QURAN MAZEED

Surah An-Naas Tafseer Hindi – सुरह अन – नास तफ़सीर

 

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم

शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है

 

सुरह अन-नास के बारे में –

सुरह अन – नास कुरआन मजीद की आखरी सूरत  है | ये मक्की सुरह है और इसमें 6 आयतें हैं |

कुरआन करीम ने सुरह अनआम में बताया गया है के शैतान, जिन्नात में से भी होते हैं और इंसानों में से भी होते हैं | अलबत्ता शैतान जो जिन्नात में से है वह नज़र नहीं आता  और दिलो में वस्वसे डालता है लेकिन इंसानों में जो शैतान होते हैं वह नज़र आते हैं और उनकी बातें एसी होती हैं के उन्हें सुनकर इंसान के दिल में तरह तरह के बुरे ख़यालात और वस्वसे आ जाते हैं | इसलिए आयते करीमा में दोनों क़िस्म के वस्वसा डालने वालों से पनाह मांगी गई है |

 

सुरह अन – नास पढने की फ़ज़ीलत –

बुख़ारी और मुस्लिम की हदीस में है के सुरह नास पढने से जिन्नात और शयातीन से बचने में बहुत मुफीद है, जो शख्स रात को सोते वक़्त सुरह फ़ातिहा, अयतुल कुर्सी, सुरह इखलास, सुरह फ़लक और सुरह नास एक एक  मर्तबा पढ कर अपने हाथों पर दम करके दोनों हाथों को चेहरे और सर से लेकर टांगों तक फेरे तो इंशाअल्लाह वो रात भर जिन्नात और शयातीन के शर से और दीगरआफ़ात से महफूज़ और अल्लाह की पनाह में रहेगा |

जब नबी (स०अ०) पर जादू किया गया तो जिब्रील (अ०स०) (सुरह फ़लक और सुरह नास) दो सूरतें लेकर हाज़िर हुए और फ़रमाया के – एक यहूदी ने आप (स०अ०) पर जादू किया है और ये जादू फलां कुंवे में है, आप (स०अ०) ने हज़रत अली (रज़ी०) को भेज कर मंगवाया | यह एक कंघी के दंदानों और बालों के साथ एक तांत के अंदर ग्यारह गिरहें पड़ी हुई थीं और मोम का एक पुतला था जिस में सुईयां चुबोही हुई थीं | जिब्रील (अ०स०) के हुक्म के मुताबिक आप (स०अ०) उन सूरतों में से एक – एक आयत पढ़ते जाते और गिरह खुलती जातीं और सुई निकलती जाती | खात्मे तक पहुँचते – पहुँचते सारी गिरहें भी खुल गईं और सुईयां भी निकल गईं और आप (स०अ०) इस तरह सही हो गए जैसे कोई शख्स जकड़बंदी से आज़ाद हो जाये (सही बुख़ारी )

 

सुरह (अन – नास) और तफ़सीर –

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान नेहायत रहम वाला है |

 

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ

आप कह दीजिये ! के में लोगों के परवरदिगार की पनाह में आता हु |

 

तफ़सीर –

रब (परवरदिगार) का मतलब है जो इब्तदा से हो, जब के इंसान अभी माँ के पेट में ही होता है | उसकी तदबीर व इस्लाह करता है, हत्ता के वह बालिग़ – आकिल हो जाता है | फिर वह ये तदबीर चंद मखसूस अफ़राद के लिए नहीं बलके तमाम इंसानों के लिए करता है और तमाम इंसानों के लिए ही नहीं बलके तमाम मखलूक के लिए करता है | यहाँ सिर्फ इंसानों का ज़िक्र इंसान के उस शरफ़ व फज़ल के इज़हार के लिए है जो तमाम मखलूकात पर उसको हासिल है |

 

مَلِكِ النَّاسِ

लोगों के मालिक की (और)

 

तफ़सीर –

जो ज़ात, तमाम इंसानों की परवरिश और निगाहदास्त करने वाली है, वही इस लायक़ है के काएनात की हुक्मरानी और बादशाही भी उसके पास है |

 

إِلَهِ النَّاسِ

लोगों के माबूद की (पनाह में )

तफ़सीर –

और जो तमाम काएनात का परवरदिगार हो, पूरी काएनात पर उसी की बादशाही हो, वही ज़ात इस बात की मुसतहक है के उसकी इबादत की जाये और वही तमाम लोगों का माबूद हो, चुनांचे मैं अज़ीम व बरतर हस्ती की पनाह हासिल करता हु |

 

مِن شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ

वस्वसा डालने वाले पीछे हट जाने वाले के शर से

तफ़सीर –

वस्वसा मख्फी आवाज़ को कहते हैं | शैतान भी निहायत गैर महसूस तरीक़े से इंसान के दिल में बुरी बातें डाल देता है, उसी को वस्वसा कहा जाता है |

अल – खन्नास (खसक जाने वाला ये शैतान की सिफत है | जब अल्लाह का ज़िक्र किया जाये तो ये खसक जाता है और अल्लाह की याद से गफ़लत बरती जाये तो दिल पर छा जाता है |

 

الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ

जो लोगों के सीनों में वस्वसा डालता है |

तफ़सीर –

इसके मुताल्लिक पहले वाली तफ़सीर देखें |

 

مِنَ الْجِنَّةِ وَ النَّاسِ

(ख़वाह) वो जिन्न में से हो या इंसान में से

तफ़सीर –

ये वस्वसा डालने वालों की दो किस्में हैं | शयातीन अल – जिन्न को तो अल्लाह तआला ने इंसानों को गुमराह करने की क़ुदरत दी है | हर इंसान के साथ एक शैतान उसका साथी होता है जो उसको गुमराह करता रहता है | चुनांचे हदीस में आता है के जब नबी (स०अ०) ने ये बात फरमाई तो सहाबा (रज़ी०) ने पूछा के या रसूल अल्लाह ! क्या आप के साथ भी है ? आप (स०अ०) ने फ़रमाया – हाँ ! मेरे साथ भी है, लेकिन अल्लाह ने उस पर मेरी मदद फरमाई है और वह मेरा मतीह है | मुझे खैर के अलावा किसी बात का हुक्म नहीं देता (सही मुस्लिम )

दुसरे शैतान, इंसानों में से होते हैं जो नासह, मुश्फिक के रूप में इंसानों को गुमराही की तरगीब देते हैं | बाज़ कहते हैं के शैतान जिन को गुमराह करता है ये उनकी दो किस्में हैं, यानी शैतान इंसानों को भी गुमराह करता है और जिन्नात को भी | और बाज कहते हैं के जिन्नों पर भी कुरआन में रजाल का लफ्ज़ बोला गया है |

 

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

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दुआ की गुअरिश 

 

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