन सब शक्लों में वजू और गुस्ल की जगह तयम्मुम करे|
तयम्मुम का तरीका –
तयम्मुम की नियत फ़र्ज़ है यानी नियत करे की मैं ना-पाकी दूर करने के लिए या नमाज़ पढने के लिए तयम्मुम करता हु,नियत के बाद दोनों हाथों को पाक मिट्ठी पर मारे, फिर हाथ झाड़ कर तमाम मुह पर मले और जितना हिस्सा मुह का वजू में धोया जाता है उतने हिस्से पर हाथ पहुचाए,फिर दोबारा मिट्ठी पर हाथ मार कर हाथ को कोहनियों तक मले और उँगलियों का खिलाल भी करे|
वजू और गुस्ल के तयम्मुम में कोई फर्क नही, जितनी पाकी वजू और गुस्ल से होती है,उतनी ही तयम्मुम से भी होती है|और बीस साल तक भी पानी न मिले तब भी तयम्मुम करता रहे |
तयामुम की नियत –
पहले बिस्मिल्लाह पढ़े और फिर कहे –
” न्वैतु अन अ त यम्म म तकर्रू बन इलल लाहि तआला “
जिससे तयम्मुम टूट जाती है –
जो चीजें वजू को तोड़ देती है,उनसे तयम्मुम भी टूट जाता है,पानी का मिलना और उसके इस्तमाल पर कुदरत होना भी तयम्मुम को तोड़ देता है,यानी अगर पानी मौजूद हो और कोई उज्र भी न हो तो भी तयम्मुम टूट जाता है|
तयम्मुम के चंद मसाइल –
(1) पत्थर पर तयम्मुम जायज़ है, चाहे उस पर मिटटी या धुल न हो,लेकिन कपडे पर जायज़ नही|कुछ आदमी रेल में सफ़र करते हुए पानी न मिलने पर अपनी चादर पर तयम्मुम कर लेते हैं,ये जायज़ नही|
(2) अगर किसी का गुस्ल भी नही और वजू भी नही है,तो अलग दो बार तयम्मुम करना ज़रूरी नही
(3) अगर कही इतनी सर्दी पड़ती हो और बर्फ कटती हो की नहाने से मर जाने या बीमार हो जाने का डर हो और रजाई या लिहाफ वगैरह कोई एसी चीज़ नही के नहा कर उसमे गर्म हो जाये, तो एसी मज़बूरी के वक़्त तयम्मुम कर लेना दुरुस्त है |
(4) अगर किसी के आधे से ज्यादा बदन पर जखम हो या चेचक निकली हो,तो नहाना वाजिब नही ,बलके तयम्मुम कर ले|
(5) ज़मीन के सिवा और जो चीज़ मिट्टी की किस्म से हो,उस पर भी तयम्मुम दुरुस्त है जैसे – मिट्टी,रेत,पत्थर,गच,चुना,सुरमा,गेरू, वगैरह और जो चीजें मिट्टी की किस्म से न हो उससे तयम्मुम दुरुस्त नही जैसे – सोना,चांदी,रंगा,गेंहू,लकड़ी,कपडा,और अनाज वगैरह,हाँ अगर इन चीजों पर गर्द और मिट्टी लगी हो,उस वक़्त तयम्मुम दुरुस्त होगा|
(6) जो चीज़ न तो आग से जले और न गले,वह चीज़ मिट्टी की किस्म है,उससे तयम्मुम दुरुस्त है और जो चीज़ जल कर राख हो जाये या गल जाये उससे तयम्मुम दुरुस्त नही जैसे – राख|
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआ की गुज़ारिश
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