DUA AND ZIKR

Sote Waqt ke Zikr – सोने से पहले के ज़िक्र

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم

शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है

 

ज़िक्र की फ़ज़ीलत –

अल्लाह तआला ने फ़रमाया – मुझे याद करो मैं तुम्हे याद करूँगा और मेरा शुक्र करो और मुझेसे कुफ्र न करो (सुरह बकरह )

” ए वो लोगों जो ईमान लाये हो अल्लाह को कसरत से याद करो ” ( सुरह अहज़ाब )

 

हदीस –

रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया – उस शख्स की मिसाल जो अपने रब को याद करता है और जो अपने रब को याद नही करता जिंदा और मुर्दा की तरह है (बुख़ारी)

 

सोते वक़्त के (ज़िक्र) –
(1) तीनो क़ुल का पढना – 

हर रात सोने से पहले आप (स०अ०) बिस्तर पर बैठ कर दोनों हथेलियों को जमह कर के उन में फुकतें और उन में (सुरह इख्लास, सुरह फ़लक और सुरह नास) पढ़ते, फिर जिस्म के जिस जिस हिस्से पर फ़ेर सकते हाथ फेरते, सर और चेहरे और जिस्म के सामने हिस्से से शुरू फरमाते | इस तरह तीन दफह करते (बुख़ारी)

 

(2) अयतुल कुर्सी –

जब तुम अपने बिस्तर पर आओ तो अयतुल कुर्सी आखिर तक पढ़ लो तो सुबह होने तक अल्लाह की तरफ से तुम पर एक मुहाफ़िज़ मुक़र्रर रहेगा और शैतान तुम्हारे क़रीब नहीं आएगा | (बुख़ारी)

 

(3) सुरह बक़रह की आखरी दो आयतें – 

जो शख्स सुरह बकरह की आख़िरी दो आयत (आयत – 285 और 286) किसी रात पढ़ ले उसे काफी हो जायेगी ( बुख़ारी )

 

(4) ख़ास दुआ –

जब तुम में से कोई शख्स अपने बिस्तर से उठे फिर उसकी तरफ वापस आये तो उसे अपनी चादर के दामन से तीन दफह झाड़े क्युकि वह नहीं जानता के उसके बाद इसपर उसकी जगह क्या चीज़ आई है, और जब लेटे तो कहे –

तर्जुमा –

ए मेरे परवरदिगार ! तेरे ही नाम के साथ मैंने अपना पहलु रखा, और तेरे नाम के साथ ही इसे उठाऊंगा, पस अगर तू मेरी जान को रोक ले तो उसपर रहम कर, और अगर उसे छोड़ दे तो तू इसकी हिफाज़त एसे कर जैसे अपने नेक बन्दों की हिफाज़त करता है ( बुख़ारी )

 

(5) सुन्नती तरीके से  लेटने के बाद की दुआ –

जब सोने का इरादा करे, अपना दायां हाथ अपने रुखसार के नीचे राखे फिर तीन मर्तबा कहे –

 “ अल्लाह हुम्मा किनी अजाब-क यौमा तब असु इबादिका “

तर्जुमः                                    ”  ए अल्लाह ! मुझे अपने अज़ाब से बचा जिस दिन तू अपने बन्दों को जमाह करेगा “

 

या 

اَللّٰھُمَّ بِاسْمِکَ اَمُوْتُ وَاَحْیٰی۔

” ए अल्लाह ! मैं तेरे नाम से मरता और जीता हूँ “

(6) तस्बीह ए फातिमा –

रसूल अल्लाह ने फ़रमाया – क्या मैं तुम दोनों को ( हज़रत अली और हज़रत रज़ी०) वह चीज़ न बताऊँ जो तुम्हारे लिए ख़ादिम से बेहतर हो, जब तुम अपने बिस्तर पर जाओ तो “ 33 दफह सुभानाल्लाह, 33 दफह अल्हुम्दुलिलाह और 34 दफह अल्लाह हु अकबर “ कहो ये तुम्हारे लिए खादिम से बेहतर है ( बुख़ारी )

 

(7) अलिफ़ लाम मीम सजदा और सुरह मुल्क का पढना – 

आप (स०अ०) उस वक़्त तक नहीं सोते थे जब तक अलिफ़ लाम मीम सजदा और सुरह मुल्क  न पढ़ लेते | (तिरमिज़ी)

 

(8) नींद में बेचैनी, घबराहट और वहशत वगैरह की दुआ –

अउज़ु बीकलिमा तिल-ला हित तम-माती मिन ग-ज़बिही व इकाबिही व शर-रि इबादिही व मिन’ हमजा तिस- शयातीन व अन्ना यहज़ुरून

तर्जुमा –

मैं अल्लाह के मुकम्मल कलमात के ज़रिये से पनाह पकड़ता हु, उसके गुस्से और उसकी सज़ा से, और उसके बन्दों के शर से, और शैतान के चूकों से, और इस बात से के वह मेरे पास हाज़िर हो (अबू दाऊद)

(9) अच्छे खवाब आये तो – 

अच्छा खवाब अल्लाह की तरफ से होता है और बुरा खवाब शैतानों की तरफ से होता है | जब तुम में से कोई शख्स एसी चीज़ देखे जो उसे पसंद हो तो किसी को न सुनाये मगर जिस से उसे मुहब्बत हो (मुस्लिम )

(10) अगर कोई बुरा खवाब देखे तो ये अमाल करे –
  • बाएँ तरफ तीन दफह थूके (थूकने का इशारा करे )
  • शैतान और अपने उस खवाब की बुराई से तीन मर्तबा अल्लाह की पनाह मांगे
  • किसी को खवाब न सुनाये
  • जिस पहलु पर वह लेता हो,पहलु बदल दे
  • अगर इरादा बने तो उठकर नमाज़ पढ़े

 

अल्लाह ज्यादा से ज्यादा अपने  ज़िक्र  में मशगुल राखे – अमीन

 

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

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दुआ की गुज़ारिश

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