بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
मिस्वाक क्या है –
दाँत साफ़ करने की मुलायम सिरे वाली पेड़ की लकड़ी को मिस्वाक कहते हैं ,इस लकड़ी में नमक और खास क़िस्म का कुदरती अशिया पाई जाती है जो दातों में चमक पैदा करता है
सबसे बड़ी और अहम् बात ये है के मिस्वाक हमारे नबी (स०अ०) की सुन्नत है,आप (स०अ०) को मिस्वाक करना बहुत पसंद था|
इसके मुताल्लिक चंद हदीसें –
” हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है कि नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अगर मुझे यह ख्याल न होता कि मेरी उम्मत मुशक्कत में पड़ जाएगी,तो मैं उनको नमाज़ के वक़्त मिस्वाक करने का हुक्म देता ” (मुस्लिम )
” हज़रत अबू एय्यूब (रज़ी०) से रिवायत है कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – छार चीजें पैगम्बरों की सुन्नतों में से है | हया का होना, खुशबू लगाना, मिस्वाक करना और निकाह करना “(तिरमिज़ी)
” हज़रत अबू उमामा (रज़ी०) से रिवायत है कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जब जिब्रील (अ०स०) मेरे पास आए, मुझे मिस्वाक करने की ताकीद की, यहाँ तक कि मुझे अंदेशा होने लगा की मिस्वाक ज्यादा करने की वजह से में अपने मसूढ़ों को छिल न डालूं |” (मुसनद अहमद )
” हज़रत आइशा (रज़ी०) से रिवायत है कि नबी करीम (स०अ०) दिन या रात में जब भी सोकर उठते, तो वजू करने से पहले मिस्वाक ज़रूर फरमाते |” (अबू दाऊद)
मिस्वाक के फायदे/फ़ज़ीलत –
मिस्वाक के बेशुमार फायदे है, उनमें से चंद ये हैं –
(1) हज़रत आइशा (रज़ी०) से रिव्यत है कि नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – मिस्वाक मुंह को साफ़ करने वाली है और अल्लाह तआला की खुशनूदी का जरिया है (नसाई)
(2) हज़रत आईशा (रज़ी०) से रिवायत है कि नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – मिस्वाक करके दो रकअतें पढना बगैर मिस्वाक किए सत्तर रकअतें पढने से अफज़ल है | (बज्ज़ार)
(3) मिस्वाक करने वालों के बाल की सफेदी देरी से आती है|मतलब ये के आजकल कम उम्र में ही बाल सफ़ेद होना शुरू हो जाते हैं, इसलिए मिस्वाक करने से सफ़ेदी कम उमरों में नही आती |
(4) आँख की रौशनी तेज़ होती है |
(5) मौत के अलावा तमाम बिमारियों में शिफा है |
(6) मुंह में खुशबू पैदा करती है और मसूड़ों को मजबूत करती है।
(7) फ़रिश्ते/मलईका ख़ुश और राज़ी होते हैं |
(8) दांतों की सड़न को रोकती है और दांतों का पीलापन दूर करती है|
(9) रोजाना मस्वाक करने से हाजमा ठीक होता है,खाना ठीक से हज़म हो जाती है |
(10) बलगम को दूर करती है |
(11) याददाश्त बढ़ाती है।
(12) ज़बान तेज़ हो जाती है |यानी बोलने में लुक्नत या रुक – रुक कर बोलना,तोतली ज़बान से हिफाज़त होती है |
(13) मिस्वाक शैतान तो नाराज़ करती है,क्युकि ये हमारे नबी (स०अ०) की सुन्नत है |
(14) मरते वक़्त कलिमा नसीब होता है और रूह निकलने में आसानी होती है |
(15 दांत दर्द से राहत दिलाने में मददगार है।
(16) मिस्वाक चेहरे की रौनक बरकरार रखती है |
(17) एक रिवायत में है के तुम मिस्वाक करो तुम्हारी घर की औरतें पाक दामन बन जायेंगी |
(18) नमाये अमाल में नेकियों को बढाती है |
(19) मायदे को साफ़ करती है |
(20) शैतान के वस्वसे से महफूज़ रहता है |
अल्लाह हमें इस अहम् सुन्नत पर अमल करने की तौफीक अता फरमाए – अमीन
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआ की गुज़ारिश
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