بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم
” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है”
गीबत –
गीबत यानी किसी के पीठ पीछे एसी बात करना के अगर वो उस बात को सुनता तो उसको बुरा लगता | गीबत करना गुनाहे कबीरा है और शिरियत में निहायत नापसंदीदा अमल है और इसके करने का अज़ाब बहुत शख्त है |
अल्लाह तआला का इरशाद –
يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ٱجْتَنِبُوا۟ كَثِيرًا مِّنَ ٱلظَّنِّ إِنَّ بَعْضَ ٱلظَّنِّ إِثْمٌ ۖ وَلَا تَجَسَّسُوا۟ وَلَا يَغْتَب بَّعْضُكُم بَعْضًا ۚ أَيُحِبُّ أَحَدُكُمْ أَن يَأْكُلَ لَحْمَ أَخِيهِ مَيْتًا فَكَرِهْتُمُوهُ ۚ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ تَوَّابٌ رَّحِيمٌ
तर्जुमा –
ए ईमान वालों ! बहुत से गुमानों से बचो, बाज़ गुमान गुनाह होते हैं और किसी की टोह में ना लगो और एक दुसरे की गीबत ना करो | क्या तुम में से कोई ये पसंद करेगा के वह अपने मुर्दे भाई का गोश्त खाए ? इस से तो खुद तुम नफरत करते हो और अल्लाह से डरो, बेशक अल्लाह बड़ा तौबा कुबूल करने वाला, बहुत मेहरबान है | (सुरह हुजरात आयत -12)
इसके मुताल्लिक चंद हदीसें –
नबी करीम (स०अ०) ने फ़रमाया – अपने भाई के उस एब का ज़िक्र करे के जिस ज़िक्र को वह नापसंद करता हो | आप (स०अ०) से अर्ज़ किया गया के आप (स०अ०) का क्या ख्याल है के अगर वाकई वह एब मेरे भाई में हो जो मैं कहूँ, आप (स०अ०) ने फ़रमाया – वो एब उस में है जो तुम कहते हो तभी तो वह गीबत है और अगर उसमे वो एब न हो तो तुमने उस पर बोहतान लगाया | (मुस्लिम)
हुजुर पाक (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – गीबत से बचो क्युकि गीबत ज़ीना से भी शख्त गुनाह है |
रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया – जो किसी मुसलमान मर्द या औरत की गीबत करता है, अल्लाह तआला उसके 40 सब व रोज़ की नमाज़ को कुबूल नहीं करता मगर ये के वो शख्स उसे माफ़ कर दे जिसकी गीबत की गई |
गीबत की सज़ा और अंजाम –
(1) हज़रत अनस बिन मालिक (रज़ी०) से रिवायत है के रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया – जब मुझे मेराज अता की गई तो उस रात मेरा गुज़र एक कौम पर से हुआ जिनकी नाख़ून तांबे की थी और वह अपने नाखूनों से अपने चेहरे और सीने को खुरच रहे थे, तो मैंने जब्रील (अ०स०) से कहा ये कौन लोग हैं ? तो उन्होंने कहा – ये वो लोग हैं जो लोगों का गोश्त खाते थे यानी गीबत किया करते थे और उनकी इज्ज़त व अबरू के पीछे पड़े रहते थे |
(2) अबू दाऊद की हदीस में है के अगर किसी (मर्द या औरत) ने अपने मुसलमान भाई की गीबत की या एब टटोले तो अल्लाह तआला उसकी पोशीदा बातें और राज़ दुसरो पर ज़ाहिर कर देंगे और वह शख्स अपने घर में भी ज़लील होगा और बाहर भी रुसवा होगा |
(3) एक हदीस से ये भी साबित है के अक्सर अज़ाबे कब्र दो चीजों से होती हैं जो के लोग मामूली समझते हैं एक तो पेशाब के छीटो से ना बचने की वजह से और दूसरी गीबत करने की वजह से |
(4) कुरआन मजीद के सुरह हमज़ा में अल्लाह तआला का इरशाद है के हर गीबत करने वाले और ताअना देने वाले के लिए हलाकत है |
गीबत से बचने का तरीका –
(1) गीबत का बोलना और सुनना दोनों गुनाह है लिहाज़ा अगर कोई गीबत कर रहा हो तो सुनने वाले को चाहिए के उसे फ़ौरन रोक दे या अगर ये ना हो तो वहां से उठकर चला जाये या कोई दूसरी बात शुरू कर दे |
(2) किसी मजलिस में शामिल हों तो मजलिस के शुरू और आखिर में दुआ ज़रूर पढ़ लेनी चाहिए
(3) अपनी ज़बान की हिफाज़ करें, बिना ज़रूरत के कोई बात ना करे और खामोश रहे क्यूंकि गीबत की शुरुवात बिला वजह की गुफ्तगू से होती है |
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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