इमाम बुख़ारी (र०) के बारे में –
इमाम बुखारी (र०) का पूरा नाम अबू अब्दुल्लाह बिन इस्माईल अल बुख़ारी था | 13 शव्वाल, 194 हिजरी को जुमाह के दिन बुखारा(उज्बेकिस्तान) में पैदा हुए |आप के वालिद भी बड़े मुहद्दिस थे और वालिदा भी बड़ी पाकबाज़ खातून थीं |
इमाम बुख़ारी (र०) की तालीम व तरबियत यतीमी की हालत में हुई |हदीस से आप का ताल्लुक बचपन से ही था,बचपन में ही आप को बहुत सारी हदीसें याद थीं |आप (र०) ने 16 साल दिन रात मेहनत करके एक हदीस की किताब लिखी जिसे आज हम “सहीह बुखारी ” के नाम से जानते हैं,जो की बहुत मशहूर और मारूफ किताबों में से है | इमाम बुखारी (र०) का ये मामूर था के जब भी कोई हदीस लिखते तो पहले आप दो रकात नफ्ल नमाज़ पढ़ लेतें |
सहीह बुख़ारी की चंद हदीसें –
(1) ईमान –
हज़रत अबू सईद खुदरी (रज़ी०) से रिवायत है के नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जब जन्नती जन्नत में और दोजखी दोज़ख में दाखिल हो चुके होंगे,तो अल्लाह तआला इरशाद फरमाएंगे – जिसके दिल में राई के दाना के बराबर भी ईमान हो,उसे भी दोजख से निकाल लो,चुनांचे उन लोगों को भी निकाल लिया जायेगा | उनकी हालत ये होगी कि वह जल कर सियाह फ़ाम हो गए होंगे | उसके बाद उनको नहरे हयात में डाला जाएगा तो वह उस तरह ( फ़ौरी तौर पर तर व ताज़ा होकर ) निकल आयेंगे जैसे दाना सैलाब के कूड़े में (पानी और खाद मिलने की वजह से फ़ौरी) उग आता है | कभी तुम ने गौर किया है कि वह कैसा जर्द बल खाया हुआ निकलता है ?
हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है के रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – मेरी शफ़ाअत का सबसे ज्यादा नफ़ा उठाने वाला वह शख्स होगा जो अपने दिल के ख़ुलूस के साथ ला इलाहा इल्लल्लाह कहे |
हज़रत इतबान बिन मालिक अंसारी (रज़ी०) से रिवायत है कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जो शख्स क़यामत के दिन ” ला इला-ह इल्लल्लाह ” को इस तरह से कहता हुआ आए कि इस कालिमा के ज़रिये अल्लाह तआला ही की रजामंदी चाहता हो अल्लाह तआला उस पर दोजख की आग को ज़रूर हराम फरमा देंगे |
हज़रत इमरान बिन हुसैन (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – लोगों की एक जमाअत जिनका लक़ब जहनमी होगा हज़रत मुहम्मद (स०अ०) की शिफाअत पर दोज़ख से निकलकर जन्नत में दाख़िल होंगे |
हज़रत अनस (रज़ी०) से रिवायत है कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जन्नत में तुम्हारी एक कमान के बराबर जगह या एक क़दम के बराबर जगह दुनिया और जो कुछ उसमें है उससे बेहतर है और अगर जन्नत की औरतों में से कोई औरत (जन्नत से ) ज़मीन की तरह झांके तो जन्नत से लेकर ज़मीन तक (की जगह को ) रौशन कर दे और खुशबु से भर दे और उसका दुपट्टा भी दुनिया और दुनिया में जो कुछ है,उससे बेहतर है |
(2) नमाज़ –
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – इस्लाम की बुनियाद पांच सतूनों पर कायम की गई है – “ ला इला-ह इललाललाहु मुहम्मादुर्रसूल्लालाह “ की गवाही देना यानी इस हकीक़त की गवाही देना कि अल्लाह तआला के सिवा कोई इबादत और बंदगी के लायक़ नही और मुहम्मद (स०अ०) अल्लाह के बन्दे और रसूल हैं; नमाज़ कायम करना; ज़कात अदा करना; हज करना और रमज़ानुल मुबारक के रोज़े रखना |
हज़रत अनस (रज़ी०) से रिवायत है कि नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अपनी सफों को सीधा किया करो,क्युकि नमाज़ को अच्छी तरह अदा करने में सफों को सीधा करना शामिल है |
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उम्रू बिन आस (रज़ी०) फरमाते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अब्दुल्लाह ! तुम फलां की तरह मत हो जाना कि वह रात को तहज्जुद पढ़ा करता था,फिर तहज्जुद छोड़ दी |
(3) इल्म –
हज़रत अनस (रज़ी०) फरमाते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – क़यामत की अलामतों में से यह है किइल्म उठा लिया जायेगा, जिहालत आ जाएगी,शराब (खुल्लम खुल्ला ) पी जाएगी और जिना फ़ैल जायेगा |
हज़रत अनस (रज़ी०) फरमाते हैं कि आप (स०अ०) जब कोई बात इरशाद फरमाते,तो उसको तीन मर्तबा दुहराते,ताकि (इस बात को) समझ लिया जाए |
(4) जिक्र –
हज़रत अबू हुमैद सईदी (रज़ी०) से रिवायत है कि सहाबा (रज़ी०) ने अर्ज़ किया – या रसूल अल्लाह ! हम आप पर किस तरह दरूद भेजा करें ? आप (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – यूं कहा करो |
तर्जुमा – या अल्लाह ! मुहम्मद (स०अ०) पर और आपकी बीवियों पर और आपकी नस्ल पर रहमत नाजिल फरमाईए,जैसे की आपने हज़रत इब्राहीम (अ०स०) के घर वालों पर रहमत नाजिल फरमाई | और हज़रत मुहम्मद (स०अ०) पर और आपकी बीवियों पर और आपकी नस्ल पर बरकत नाजिल फरमाईए, जैसा कि आपने हज़रत इब्राहीम (अ०स०) के घर वालों पर बरकत नाजिल फरमाई | आप तारीफ़ के मुसतहिक़ बुज़ुर्गी वाले हैं |
हज़रत अबू बक्र (रज़ी०) से रिवायत है कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जो शख्स मुसीबत में मुब्तला हो वह यह दुआ पढ़े – ए अल्लाह ! मई आपकी रहमत की उम्मीद करता हु, मुझे पलक झपकने के बराबर भी मेरे नफ्स के हवाले न फरमाईए | मेरे तमाम हालात को दुरुस्त फरमा दीजिये आपके सिवा कोई माबूद नही है |
हज़रत सुलेमान बिन सूरद (रज़ी०) फरमाते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने (एक शख्स के बारे में जो दुसरे पर नाराज़ हो रहा था ) इरशाद फ़रमाया – अगर यह शख्स अऊज़ु बिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम० पढ़ ले तू उसका गुस्सा जाता रहे |
(5) अच्छे अखलाक़ और नियत –
हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (रज़ी०) से रिवायत है कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अल्लाह तआला की रहमत हो उस बन्दे पर जो बेचने,खरीदने और अपने हक़ का तकाजा करने और वुसुल करने में नरमी अख्तियार करे |
हज़रत अनस (रज़ी०) से रिवायत है कि नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – तुममें से कोई शख्स उस वक़्त तक (कामिल) ईमान वाला नही हो सकता,जब तक कि अपने मुसलमान भाई के लिए वही पसंद न करे जो अपने लिए पसंद करता हो |
हज़रत अबू मसऊद (रज़ी०) रिवायत करते हैं हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जब आदमी अपने घर वालों पर सवाब की नियत से खर्च करता है (उस खर्च करने से ) उसको सदक़ा का सवाब मिलता है |
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त से दुआ है की हमें ज्यादा से ज्यादा हदीसों को पढ़ कर अमल करने की तौफीक़ अता फरमाए – अमीन
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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