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Auraton ke Gunaah aur Azaab – 6 गुनाहगार औरतें और अज़ाब

 

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم

शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है

 

 औरतों का कसरत से दोजख में जाना –

औरतों के जहन्नम में कसरत से दाखिल होने की वजह एक हदीस में आई है के –

हज़रत अबू सईद (रज़ी०) फरमाते हैं कि हुजुर (स०अ०) ईद के दिन ईदगाह तशरीफ़ ले गए | जब औरतों के मजमे पर गुज़र हुआ तो हुज़ूर (स०अ०) ने औरतों से ख़िताब फरमा कर इरशाद फ़रमाया – की तुम सदक़ा बहुत कसरत से किया करो | मैंने औरतों को बहुत कसरत से जहन्नम में देखा है | उन्होंने दरयाफ्त किया या रसूल अल्लाह ! यह क्या बात है ? हुजुर (स०अ०) ने फ़रमाया – की औरतें लानत (बद्दुआयें ) बहुत करती हैं और खाविंद की ना – शुक्री बहुत करतीं हैं | (मिश्कात)

6 गुनाह और शदीद अज़ाब –

हमारे प्यारे नबी (स०अ०) ने जो 6 औरतों के गुनाह और अज़ाब का ज़िक्र किया है वो ये हैं –

(1)  औरत का बेपर्दा –

पहली औरत के बारे में आप (स०अ०) ने फ़रमाया के – मैंने एक औरत को देखा के वह अपने बालों के ज़रिये जहन्नुम के अन्दर लटकी हुई है और उसका दिमाग हंडिया की तरह पक रहा है |

फिर नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया के – जिस औरत को मैंने सर के बालों के ज़रिये जहन्नुम में लटका देखा और जिसका दिमाग हांड़ीया की तरह पक रहा था, उसको ये अज़ाब घर से बाहर नंगे सर जाने कि वजह से हो रहा था, वह औरत ना-महरम मर्दों से अपने सर के बाल नही छुपाती थी |

आजकल औरतों का बेपर्दा बाहर निकलना आम है, इसको गुनाह समझती ही नही, हालांके शरियत ने सिर्फ चेहरे और दोनों हाथ की हथेलियों औए दोनों पैरों के सिवा मुकम्मल सतर छुपाने का हुल्म दिया है | चचा ज़ात या फ़ुफी ज़ात भाइयों या बहनोई से या देवर को तो ना-महरम समझे ही नहीं और एसे मिलते – रहते हैं जैसे महरम हैं, अल्लाह इससे सारी ख़वातीन की हफिज़त फरमाए – अमीन

(2)  ज़बान दराज़ी – ज़बान की तेज़

दूसरी औरत को अल्लाह के रसूल (स०अ०) ने देखा की वह ज़बान के बल जहन्नुम के अन्दर लटकी हुई है | फिर आप (स०अ०) ने फ़रमाया – ये वह औरत है जो ज़बान दराज़ी से अपने शौहर को तकलीफ़ पहुचाया करती थी |

बाज़ औरतें छोटी छोटी बातों पर अपनी ज़बान से शौहर को तकलीफ़ पहुँचातीं हैं | रिवायतों में है के जिस औरत का शौहर उससे राज़ी नहीं है तो वह गुनाहगार होगी | बात बात में लड़ना और शौहर से बत्तमीजी करना जैसे उनकी आदत हो | बाज़ शौहर भी अपनी बीवी को ज़बान से भला – बुरा कहते हैं जो हरगिज़ जाएज़ नहीं, लेकिन  अभी का ज़िक्र ख़वातीन के अज़ाब के बारे में है लिहाज़ा ख़वातीन इससे परहेज़ करें और अपने शौहरों के साथ हुस्न सुलूक करें |

(3) ना- जाएज़ ताअलुकात –

तीसरी औरत को हुजुर (स०अ०) ने देखा की वो अपनी छातीयों के बल (जहन्नुम ) में लटकी हुई है और आप (स०अ०) ने फ़रमाया के यह वो औरत है जो शादीशुदा होने के बावजूद दुसरे मदों से नाजायज़ तालुकात रखती थीं |

आप (स०अ०) का इरशाद है – हया ईमान की एक शाख है, नाजायज़ रिश्ते की शुरुवात बेहयाई से होती है, एक हया वाली खातून जिसके अन्दर हया और अल्लाह का डर हो वो कभी एसा घिनौना काम नहीं करेंगी | बे-पर्दगी और टेलीविजन भी इसकी एक अहम् वजह है |

(4)  पाक़ी का ख्याल न रखने वाली –

चौथी औरत जिसको हुजुर (स०अ०) ने इस हालत में देखा के उसके दोनों पैर सीने से बधे हुए हैं और दोनों हाथ सिर से बधे हुए हैं | आप (स०अ०) ने फ़रमाया – ये वह औरत है जो दुनिया में जनाबत और हैज़ से पाक साफ रहने का अह्तमाम नहीं करती थी और नमाज़ के साथ बड़ी लापरवाही का मामला करती थी |

पाकी आधा ईमान है इसलिए मर्द हो या औरत पाकी का ख़ास ख्याल रखनी चाहिए | औरतें जो हैज़ या निफास वगैरह से फ़ारिग हो तो पाक होने में जल्दी करनी चाहिए, ताखीर करने में गुनाह है क्युकि नमाज़ कज़ा होने का ख़तरा है |

(5) चुगली  और गीबत करने वाली औरत –

पांचवी औरत के बारे में रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया के – मैंने देखा के उसका चेहरा खिंजीर की तरह है और बाकी जिस्म गधे की तरह है और सांप – बिच्छु उससे लिपटे हुए हैं | फिर आप (स०अ०) ने फ़रमाया के वह औरत झूठ बोलने और चुगली खाने की वजह से अज़ाब हो रहा है |

झूठ और चुगली अक्सर खवातीनों में ज्यादा पाई जातीं हैं क्युकि जहाँ दो औरतें बैठ जाएं इधर – उधर की चुगलियाँ शुरू हो जातीं हैं | जहन्नुम में औरतों की कसरत से जाने की एक वजह ये भी है |

(6) अहसान जतलाने वाली औरत –

छठी औरत जिसको अल्लाह के रसूल (स०अ०) ने इस हालत में देखा के वह कुत्ते की शकल में है और उसके मुह से आग दाखिल हो रही है और पाखाने के रास्ते से आग बाहर निकल रही है और फ़रिश्ते जहन्नुम के गुर्ज से उसको मार रहे हैं | आप (स०अ०) ने फ़रमाया – उस औरत को ये अज़ाब दो गुनाहों की वजह से हो रहा है, एक तो हसद करने की वजह से और दुसरे अहसान जतलाने की वजह से |

हसद कहते हैं – किसी के कारोबार या माल में तरक्की को देख कर जलना और खवाइश करना के उससे वह सब चीज़ छिन जाये वगैरह और अहसान जतलाना मसलन  किसी पर कोई अहसान कर दिया और बदले में अगर दुसरे ने अहसान नहीं किया तो कहना के मैंने फलां काम किया लेकिन उसने मेरे लिए कुछ नहीं किया वगैरह |

 

आखिर में –

सारे गुनाहों से बचना ज्यादा मुश्किल नहीं  हैं, इससे हर ख़वातीन आसानी से बच सकतीं हैं | लिहाज़ा ये अज्म करें के कभी भी ये सारे गुनाह नहीं करेंगी और अगर भूल से हो गई हों तो अल्लाह तआला से माफ़ी व अस्ताग्फार ज़रूर कर लें |

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त से दुआ है के तमाम ख़वातीन को इस गुनाहों से बचने की तौफीक अता फरमाए – अमीन

 

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

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दुआ की गुज़ारिश

 

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     औलाद की तरबियत – औलाद की तरबियत करना माँ-बाप की अहम् ज़ोम्मेदारी है | ये बात भी काबिले एतेबार है के अगर घर की ख़वातीन या माँ दीनदार है तो इंशाअल्लाह बच्चे ज़रूर दीनदार होंगे क्यूंकि बच्चों की असल दर्सगाह माँ की गौद है | जैसा उसके घर का माहौल होगा तो बच्चे ज़रूर उसमे ढालेंगे अगर माँ-बाप ही नए माहौल के हों तो बच्चे का दीनदार होना मुश्किल है |   अल्लाह तआला का इरशाद – يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قُوٓا۟ أَنفُسَكُمْ وَأَهْلِيكُمْ نَارًۭا وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ عَلَيْهَا مَلَـٰٓئِكَةٌ غِلَاظٌۭ شِدَادٌۭ لَّا يَعْصُونَ ٱللَّهَ مَآ أَمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! अपने आप को और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका इंधन इंसान और पत्थर होंगे उसपर शख्त कड़े मिजाज़ के फरिश्तें मुक़र्रर हैं जो अल्लाह के किसी हुक्म में उसकी नाफ़रमानी नहीं करते, और वही करते हैं जिसका उन्हें हुक्म दिया जाता है | (सुरह तहरिम आयत 6) इसके मुताल्लिक हदीस – नबी करीम (स०अ०) ने इरश