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mozon par Masah ka tarika - मोजों पर मसह का सही तरीका

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم

शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है

 

 

मोजे पर मसह का बयान –

जो शख्स मोजह पहने हुए हो वह अगर वजू में बजाय पांव धोने के  मोजों पर मसह करे तो जाएज है। जिस पर गुस्ल फ़र्ज़ है वह मौजों पर मसह नहीं कर सकता।

 

मसह करने के लिये चन्द शर्ते हैं –

(1) मोजे ऐसे हों कि टखने छुप जायें इससे ज्यादा होने की जरुरत नहीं और अगर दो एक अंगुल कम हो जब भी मसह दुरुस्त है एडी न खुली हो।

(2) पाव से चिपटा हो कि उसको पहन कर आसानी के साथ खुद चल फिर सकें ।

(3) चमड़े का हो या सिर्फ तला चमड़े का हो और बाकी हिस्सा किसी और दबीज चीज का जैसे किरमिच वगैरह।

मसला –

हिन्दुस्तान में जो उमूमन सूती या ऊनी मोजे पहने जाते हैं उनपर मसह जाएज़ नहीं उतार कर पॉव धोना फर्ज है।

(4) वजू करके पहना हो यानी अगर मोज़ा बे वजू पहना था तो मसह नहीं कर सकता।

(5) न हालते जनाबत में पहना हो न बाद पहनने के जुनुब हुआ हो।

(6) मुद्दत के अन्दर हो और उसकी मुद्दत मुकीम के लिये एक दिन-रात हैं और मुसाफ़िर के वास्ते तीन दिन रात ।

(7) कोई मोजा पांव की छोटी तीन उंगलियों के बराबर फटा न हो यानी चलने में तीन अंगुल बदन जाहिर न होता हो ।

मसला –

मोजा फट गया या सीवन खुल गई और वैसे पहने रहने की हालत में तीन अंगुल पांव जाहिर नहीं होता मगर चलने में तीन अंगुल दिखाई देता है तो मसह जाएज नहीं यानी फटे मोजे में तीन अंगुल से कम पॉव खुले तो मसह जाएज है और तीन अंगुल या उससे ज्यादा खुले तो जाएज नहीं।

मसला –

टखने के ऊपर मोजा चाहे कितना ही फटा हो कुछ हर्ज नहीं मसह हो सकता है फटने का एतबार टखने से नीचे के हिस्सों में है।

 

मसह का तरीका –

मसह का मस्नून तरीका यह है कि –

हाथ तर करके दाहिने की तीन उंगलियां पांव के मोजे की पीठ के सिरे पर रख कर पिन्डली की तरफ खींचें कम से कम तीन अंगुल खींचे और सुन्नत यह है कि पिन्डली तक पहुंचायें और बायें हाथ से बायें पैर पर इसी तरह करें।

 

मसह में फर्ज दो हैं – 

(1) हर मोजे का मसह हाथ की छोटी तीन उंगलियों के बराबर होना।

(2) मसह मोजे की पीठ पर होना।

 

मसह में सुन्नत तीन बातें हैं – 

(1) हाथ की पूरी तीन उंगलियों के पट से मसह करना।
(2) उंगलियों को खींच कर पिन्डली तक ले जाना।

(3) मसह करते वक़्त उंगलियों को खुली रखना मसला-अंग्रजी जुते बूट पर मसह जाएज है अगर टखने उससे छुपे हों

 

मसला –

अमामा, नेकाब और दस्ताना पर मसह जायज़ नही

 

मसह जिन चीजों से टूट जाता है –

चंद चीजों से मसह टूट जाता है वह यह हैं  –

(1) जिन चीजों से वजू टूटता है, उनसे मसह भी जाता रहता टुटता है

(2) मसह की मुद्दत पूरी हो जाने से मसह जाता रहता है और उस सूरत में सिर्फ पॉव धो लेना काफी है फिर से पूरा वजू करने की ज़रुरत नहीं बेहतर यह है कि पूरा वजू कर लें।

(3) मोजा उतार देने से मसह टूट जाता है चाहे एक ही उतारा हो।

मसला –

वजू की जगहों में फोड़े हो या फुंसियाँ या और कोई बीमारी हो और पानी बहाना नुकसान करता हो या सख्त तकलीफ होती हो तो भीगा हाथ फेर लेना काफी है और अगर यह भी नुकसान करता हो तो इसपर कपड़ा डाल कर कपड़े पर मसह करे और जो यह भी मुजिर हो तो मोआफ है और अगर इसमें कोई दवा भर ली तो इसका निकालना जरुरी नहीं इस पर से पानी बहा देना काफी है। 

 

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

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Aulad ki tarbiyat – औलाद की तरबियत कैसे करें

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     औलाद की तरबियत – औलाद की तरबियत करना माँ-बाप की अहम् ज़ोम्मेदारी है | ये बात भी काबिले एतेबार है के अगर घर की ख़वातीन या माँ दीनदार है तो इंशाअल्लाह बच्चे ज़रूर दीनदार होंगे क्यूंकि बच्चों की असल दर्सगाह माँ की गौद है | जैसा उसके घर का माहौल होगा तो बच्चे ज़रूर उसमे ढालेंगे अगर माँ-बाप ही नए माहौल के हों तो बच्चे का दीनदार होना मुश्किल है |   अल्लाह तआला का इरशाद – يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قُوٓا۟ أَنفُسَكُمْ وَأَهْلِيكُمْ نَارًۭا وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ عَلَيْهَا مَلَـٰٓئِكَةٌ غِلَاظٌۭ شِدَادٌۭ لَّا يَعْصُونَ ٱللَّهَ مَآ أَمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! अपने आप को और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका इंधन इंसान और पत्थर होंगे उसपर शख्त कड़े मिजाज़ के फरिश्तें मुक़र्रर हैं जो अल्लाह के किसी हुक्म में उसकी नाफ़रमानी नहीं करते, और वही करते हैं जिसका उन्हें हुक्म दिया जाता है | (सुरह तहरिम आयत 6) इसके मुताल्लिक हदीस – नबी करीम (स०अ०) ने इरश